तब दो गुण्डे आए। वे नाबोत के सम्मुख बैठ गए। गुण्डों ने जनता की उपस्थिति में नाबोत के विरुद्ध साक्षी दी। उन्होंने कहा, ‘नाबोत ने परमेश्वर और राजा को अपशब्द कहे थे।’ अत: धर्मवृद्ध और अभिजात वर्ग के लोग नाबोत को पकड़ कर नगर के बाहर ले गए। उन्होंने उसको पत्थरों से मारा, और उसका वध कर दिया।
इसलिए, तुममें प्रभु का भय हो। जो भी प्रशासनिक काम करो, उसको सोच-समझकर करो; क्योंकि हमारा प्रभु परमेश्वर न तो अन्यायी है, और न पक्षपाती, और न वह घूसखोर है।’
तेरे शासक कानून के विरोधी हैं, वे चोरों के साथी हैं। वे-सब रिश्वत के लोभी हैं। वे उपहारों के पीछे दौड़ते हैं। वे अनाथों का न्याय नहीं करते, और न विधवाओं का मुकदमा उन तक पहुंच ही पाता है।
तुम इन अन्यायपूर्ण नियमों से गरीब को न्याय से वंचित करते हो; मेरी प्रजा के कमजोर वर्ग का हक मारते हो; तुम विधवाओं को लूटते हो; अनाथों को अपना शिकार बनाते हो।
यरूशलेम के पुरोहित और नबी भी मदिरा पीकर डगमगाते हैं : वे शराब के कारण लड़खड़ाते हैं। निस्सन्देह पुरोहित और नबी मदिरा पीकर डगमगाते हैं। मदिरा के कारण उनकी मति भ्रष्ट हो गई; वे प्रभु के दर्शन को समझने में भूल करते हैं। वे फैसला सुनाते समय शराब के कारण लड़खड़ाते हैं।
जो मनुष्यों को शब्दों में फंसाते हैं, जो अदालत में न्याय करनेवाले के लिए जाल रचते हैं, और जो झूठे तर्कों के द्वारा सच्चे मनुष्य को परास्त करते हैं, वे सब मिट जाएंगे।
मैं जानता हूं कि तुमने कितने अपराध किए हैं, तुम्हारे पाप कितने गम्भीर हैं। तुम धार्मिक व्यक्ति को दु:ख देते हो, और उससे घूस लेते हो। तुम न्यायालय के द्वार से दीन-हीन व्यक्ति को भगा देते हो।
तुम्हारे अगुए घूस लेकर न्याय करते, पुरोहित पैसे लेकर धर्म की बातें सिखाते, और नबी धन के लिए शकुन विचारते हैं; फिर भी वे प्रभु का सहारा लेते, और यह कहते हैं, ‘निस्सन्देह प्रभु हमारे मध्य है! हम विपत्ति में नहीं पड़ेंगे।’
उनके हाथ में दुष्कर्म हैं, वे कुकर्म करने में निपुण हैं। शासक और न्यायाधीश घूस मांगते हैं। बड़े लोग मनमानी करते हैं। यों ये सब मिलकर कुचक्र रचते हैं।
जिससे पृथ्वी पर धर्मात्माओं का जितना रक्त बहाया गया − धर्मी हाबिल के रक्त से ले कर बेरेकयाह के पुत्र जकर्याह के रक्त तक, जिसे तुम लोगों ने मन्दिर और वेदी के बीच मार डाला था − वह सब तुम्हारे सिर पर पड़े।
तू न्याय को भ्रष्ट मत करना। तू पक्षपात नहीं करना। तू घूस मत लेना; क्योंकि घूस बुद्धिमान व्यक्ति की आंख को बन्द कर देती है। वह धार्मिकों के न्याय-पक्ष को उलट देती है।