अब थोड़े समय के लिए, हमारे प्रभु परमेश्वर, तूने हम पर कृपा- दृष्टि की। हमारी कौम के कुछ लोगों को शेष रखा, इस पवित्र स्थान में हमें टिकने का सहारा दिया। हे परमेश्वर, तूने हमारी आंखों में आशा की किरण जगा दी। गुलामी की दशा में हमारे जीवन को कुछ विश्राम दिया।
यहूदी मोरदकय का पद और स्थान सम्राट क्षयर्ष के बाद था। वह यहूदी कौम में महान व्यक्ति माना जाता था। यहूदी समाज उससे प्रसन्न था। वह अपनी कौम की भलाई के काम में जुटा रहता था, और अपने जातीय भाई-बन्धुओं का कल्याण चाहता था।
यदि तू ऐसे संकट के समय में चुप रहेगी तो भी कहीं न कहीं से यहूदियों को सहायता प्राप्त हो जाएगी, और वे इस संकट से मुक्त हो जाएंगे, पर तू और तेरा पितृकुल नष्ट हो जाएगा। कौन जानता है, ऐसे ही संकट के समय अपनी कौम को बचाने के लिए तुझे यह राजपद प्राप्त हुआ है?’
बुद्धिमान व्यक्ति के कथन अंकुश की तरह होते हैं। सभा के मुखियों के द्वारा दिए गए ये संकलित कथन, मजबूती से ठोंकी गई खूंटियों के समान हैं, क्योंकि इनका दाता एकमात्र ‘चरवाहा’ है।
स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: निश्चित स्थान में प्रतिष्ठित की गई खूंटी उस दिन अपने स्थान से उखाड़ ली जाएगी। वह काटी जाएगी और टूटकर गिर जाएगी। जो भार उस पर लदा था, वह गिरकर नष्ट हो जाएगा।” प्रभु ने यह कहा है।
“जो विजय प्राप्त करता है, उसको मैं उसी तरह अपने साथ अपने सिंहासन पर विराजमान होने का अधिकार दूँगा, जिस तरह मैं विजय प्राप्त कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर विराजमन हूँ।
वह दुर्बलों को धूल से उठाकर खड़ा करता है, दरिद्रों को राख के ढेर से निकालकर उठाता है। वह उन्हें शासकों के साथ बैठाता है; वह उन्हें सम्मानित आसन का उत्तराधिकारी बनाता है; क्योंकि पृथ्वी के आधार-स्तम्भ प्रभु के ही हैं, इन पर ही उसने जगत को खड़ा किया है।