दुर्जनों का राजदण्ड धार्मिकों की भूमि पर टिका न रहेगा, ऐसा न हो कि भक्त अन्याय की ओर अपने हाथ बढ़ाएं।
यशायाह 14:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रभु ने दुष्टों का डंडा, शासकों का राजदण्ड तोड़ दिया, पवित्र बाइबल यहोवा दुष्ट शासकों का राज दण्ड तोड़ देता है। यहोवा उनसे उनकी शक्ति छीन लेता है। Hindi Holy Bible यहोवा ने दुष्टों के सोंटे को और अन्याय से शासन करने वालों के लठ को तोड़ दिया है, पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यहोवा ने दुष्टों के सोंटे को और अन्याय से शासन करनेवालों के लठ को तोड़ दिया है, सरल हिन्दी बाइबल याहवेह ने दुष्ट के दंड और शासकों की लाठी को तोड़ डाला है, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यहोवा ने दुष्टों के सोंटे को और अन्याय से शासन करनेवालों के लठ को तोड़ दिया है, |
दुर्जनों का राजदण्ड धार्मिकों की भूमि पर टिका न रहेगा, ऐसा न हो कि भक्त अन्याय की ओर अपने हाथ बढ़ाएं।
प्रभु ने कहा था : ‘ओ असीरिया, धिक्कार है तुझे! तू मेरे क्रोध को चरितार्थ करनेवाला डंडा है; तू मेरी क्रोधाग्नि को सिद्ध करनेवाला सोंटा है।
मैं दुनिया को उसकी दुष्टता के लिए, और दुर्जनों को उनके दुष्कर्म के लिए दण्ड दूंगा। मैं अहंकारी का अहंकार मिटा दूंगा; मैं अत्याचारी की घमण्ड से चढ़ी हुई आंखों को नीचा करूंगा।
ओ पलिश्ती राज्य-संघ! आनन्द मत मना, कि जिस लाठी से तुझे पीटा जाता था, वह टूट गई! पर जैसे जड़ से अंकुर फूटता है, वैसे सर्प से काला नाग उत्पन्न होगा। वह बढ़कर उड़नेवाला सर्पासुर बन जाएगा!
तब तू बेबीलोन के सम्राट के सम्बन्ध में व्यंग्य-गीत गाना: ‘अत्याचारी का कैसा अन्त हुआ, उसका उन्माद ठण्डा पड़ गया!
जिससे वे देशों पर क्रोधावेश में निरन्तर अचूक प्रहार करते थे, जिसके द्वारा वे रोष में राष्ट्रों पर शासन करते थे, और उनको लगातार सताते थे।
प्रभु, तूने इस्राएली राष्ट्र की समृद्धि की; तूने उसके आनन्द में समृद्धि की; जैसे वे लूट का माल परस्पर बांटते समय उल्लसित होते हैं, जैसे वे फसल-कटाई के पर्व पर हर्षित होते हैं, वैसे ही आज तेरे सम्मुख आनन्द मना रहे हैं।
तूने इस्राएली राष्ट्र की गुलामी के जूए को, उसके कन्धे की कांवर को, अत्याचारी की लाठी को तोड़ दिया है, जैसे मिद्यानी सेना के युद्ध-दिवस पर तूने किया था।
‘वे सुनते हैं कि मैं पीड़ा से कराहती हूं, पर कोई मुझे सांत्वना नहीं देता। मेरे सब शत्रुओं ने मेरे संकट के विषय में सुना; प्रभु, वे प्रसन्न हैं कि तूने मुझे संकट में डाला। जिस दिन की तूने घोषणा की है वह दिन अविलम्ब ला, ताकि मेरे शत्रु भी मुझ जैसे दु:ख भोगें।
प्रभु, क्या वह जाल में मछली सदा पकड़ता रहेगा? क्या वह निर्दयता से राष्ट्रों का वध हमेशा करता रहेगा?’