आंखों से देख लेना मन की चंचल कामनाओं से उत्तम है। अत: पेट के लिए परिश्रम करना भी निस्सार है, यह मानो हवा को पकड़ना है।
यशायाह 57:17 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मैं उसके लोभ के पाप के कारण उससे क्रुद्ध हुआ था; मैंने उसको मारा, मैंने उससे अपना मुंह छिपा लिया, मैं उससे नाराज था। किन्तु वह अपने हृदय के अनुसार अपने मार्ग पर चलता गया, और धर्म-भ्रष्ट बना रहा। पवित्र बाइबल उन्होंने लालच से हिंसा भरे स्वार्थ साधे थे और उसने मुझको क्रोधित कर दिया था। मैंने इस्राएल को दण्ड दिया। मैंने उसे निकाल दिया क्योंकि मैं उस पर क्रोधित था और इस्राएल ने मुझको त्याग दिया। जहाँ कहीं इस्राएल चाहता था, चला गया। Hindi Holy Bible उसके लोभ के पाप के कारण मैं ने क्रोधित हो कर उसको दु:ख दिया था, और क्रोध के मारे उस से मुंह छिपाया था; परन्तु वह अपने मनमाने मार्ग में दूर भटकता चला गया था। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उसके लोभ के पाप के कारण मैं ने क्रोधित होकर उसको दु:ख दिया था, और क्रोध के मारे उससे मुँह छिपाया था; परन्तु वह अपने मनमाने मार्ग में दूर भटकता चला गया था। सरल हिन्दी बाइबल उसके लालच के कारण मैं उससे क्रोधित होकर; उसको दुःख दिया और मुंह छिपाया था, पर वह अपनी इच्छा से दूर चला गया था. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उसके लोभ के पाप के कारण मैंने क्रोधित होकर उसको दुःख दिया था, और क्रोध के मारे उससे मुँह छिपाया था; परन्तु वह अपने मनमाने मार्ग में दूर भटकता चला गया था। |
आंखों से देख लेना मन की चंचल कामनाओं से उत्तम है। अत: पेट के लिए परिश्रम करना भी निस्सार है, यह मानो हवा को पकड़ना है।
ओ पापी राष्ट्र! ओ अधर्म के बोझ से दबे लोगो! ओ कुकर्मियों की सन्तान! ओ भ्रष्टाचारी पुत्रो! तुमने प्रभु को त्याग दिया, तुमने इस्राएल के पवित्र परमेश्वर को तुच्छ समझा। तुम उससे मुंह मोड़ कर दूर हो गए।
उनका देश सोने और चांदी से भर गया है; उनके खजाने का कोई अन्त नहीं। उनका देश घोड़ों से भरपूर है; उनके यहाँ असंख्य रथ हैं।
किसने याकूब को लुटेरों के हाथ में सौंपा था? किसने इस्राएल को डाकुओं के हाथ में दे दिया था? क्या प्रभु ने ही यह कार्य नहीं किया था? क्योंकि हमने उसके प्रति पाप किया था। हम उसके बताए हुए मार्ग पर नहीं चले थे; हमने उसकी व्यवस्था का पालन नहीं किया था।
कुत्तों की भूख शान्त नहीं होती, उनका पेट कभी नहीं भरता। चरवाहों में भी समझ नहीं है, वे अपने-अपने मार्ग पर चल रहे हैं, उन सबको केवल अपने लाभ की चिन्ता है।
हे प्रभु, हमसे अत्यन्त क्रोधित मत हो; अनन्तकाल तक हमारे अधर्म को मत स्मरण रख। देख, विचार कर! हम-सब तेरे ही निज लोग हैं।
‘जो आराधक बलि चढ़ाने के लिए बैल का वध करता है, वह मानो मनुष्य की हत्या करता है; जो आराधक मेमने की बलि करता है वह मानो कुत्ते की गरदन तोड़ता है; जो आराधक अन्न-बलि चढ़ाता है, वह मानो सूअर का रक्त अर्पित करता है; जो आराधक ‘स्मृति-बलि’ में लोबान जलाता है वह मानो मूर्ति की पूजा करता है। ऐसे आराधक आराधना की अपनी ही पद्धति चुनते हैं, उनके प्राण ऐसी ही घृणित आराधना से प्रसन्न होते हैं।
प्रभु याकूब के वंशजों से मुख मोड़े हुए है। मैं उसकी प्रतीक्षा करूंगा; वही मेरी आशा का आधार होगा।
जिनको प्रभु ने ताड़ित किया था, वे फिर भी प्रभु की ओर नहीं लौटे, उन्होंने स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु को नहीं खोजा।
‘मैंने व्यर्थ ही तुम्हारे बच्चों को मारा, वे मेरी ताड़ना से सुधरे नहीं; तुमने अपनी तलवार से अपने नबियों को चीर-फाड़ डाला, जैसे गरजता हुआ सिंह अपने शिकार को फाड़ता है!
किन्तु तेरी आंखें किस लिए हैं? तेरे पास हृदय है ... पर किस लिए? अन्याय से लाभ कमाने के लिए, निर्दोष की हत्या करने के लिए, जनता पर अत्याचार और दमन करने के लिए?’
प्रभु यों कहता है: ‘ओ विश्वासघातिनी जनता, लौट आ! क्योंकि मैं तेरा स्वामी हूं। मैं प्रत्येक नगर से एक व्यक्ति और हरएक गोत्र से दो जन लूंगा, ओर यों तुझको सियोन में पहुंचा दूंगा।
प्रभु ने उनसे कहा था, ‘ओ विश्वासघाती सन्तान, लौट आ! मैं तेरे विश्वासघात के घाव को भर दूंगा।’ वे बोले, ‘देख, हम तेरे पास लौट आए हैं; क्योंकि तू ही हमारा प्रभु परमेश्वर है
‘हे प्रभु, क्या तू सच्चाई को नहीं देखता? देख, तूने उनको मारा, किन्तु उन्हें पीड़ा का अनुभव ही नहीं हुआ! तूने उनका संहार किया, फिर भी उन्होंने इससे पाठ नहीं सीखा! उन्होंने अपना हृदय चट्टान से अधिक कठोर बना लिया, उन्होंने पश्चात्ताप करने से इन्कार कर दिया।’
ओ अनेक नदियों से घिरी नगरी, ओ धन-सम्पत्ति से भरी-पूरी नगरी! तेरा अन्त आ गया। तेरी जीवन-लीला समाप्त हो गई।
‘बच्चों से बूढ़ों तक, गरीब से अमीर तक हर कोई अन्याय से कमाए गए धन का लोभी बन गया है। नबी से पुरोहित तक सब मनुष्य झूठ का सौदा करते हैं।
अत: मैं उनकी स्त्रियां और उनके खेत विजेता शत्रुओं के हाथ में सौंप दूंगा। क्योंकि छोटे से बड़े तक, हर कोई मनुष्य अन्याय से कमाए गए धन का लोभी बन गया है। नबी से पुरोहित तक सब मनुष्य झूठ का सौदा करते हैं।
मैं ध्यान से उनकी बातें सुनता हूं, किन्तु वे उचित बात बोलते ही नहीं! एक भी आदमी अपने दुष्कर्म के लिए पश्चात्ताप नहीं करता; बल्कि वह कहता है, “मैंने किया ही क्या है?” जैसे घोड़ा युद्ध के मैदान में बिना समझे-बूझे अपनी नाक की सीध में दौड़ता है, वैसे ही यह जाति मनमाना आचरण कर रही है।
वे झुण्ड के झुण्ड तेरे पास आते हैं। वे मेरे निज लोगों के समान तेरे सामने बैठते हैं। वे तेरी बातें सुनते हैं, पर मेरे सन्देश के अनुसार आचरण नहीं करते। “वाह! कितने सुन्दर वचन हैं!” , वे मुंह से यह कहते हैं, किन्तु उनका हृदय स्वार्थ में डूबा हुआ है।
तब येशु ने लोगों से कहा, “सावधान! हर प्रकार के लोभ से बचो; क्योंकि किसी के पास कितनी ही सम्पत्ति क्यों न हो, उस सम्पत्ति की प्रचुरता में उस का जीवन नहीं है।”
इसलिए आप लोग अपने शरीर में इन बातों को निर्जीव करें जो संसार की हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, कामुकता, विषयवासना और लोभ को जो मूर्तिपूजा के सदृश है।
जो लोग धन बटोरना चाहते हैं और ऐसी मूर्खतापूर्ण तथा हानिकर वासनाओं के शिकार बनते हैं, जो मनुष्यों को पतन और विनाश के गर्त्त में ढकेल देती हैं;
उनकी आँखें व्यभिचार से भरी हैं और उन में कभी तृप्त न होनेवाली पाप की भूख बनी हुई है। वे दुर्बल आत्माओं को लुभाते हैं। उनका मन लोभ में प्रशििक्षत हो चुका है। यह अभिशप्त सन्तति
वे लोभ के कारण अपनी मनगढ़न्त बातों द्वारा आप से अनुचित लाभ उठायेंगे। उनकी दण्डाज्ञा का निर्णय बहुत पहले हो चुका है और वह उनका पीछा कर रहा है। उनका विनाश सोया हुआ नहीं है!