यशायाह 38:16 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) स्वामी, इन्हीं बातों के कारण मनुष्य जीते हैं; इन्हीं बातों में मेरी आत्मा का जीवन है! प्रभु, मुझे पुन: स्वस्थ कर दे, मुझे जीवन-दान दे। पवित्र बाइबल हे मेरे स्वामी, इस कष्ट के समय का उपयोग फिर से मेरी चेतना को सशक्त बनाने में कर। मेरे मन को सशक्त और स्वस्थ होने में मेरी सहायता कर! मुझको सहारा दे कि मैं अच्छा हो जाऊँ! मेरी सहायता कर कि मैं फिर से जी उठूँ! Hindi Holy Bible हे प्रभु, इन्हीं बातों से लोग जीवित हैं, और इन सभों से मेरी आत्मा को जीवन मिलता है। तू मुझे चंगा कर और मुझे जीवित रख! पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) हे प्रभु, इन्हीं बातों से लोग जीवित हैं, और इन सभों से मेरी आत्मा को जीवन मिलता है। तू मुझे चंगा कर और मुझे जीवित रख! सरल हिन्दी बाइबल हे प्रभु, ये बातें ही तो मनुष्यों को जीवित रखती हैं; इन्हीं से मेरी आत्मा को जीवन मिलता है. आप मुझे चंगा कीजिए और जीवित रखिए. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 हे प्रभु, इन्हीं बातों से लोग जीवित हैं, और इन सभी से मेरी आत्मा को जीवन मिलता है। तू मुझे चंगा कर और मुझे जीवित रख! |
प्रभु, मैं जानता हूं कि तेरे न्याय-सिद्धान्त धार्मिक हैं, और तूने मुझे सच्चाई से पीड़ित किया है।
प्रभु तूने मेरे प्राण को मृतक-लोक से बाहर निकाला। तूने मुझे जीवित रखा कि मैं फिर अधोलोक में न जाऊं।
इससे पूर्व कि मैं प्रस्थान करूं और न रहूं, मुझ पर से अपनी दृष्टि हटा ले कि मैं प्रसन्न हो सकूं।”
तूने मुझे कई संकट दिखाए, पर तू मुझे पुनर्जीवित करेगा, पृथ्वी के गहरे स्थलों से मुझे फिर उबारेगा।
तू उन लोगों से मिलता है जो आनन्दपूर्वक धर्म के कार्य करते हैं; जो तेरे मार्गों पर चलकर तुझे स्मरण करते हैं। देख, तू हमसे क्रोधित था, क्योंकि हमने पाप किया था। हम बहुत समय तक पाप की अवस्था में रहे। क्या हम बच सकते हैं?
येशु ने उत्तर दिया, “धर्मग्रन्थ में लिखा है : ‘मनुष्य केवल रोटी से ही नहीं जीता है। बल्कि वह परमेश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक शब्द से जीवित रहता है।’ ”
फिर भी जब प्रभु ही हमें दोषी ठहराते हैं, तो यह हमारे सुधार के लिए है, जिससे हम संसार के साथ दण्डनीय न हों।
क्योंकि हमारा क्षण-भर का हलका-सा कष्ट हमें हमेशा के लिए भारी मात्रा में अपार महिमा दिलाता है।
उसने तुझे पीड़ित किया, तुझे भूख का अनुभव कराया। पर उसने तुझे “मन्ना” भी खिलाया, जिसको तू नहीं जानता था, और न तेरे पूर्वज ही जानते थे, ताकि तू जान ले कि मनुष्य केवल रोटी से जीवित नहीं रहता; किन्तु वह प्रभु के मुंह से निकले हुए प्रत्येक वचन से जीवित रहता है।
हमारे माता-पिता हमें ताड़ना देते थे और हम उनका सम्मान करते थे, तो हमें कहीं अधिक तत्परता से अपने आत्मिक पिता की अधीनता स्वीकार करनी चाहिए, जिससे हमें जीवन प्राप्त हो।