‘ओ मेरे पुत्र सुलेमान, अपने पिता के परमेश्वर का अनुभव कर, और अपने सम्पूर्ण हृदय और प्रसन्न चित्त से उसकी सेवा कर। प्रभु हृदय को परखता है। वह हर एक योजना और विचार को जानता है। यदि तू उसको खोजेगा तो वह तुझको प्राप्त होगा। परन्तु यदि तू उसको त्याग देगा, तो वह तुझे सदा के लिए त्याग देगा।
फिर भी प्रभु ने आप में कुछ अच्छाई पाई; क्योंकि आपने यहूदा प्रदेश में अशेराह देवी के पूजा-स्तम्भ नष्ट कर दिए, और परमेश्वर को खोजने में अपना मन लगाया है।’
एलाम वंश के शकन्याह बेन-यहीएल ने एज्रा से कहा, ‘हमने अपने परमेश्वर के विरुद्ध विश्वासघात किया, और इस देश में रहने वाली विदेशी जातियों की कन्याओं से विवाह किया। पर इस अपराध के बावजूद इस्राएली कौम के बचने की अब भी आशा शेष है।
प्रभु ने अपने निज लोगों को शक्तिमान बनाया है; समस्त सन्तों के लिए इस्राएल की सन्तान के लिए, उस प्रजा के लिए जो प्रभु के निकट है, यह स्तुति का विषय है। प्रभु की स्तुति करो!
मेरे प्राण रात में तेरे लिए तरसते हैं, मेरी आत्मा मेरे अन्त: में तुझे ढूंढ़ती है। जब तेरे न्याय-सिद्धान्त पृथ्वी पर प्रबल होते हैं, तब संसार के निवासी धर्म को सीखते हैं।
मैंने किसी गुप्त स्थान में, या कहीं अंधकारमय क्षेत्र में नहीं कहा; मैंने याकूब के वंशजों से यह नहीं कहा, “मुझे निर्जन स्थान में ढूंढ़ना।” मैं प्रभु हूं, मैं केवल सच बोलता हूं; मैं उचित बात बताता हूं।’
मैं अपना उद्धार तुम्हारे समीप ला रहा हूं, अब वह तुमसे बहुत दूर नहीं है। मेरी ओर से उद्धार में देर नहीं होगी। मैं सियोन को अपना उद्धार, और इस्राएल को अपनी महिमा प्रदान करूंगा।
प्रभु यों कहता है : ‘कृपा के समय मैंने तेरी प्रार्थना सुनी, उद्धार के दिन मैंने तेरी सहायता की। मैंने तुझे सुरक्षित रखा है, और जनता के लिए विधान के रूप में तुझे नियुक्त किया है, ताकि तू देश का पुन: निर्माण करे, उजाड़ पैतृक-भूमि का पुन: आबंटन करे;
तब तू मुझ-प्रभु को संकट में पुकारेगा और वह तुझको उत्तर देगा। तू उसकी दुहाई देगा, और वह तुझसे कहेगा: ‘मैं प्रस्तुत हूं।’ यदि तू अपने मध्य से दूसरे को गुलाम बनाना, लोगों पर अंगुली उठाना, दुष्ट वचन बोलना दूर कर दे;
प्रभु कहता रहा, “तुम में से प्रत्येक मनुष्य पश्चात्ताप करे, अपने बुरे मार्ग से लौटे, अपने दुष्कर्मों को छोड़े, और लौट कर उस देश पर निवास करे जो तुम्हारे प्रभु ने तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को प्राचीन काल में सदा के लिए दिया था।
‘इसलिए, तू इस्राएली कुल से यह बोल : स्वामी-प्रभु यों कहता है, ओ इस्राएली कुल! पश्चात्ताप करो। अपनी घृणित मूर्तियों से मुंह मोड़ो और अपने घृणित कार्यों को छोड़ो। ओ इस्राएल के वंशजो, मेरी ओर लौटो।
ओ मानव, तू उनसे यह कह : “मैं स्वयं स्वामी-प्रभु बोल रहा हूँ : मुझे अपने जीवन की सौगन्ध है! मैं किसी भी दुर्जन की मृत्यु से प्रसन्न नहीं होता हूँ। किन्तु मुझे तब प्रसन्नता होती है, जब दुर्जन अपना बुरा आचरण छोड़ देता है और मरने से बच जाता है। इसी प्रकार ओ इस्राएल के वंशजो, अपने बुरे आचरण को छोड़ दो, अपने बुरे मार्ग से पीठ फेर लो। तुम क्यों मरना चाहते हो?”
उसने मुझसे फिर कहा, ‘ओ मानव, क्या तू देख रहा है कि वे क्या कर रहे हैं? इस्राएल का यह कुल मन्दिर में कितने घृणित कार्य कर रहा है! वह मुझे इस पवित्र स्थान से भगा देना चाहता है। परन्तु तू इन से भी अधिक घृणित कार्य देखेगा।’
महाराज, मैं आपसे निवेदन करता हूं, आप मेरा यह परामर्श स्वीकार कीजिए: सद् आचरण कर अपने पाप के बन्धनों को तोड़ दीजिए। आप पीड़ितों के प्रति दया कर अधर्म से मुक्त हो जाइए। तब संभव है कि आपकी शांति के ये दिन लम्बे हो जाएं।”
अपनी भलाई के लिए धार्मिकता के बीज बोओ, तब करुणा की फसल काटोगे। अपनी परती भूमि को जोतो। प्रभु को ढूंढ़ने का यह समय है, जिससे वह तुम्हारे पास आए, और तुम पर धार्मिकता की वर्षा करे।
प्रभु को खोजो तब तुम जीवित रहोगे। ऐसा न हो कि वह यूसुफ के वंशजों पर आग के सदृश बरसने लगे! आग तुम्हें भस्म कर देगी। बेत-एल में उसे बुझानेवला कोई न होगा।
हर एक मनुष्य और पशु अपने शरीर पर टाट के वस्त्र लपेटेगा। मनुष्य छाती पीट-पीटकर परमेश्वर की दुहाई देंगे। प्रत्येक मनुष्य अपने दुराचरण को त्याग दे, और दुष्कर्मों को छोड़ दे।
“कचहरी जाते समय रास्ते में ही अपने मुद्दई से समझौता कर लो। कहीं ऐसा न हो कि वह तुम्हें न्यायाधीश के हवाले कर दे, न्यायाधीश तुम्हें सिपाही के हवाले कर दे और सिपाही तुम्हें बन्दीगृह में डाल दे।
जब घर का स्वामी उठ कर द्वार बन्द कर चुका होगा, तो तुम बाहर रह कर द्वार खटखटाओगे और कहोगे, ‘प्रभु! हमारे लिए खोल दीजिए’। वह तुम्हें उत्तर देगा, ‘मैं नहीं जानता कि तुम कहाँ से आए हो।’
किन्तु वहां से ही तुम अपने प्रभु परमेश्वर की खोज करोगे। यदि तुम अपने सम्पूर्ण हृदय से, अपने सम्पूर्ण प्राण से उसकी खोज करोगे, तो तुम उसे प्राप्त भी कर सकोगे।
ऐसा कौन महान् राष्ट्र है, जिसका ईश्वर उसके समीप रहता है, जैसा हमारा प्रभु परमेश्वर हमारे समीप रहता है? जब-जब हम उसे पुकारते हैं, वह हमारी प्रार्थना सुनता है।
तो हम कैसे बच सकेंगे, यदि हम उस महान् मुक्ति का तिरस्कार करेंगे, जिसकी घोषणा पहले पहल प्रभु द्वारा हुई थी? जिन लोगों ने प्रभु को सुना, उन्होंने उनके सन्देश को हमारे लिए प्रमाणित किया।