अब्राहम ने बएर-शबा में झाऊ-वृक्ष का एक पौधा लगाया, और वहाँ प्रभु के नाम से शाश्वत परमेश्वर की आराधना की।
यशायाह 57:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) सर्वोच्च और महान परमेश्वर, जिसका नाम पवित्र है, जो अनन्तकाल तक जीवित है, यह कहता है : ‘मैं उच्च और पवित्र स्थान में निवास करता हूं, पर मैं उसके साथ भी विद्यमान रहता हूं जिसकी आत्मा विदीर्ण और विनम्र है। मैं उस विनम्र व्यक्ति की आत्मा को संजीव करता हूं, और उसके विदीर्ण हृदय को पुनर्जीवित। पवित्र बाइबल वह जो ऊँचा है और जिसको ऊपर उठाया गया है, वह जो अमर है, वह जिसका नाम पवित्र है, वह यह कहता है, “एक ऊँचे और पवित्र स्थान पर रहा करता हूँ, किन्तु मैं उन लोगों के बीच भी रहता हूँ जो दु:खी और विनम्र हैं। ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो मन से विनम्र हैं। ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो मन से विनम्र हैं। ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो हृदय से दु:खी हैं। Hindi Holy Bible क्योंकि जो महान और उत्तम और सदैव स्थिर रहता, और जिसका नाम पवित्र है, वह यों कहता है, मैं ऊंचे पर और पवित्र स्थान में निवास करता हूं, और उसके संग भी रहता हूं, जो खेदित और नम्र हैं, कि, नम्र लोगों के हृदय और खेदित लोगों के मन को हषिर्त करूं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्योंकि जो महान् और उत्तम और सदैव स्थिर रहता, और जिसका नाम पवित्र है, वह यों कहता है, “मैं ऊँचे पर और पवित्रस्थान में निवास करता हूँ, और उसके संग भी रहता हूँ, जो खेदित और नम्र है, कि नम्र लोगों के हृदय और खेदित लोगों के मन को हर्षित करूँ। सरल हिन्दी बाइबल क्योंकि जो महान, उत्तम और सदा-सर्वदा जीवित रहते हैं— जिनका नाम ही पवित्र है, वे यों कहते हैं: “मैं ऊंचे एवं पवित्र स्थान में निवास करता हूं, और दुःखी तथा नम्र लोगों के साथ भी रहता हूं, ताकि मैं नम्र और दुःखी लोगों के मन को खुशी दूं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि जो महान और उत्तम और सदैव स्थिर रहता, और जिसका नाम पवित्र है, वह यह कहता है, “मैं ऊँचे पर और पवित्रस्थान में निवास करता हूँ, और उसके संग भी रहता हूँ, जो खेदित और नम्र हैं, कि, नम्र लोगों के हृदय और खेदित लोगों के मन को हर्षित करूँ। |
अब्राहम ने बएर-शबा में झाऊ-वृक्ष का एक पौधा लगाया, और वहाँ प्रभु के नाम से शाश्वत परमेश्वर की आराधना की।
‘हे परमेश्वर, क्या तू पृथ्वी पर रह सकता है? देख, ऊंचे से ऊंचा आकाश भी तुझे नहीं समा सकता। तब तू मेरे इस भवन में, जिसको मैंने बनाया है, कैसे समाएगा?
तूने हृदय से पश्चात्ताप किया। तूने मेरे सम्मुख, अपने परमेश्वर के सम्मुख, स्वयं को विनम्र बनाया। तूने इस स्थान के विरुद्ध, इसके निवासियों के विरुद्ध मेरी वाणी सुनी और मेरे सम्मुख स्वयं को दीन बनाया। तूने पश्चात्ताप प्रकट करने के लिए अपने वस्त्र फाड़े, और मेरे सम्मुख रोया। सुन, मैं-प्रभु यह कहता हूँ : मैंने तेरी प्रार्थना सुनी।
तब मुझे शान्ति प्राप्त होती; मैं पीड़ा में भी आनन्दित होता; क्योंकि मैंने पवित्र परमेश्वर के वचनों को कभी अस्वीकार नहीं किया।
प्रभु ने अपने निज लोगों के लिए उद्धार भेजा; उसने सदैव के लिए अपना विधान स्थापित किया। उसका नाम पवित्र और आतंकमय है!
यद्यपि प्रभु, तू उच्चासन पर विराजमान है, तो भी तू नम्र मनुष्य पर दृष्टि करता है; पर तू दूर से ही अहंकारियों को पहचान लेता है।
प्रभु, यद्यपि मैं संकटमय मार्ग पर चलता हूं, तो भी तू मेरी जीवन-रक्षा करता है। तू मेरे शत्रुओं के क्रोध से मेरी रक्षा के लिए अपना हाथ बढ़ाता है, तेरा दाहिना हाथ मुझे बचाता है।
विदीर्ण आत्मा की बलि परमेश्वर को प्रिय है, हे परमेश्वर, तू विदीर्ण और भग्न हृदय की उपेक्षा नहीं करता।
तब तू विधि-सम्मत बलिदानों से, अग्निबलि और पूर्ण अग्निबलि से प्रसन्न होगा। तब लोग तेरी वेदी पर सांड़ों को चढ़ाएंगे।
पर्वतों के उत्पन्न होने के पहिले, तेरे द्वारा संसार की सृष्टि होने के पूर्व, युग-युगान्त से तू ही परमेश्वर है।
हे प्रभु, तू ही, समस्त पृथ्वी पर सर्वोच्च है; तू समस्त देवताओं के ऊपर अत्यन्त उन्नत है।
‘हे प्रभु, देवताओं में तेरे सदृश कौन है? तेरे समान पवित्रता में महाप्रतापी, स्तुत्य कार्यों में भयावह, आश्चर्यपूर्ण कर्मों का कर्ता और कौन है?
‘जिन लोगों को तूने मुक्त किया, उनका, अपनी प्रजा का, तूने करुणा से नेतृत्व किया। तूने अपनी शक्ति से उनका अपने पवित्र निवास स्थान तक मार्गदर्शन किया।
मूसा मिलन-शिविर में प्रवेश नहीं कर सके; क्योंकि उस पर मेघ का वास था, और प्रभु की महिमा निवास-स्थान में भर गई थी।
घमण्डी मनुष्य के साथ उसकी लूट-मार में हिस्सा बांटने की अपेक्षा गरीब मनुष्य के साथ विनम्रता से रहना श्रेष्ठ है।
प्रभु ने मुझसे यों कहा : “सूर्य की तेज धूप के समान, फसल की कटनी के समय ओस-भरे बादल के समान मैं अपने निवास-स्थान से उन पर चुपचाप दृष्टिपात करूंगा।”
प्रभु महान है; क्योंकि वह उच्च स्थान पर विराजमान है। वह सियोन पर्वत को न्याय और धार्मिकता से परिपूर्ण करेगा।
क्या तुम नहीं जानते? क्या तुमने नहीं सुना? प्रभु शाश्वत परमेश्वर है, वह समस्त पृथ्वी का सृष्टिकर्ता है। वह न निर्बल है, और न थकता है। उसकी समझ अगम है!
प्रभु कहता है : ‘देखो, मेरा सेवक सफल होगा; वह उन्नत होगा; वह ऊंचा उठाया जाएगा; वह अति महान होगा।
जिस वर्ष राजा उज्जियाह की मृत्यु हुई, मैंने यह दर्शन देखा : एक बहुत ऊंचे सिंहासन पर स्वामी बैठा है। उसकी राजसी पोशाक के छोर से मन्दिर भर गया है।
एक दूत दूसरे दूत से उच्च स्वर में यह कह रहा था : ‘पवित्र, पवित्र, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु पवित्र है। सम्पूर्ण पृथ्वी उसके तेज से परिपूर्ण है।’
प्रभु, स्वर्ग से, अपने पवित्र और वैभवपूर्ण निवास-स्थान से हम पर दृष्टि कर। कहां है तेरा हमारे प्रति उत्साह? कहाँ है तेरी शक्ति? अपने हृदय की ललक, अपनी दया, हम पर से मत हटा।
किन्तु प्रभु ही सच्चा ईश्वर है। वह जीवंत परमेश्वर है, और शाश्वत महाराजाधिराज है। जब वह क्रुद्ध होता है, तब पृथ्वी कांप उठती है; उसके क्रोध को सहन करने की शक्ति किसी राष्ट्र में नहीं है।
मैं तेरे सब कुकर्मों को क्षमा कर दूंगा ताकि तू अपने कुकर्मों को स्मरण करे, और उनके लिए लज्जित हो। तब तू अपनी इस लज्जा के कारण अपना मुंह फिर खोलने का साहस नहीं करेगी।’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
प्रभु ने उससे कहा, ‘यरूशलेम नगर में जाओ, और उन-सब मनुष्यों के माथे पर चिह्न लगाओ, जो नगर में किए जा रहे घृणित कार्यों के लिए दु:ख मनाते और शोक करते हैं।’
जो बात महाराज हमसे पूछ रहे हैं, वह कठिन है, और केवल देवता ही महाराज को उनका स्वप्न बता सकते हैं। पर देवता तो मनुष्य के मध्य नहीं रहते।’
‘यह दण्ड प्रहरियों के आदेश के अनुसार दिया गया। यह निर्णय पवित्र दूतों के वचन के अनुरूप है। यह इसलिए दिया गया कि जीव-लोक के प्राणी जान लें कि सर्वोच्च परमेश्वर मनुष्यों के राज्य पर शासन करता है, और वह जिस को चाहता है, उसको यह राज्य देता है, और उस पर शासन करने के लिए छोटे-से-छोटे मनुष्य को भी नियुक्त करता है।’
“सात वर्ष बीतने के बाद मैं नबूकदनेस्सर ने स्वर्ग की ओर दीनता से आंखें उठाईं, और मेरा विवेक लौट आया। मैंने सर्वोच्च परमेश्वर को धन्य कहा, जो सदा-सर्वदा जीवित है। मैंने इन शब्दों में उसकी महिमा और स्तुति की; “परमेश्वर का राज्य शाश्वत है; उसका शासन पीढ़ी से पीढ़ी बना रहता है।
अपने वस्त्र नहीं, वरन् अपना हृदय विदीर्ण करो।’ ओ यहूदा देश, अपने प्रभु परमेश्वर की ओर लौट। वह कृपालु और दयालु है। वह विलम्ब क्रोधी और महा करुणा सागर है। वह दु:ख देकर पछताता है।
‘ओ बेतलेहम एप्राता, तू निस्सन्देह यहूदा प्रदेश के सब नगरों में छोटा है; पर तुझसे ही वह व्यक्ति निकलेगा, जो मुझ-प्रभु के लिए इस्राएली राष्ट्र पर शासन करेगा। उसका उद्गम प्राचीन काल से, पुराने जमाने से है।’
ओ मानव, प्रभु ने तुझे बताया है कि उचित क्या है, और वह तुझसे क्या चाहता है। यही न कि तू न्याय-सिद्धान्त का पालन करे करुणा से प्रेम करे, और नम्रतापूर्वक अपने परमेश्वर के मार्ग पर चले?
ओ सब प्राणियो, प्रभु के सम्मुख मौन रहो। प्रभु उत्तेजित हो कर अपने पवित्र निवास-स्थान से बाहर निकल रहा है।
ओ सियोन के निवासियो, अत्यधिक आनन्द मनाओ! ओ यरूशलेम के निवासियो, जय-जयकार करो! देखो, तुम्हारा राजा तुम्हारे पास आ रहा है, वह धार्मिक है, उसने विजय प्राप्त की है। वह विनम्र है, और विनम्रता के प्रतीक गदहे पर, उसके बछेरू पर, नहीं, वह लद्दू के बछेरू पर बैठा है।
अत: तुम इस प्रकार प्रार्थना किया करो : हे स्वर्ग में विराजमान हमारे पिता! तेरा नाम पवित्र माना जाए।
“प्रभु का आत्मा मुझ पर है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है कि मैं गरीबों को शुभ-समाचार सुनाऊं, उसने मुझे भेजा है जिससे मैं बन्दियों को मुक्ति का और अन्धों को दृष्टि-प्राप्ति का सन्देश दूँ, मैं दलितों को स्वतन्त्र करूँ
संसार की सृष्टि के समय से ही परमेश्वर के अदृश्य स्वरूप को, अर्थात् उसकी शाश्वत शक्तिमत्ता और उसके ईश्वरत्व को, बुद्धि की आँखों द्वारा उसके कार्यों में देखा जा सकता है। इसलिए वे अपने आचरण की सफाई देने में असमर्थ हैं;
वह सब कष्टों में हमें सान्त्वना देता रहता है, जिससे परमेश्वर की ओर से हमें जो सान्त्वना मिलती है, उसी के द्वारा हम दूसरों को भी, उनके हर प्रकार के कष्ट में सान्त्वना देने के लिए, समर्थ हो जायें;
अब आप को ही उसे क्षमा और सान्त्वना देनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि वह अत्यधिक दु:ख में डूब जाये।
किन्तु दीन-हीन लोगों को सान्त्वना देने वाले परमेश्वर ने हम को तीतुस के आगमन द्वारा सान्त्वना दी।
शाश्वत परमेश्वर तेरा आश्रय है; उसकी शाश्वत बाहें तेरा सहारा हैं। उसने तेरे सम्मुख से तेरे शत्रुओं को निकाला है। उसने ही तुझे यह आदेश दिया, “उन्हें नष्ट कर दो!”
युगों के अधिपति, अविनाशी, अदृश्य और अतुल्य परमेश्वर का सम्मान तथा महिमा युगानुयुग होती रहे!
जो अमरता का एकमात्र स्रोत है, जो अगम्य ज्योति में निवास करता है, जिसे न तो किसी मनुष्य ने कभी देखा है और न कोई देख सकता है। उसे सम्मान प्राप्त हो तथा उसका सामर्थ्य युगानुयुग बना रहे! आमेन!
तो फिर मसीह का रक्त, जिन्होंने अपने आपको शाश्वत आत्मा के द्वारा निर्दोष बलि के रूप में परमेश्वर को अर्पित किया, हमारे अन्त:करण को मृत कर्मों से क्यों नहीं शुद्ध करेगा और हमें जीवन्त परमेश्वर की सेवा के योग्य क्यों नहीं बनायेगा?
वह प्रचुर मात्रा में अनुग्रह भी देता है, जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है, “परमेश्वर घमण्डियों का विरोध करता, किन्तु विनीतों को अनुग्रह प्रदान करता है।”
और तुम, नवयुवको! धर्मवृद्धों की अधीनता स्वीकार करो। आप सब नम्रतापूर्वक एक दूसरे की सेवा के लिए कमर कस कर तैयार रहें; क्योंकि परमेश्वर घमण्डियों का विरोध करता है, किन्तु वह विनम्र लोगों पर दया करता है।
प्रभु! कौन तुझ पर श्रद्धा और तेरे नाम की स्तुति नहीं करेगा? क्योंकि तू ही पवित्र है। सभी राष्ट्र आ कर तेरी आराधना करेंगे, क्योंकि तेरे न्यायसंगत निर्णय प्रकट हो गये हैं।”
“फ़िलदेलफिया की कलीसिया के दूत को यह लिखो : “जो पवित्र और सच्चा है, जिसके पास दाऊद की कुंजी है, जिसके खोलने पर कोई नहीं बन्द कर सकता और जिसके बन्द करने पर कोई नहीं खोल सकता, उसका सन्देश इस प्रकार है :
चारों प्राणियों के छह-छह पंख हैं; वे भीतर-बाहर आँखों से भरे हुए हैं और रात-दिन निरन्तर यह कहते रहते हैं। “पवित्र, पवित्र, पवित्र सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर! जो था, जो है और जो आनेवाला है।”
‘प्रभु के सदृश कोई पवित्र नहीं है। निस्सन्देह उसके अतिरिक्त कोई नहीं है। हमारे परमेश्वर जैसी कोई चट्टान नहीं है।