यशायाह 45:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मैंने पृथ्वी को बनाया है, मैंने ही मनुष्य को रचा है, ताकि वह उस पर निवास करे। मेरे ही हाथों ने आकाश को वितान के समान ताना है; मेरे ही आदेश से आकाश के तारागण स्थित हैं। पवित्र बाइबल सो देख, मैंने धरती बनायी और वे सभी लोग जो इस पर रहते हैं, मेरे बनाये हुए हैं। मैंने स्वयं अपने हाथों से आकाशों की रचना की, और मैं आकाश के सितारों को आदेश देता हूँ। Hindi Holy Bible मैं ही ने पृथ्वी को बनाया और उसके ऊपर मनुष्यों को सृजा है; मैं ने अपने ही हाथों से आकाश को ताना और उसके सारे गणों को आज्ञा दी है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मैं ही ने पृथ्वी को बनाया और उसके ऊपर मनुष्यों को सृजा है; मैं ने अपने ही हाथों से आकाश को ताना और उसके सारे गणों को आज्ञा दी है। सरल हिन्दी बाइबल मैं ही हूं वह जिसने पृथ्वी को बनाया तथा मनुष्य की रचना की. अपने ही हाथों से मैंने आकाश को फैलाया; और उसके सारे तारों को आज्ञा दी है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 मैं ही ने पृथ्वी को बनाया और उसके ऊपर मनुष्यों को सृजा है; मैंने अपने ही हाथों से आकाश को ताना और उसके सारे गणों को आज्ञा दी है। |
‘फारस देश के सम्राट कुस्रू का यह आदेश है : स्वर्ग के परमेश्वर, प्रभु ने पृथ्वी के समस्त देश मुझे प्रदान किए और मुझे यह आज्ञा दी कि मैं यहूदा प्रदेश के यरूशलेम नगर में उसके लिए एक भवन बनाऊं।
एज्रा ने कहा, ‘प्रभु, केवल तू ही प्रभु है! तूने ही आकाश को, सर्वोच्च आकाश को, नक्षत्रों और तारों को बनाया है। तूने पृथ्वी और सागर को, तथा उनमें जो कुछ है, उन-सब को रचा है। तू उनका पालन-पोषण भी करता है। प्रभु, स्वर्ग की सेना तेरी वन्दना करती है।
क्या तुम परमेश्वर के समान, आकाश- मण्डल को, जो ढले हुए दर्पण की तरह पक्का है, चादर के सदृश तान सकते हो?
“हे स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु, इस्राएल के परमेश्वर! तू करूबों पर विराजमान है। केवल तू ही पृथ्वी के समस्त राज्यों का परमेश्वर है। तूने ही पृथ्वी और आकाश को बनाया है।
अपनी अंजली से किसने महासागर को नापा है? किसने बित्ते से आकाश को नापा है? किसने पृथ्वी की मिट्टी को नाप में भरा है? किसने तराजू से पहाड़ी को तौला है? किसने पहाड़ियों को पलड़ों में रखा है?
वह प्रभु ही है जो पृथ्वी के चक्र के ऊपर विराजमान है। और हम, पृथ्वी के निवासी, मात्र टिड्डियां हैं! प्रभु आकाश को वितान के समान तानता है, उसको तम्बू के समान फैलाता है ताकि मनुष्य उस के नीचे रह सकें।
आकाश की ओर आंखें उठाओ, और देखो: इन तारों को किसने रचा है? मैं-प्रभु ने! मैं सेना के सदृश उनकी गणना करता हूं; और हर एक तारे को उसके नाम से पुकारता हूं। मेरी शक्ति असीमित है, मेरा बल अपार है, अत: प्रत्येक तारा मुझे उत्तर देता है।”
क्या तुम नहीं जानते? क्या तुमने नहीं सुना? प्रभु शाश्वत परमेश्वर है, वह समस्त पृथ्वी का सृष्टिकर्ता है। वह न निर्बल है, और न थकता है। उसकी समझ अगम है!
प्रभु परमेश्वर, जिसने आकाश को बनाया और उसको विस्तृत फैलाया है, जिसने पृथ्वी और उस पर होनेवाली प्रत्येक वस्तु की रचना की है; जो पृथ्वी के सब लोगों में प्राण डालता है, जो पृथ्वी पर विचरनेवालों को आत्मा प्रदान करता है, वह यों कहता है:
तेरा मुक्तिदाता, तुझे गर्भ में गढ़नेवाला प्रभु यों कहता है: “मैं ही प्रभु हूं, मैं ही सबका बनानेवाला हूं। मैंने ही आकाश को वितान के समान ताना है, मैंने ही पृथ्वी को आकार दिया है। उस समय मेरे साथ कौन था?
आकाश का स्रष्टा (वह परमेश्वर है!), पृथ्वी को आकार देनेवाला और बनानेवाला प्रभु यों कहता है: (उसने ही पृथ्वी को स्थिर किया है, उसने उसको इसलिए नहीं रचा कि वह निर्जन रहे, उसने उसे आबाद करने के लिए बनाया है।) ‘मैं ही प्रभु हूं, मुझे छोड़ दूसरा कोई प्रभु नहीं है।
मैंने अपने हाथ से पृथ्वी की नींव डाली है; मेरे ही दाहिने हाथ ने आकाश को वितान के सदृश फैलाया है। जब मैं आकाश और पृथ्वी को बुलाता हूं, तब वे दोनों मेरे सम्मुख उपस्थित हो जाते हैं!
तू अपने सृजक प्रभु को क्यों भूल गया, जिसने आकाश को फैलाया, जिसने पृथ्वी की नींव डाली? तू दिन-भर, निरन्तर अत्याचार करनेवाले के क्रोध से क्यों भयभीत रहता है? जब वह तुझे नष्ट करने को तत्पर होता है तब तू क्यों थर-थर कांपता है? कहां है अत्याचार करनेवाले का क्रोध?
मैंने ही अपने महा सामर्थ्य तथा भुजबल से यह पृथ्वी बनाई है। मैंने ही पृथ्वी के सब मनुष्यों तथा पशुओं को रचा है। यह पृथ्वी जिसको मैं देना उचित समझता हूं, उस को देता हूं।
आह! मेरे स्वामी, मेरे प्रभु! तूने ही अपने महान सामर्थ्य से, अपने भुजबल से आकाश और पृथ्वी की रचना की है। तेरे लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
प्रभु की ओर से यह एक गंभीर चेतावनी है। जिस प्रभु ने आकाश को ताना है, जिसने पृथ्वी की नींव डाली है और जिसने मानव के भीतर की आत्मा को निर्मित किया है, उस प्रभु की इस्राएल के सम्बन्ध में यह वाणी है। प्रभु यों कहता है:
‘अत: बीते हुए युगों के विषय में, जो तुम्हारे सम्मुख उस दिन से व्यतीत हुए हैं जब परमेश्वर ने मनुष्य को पृथ्वी पर रचा था, यह प्रश्न पूछो : क्या आकाश के एक सीमान्त से दूसरे सीमान्त तक कभी ऐसी महान् घटना घटी है? क्या कभी ऐसी कोई बात सुनी गई है?
विश्वास द्वारा हम जान लेते हैं कि परमेश्वर के शब्द द्वारा विश्व का निर्माण हुआ है और अदृश्य से दृश्य की उत्पत्ति हुई है।