यों दाऊद समस्त इस्राएल देश पर राज्य करने लगा। वह जनता पर न्याय और धार्मिकता से शासन करता था।
यशायाह 1:21 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जो नगरी सती-साध्वी थी, वह कैसे वेश्या बन गई! वह न्याय-प्रिय थी, उसमें धर्म का निवास था। पर अब? वहाँ हत्यारे बसे हुए हैं। पवित्र बाइबल परमेश्वर कहता है, “यरूशलेम की ओर देखो। यरूशलेम एक ऐसी नगरी थी जो मुझमें विश्वास रखती थी और मेरा अनुसरण करती थी। वह वेश्या की जैसी किस कारण बन गई अब वह मेरा अनुसरण नहीं करती। यरूशलेम को न्याय से परिपूर्ण होना चाहिये। यरूशलेम के निवासियों को, जैसे परमेश्वर चाहता है, वैसे ही जीना चाहिये। किन्तु अब तो वहाँ हत्यारे रहते हैं।” Hindi Holy Bible जो नगरी सती थी सो क्योंकर व्यभिचारिन हो गई! वह न्याय से भरी थी और उस में धर्म पाया जाता था, परन्तु अब उस में हत्यारे ही पाए जाते हैं। तेरी चान्दी घातु का मैल हो गई, पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जो नगरी सती–साध्वी थी वह कैसे व्यभिचारिन हो गई! वह न्याय से भरी थी और उसमें धर्म पाया जाता था, परन्तु अब उसमें हत्यारे ही पाए जाते हैं। सरल हिन्दी बाइबल वह नगर जिसमें सत्य, न्याय और धार्मिकता पाई जाती है, उसमें व्यभिचार कैसे बढ़ गया! इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जो नगरी विश्वासयोग्य थी वह कैसे व्यभिचारिणी हो गई! वह न्याय से भरी थी और उसमें धार्मिकता पाया जाता था, परन्तु अब उसमें हत्यारे ही पाए जाते हैं। |
यों दाऊद समस्त इस्राएल देश पर राज्य करने लगा। वह जनता पर न्याय और धार्मिकता से शासन करता था।
राजा यहोशाफट ने यह आदेश दिया, ‘तुम प्रभु से डरते हुए, सच्चाई से और निष्कपट हृदय से जनता का न्याय करना।
अब तक केवल इस्राएली समाज के मुखिया यरूशलेम नगर में रहते थे। अत: शेष इस्राएलियों ने चिट्ठी डालकर यह निश्चय किया कि उनके समाज का प्रत्येक दसवां व्यक्ति पवित्र नगर यरूशलेम में बसेगा, और शेष नौ व्यक्ति यहूदा प्रदेश के किसी भी नगर में रह सकते हैं।
एक सरिता है जिसकी जल-धाराएं परमेश्वर के नगर को, सर्वोच्च परमेश्वर के पवित्र निवास स्थान को, हर्षित करती हैं।
जैसे हमने सुना था वैसा हमने देखा- स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु के नगर में, अपने परमेश्वर के नगर में। परमेश्वर उसको सदा सुरक्षित रखता है। सेलाह
यदि दुर्जन पर दया भी की जाए तो भी वह धर्म को नहीं सीखेगा। वह धर्म-परायण देश में भी दुराचरण करता है, वह प्रभु की प्रभुता नहीं देखता!
तुम अपने को पवित्र नगर के निवासी बताते हो, और इस्राएल के परमेश्वर का सहारा लेते हो, जिसका नाम ‘स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु’ है।
स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु का यह अंगूर-उद्यान इस्राएल वंश है। यहूदा प्रदेश के निवासी प्रभु के सुन्दर पौधे हैं। प्रभु ने उनसे न्याय की आशा की, पर उसे देखने को मिला: रक्त पात। प्रभु ने उनसे धार्मिकता की आशा की, पर उसे सुनने को मिला: गरीबों का करुण- क्रंदन!
अत: न्याय ने हम से मुंह मोड़ लिया; धार्मिकता हमसे दूर चली गई। चौराहे पर सच्चाई की धज्जियाँ उड़ गईं, सद्आचरण प्रवेश नहीं पा सकता।
हमारे जीवन में सत्य का अभाव है; जो बुराई से दूर रहता है, वही ठगा जाता है। प्रभु ने यह देखा, वह अप्रसन्न हुआ कि न्याय का अस्तित्व नहीं रहा।
तुम्हारे हाथ हत्या के खून से, और तुम्हारी अंगुलियाँ दुष्कर्म से अपवित्र हैं। तुम्हारे ओंठ झूठ बोलते हैं, तुम्हारी जीभ दुष्टतापूर्ण बातें निकालती है।
‘कहो, यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी को त्याग दे, और उसकी पत्नी दूसरे पुरुष की स्त्री हो जाए तो क्या वह उसके पास लौटेगा? क्या उसके ऐसे आचरण से सारा देश भ्रष्ट नहीं हो जाएगा? ओ इस्राएली जनता, तू अनेक प्रेमियों के साथ व्यभिचार कर चुकी है। क्या अब तू मेरे पास लौटेगी?’ प्रभु की यह वाणी है।
एफ्रइम ने मेरे चारों ओर झूठ का जाल बुना है; इस्राएल मुझसे छल-कपट करता है। पर मैं यहूदा को जानता हूं : वह मुझ-पवित्र परमेश्वर के प्रति सच्चा है।
उनकी मां वेश्या थी; उनकी जननी निर्लज्ज थी। उनकी मां ने यह कहा था, ‘मैं अपने प्रेमियों के साथ अभिसार करूंगी। वे ही तो मुझे रोटी देते हैं, पीने को पानी देते हैं; ऊन, पटसन, तेल और पेय भी उन्हीं की कृपा से मुझे प्राप्त होते हैं।’
व्यवस्था कमजोर पड़ गई, न्याय का प्रभाव समाप्त हो गया। दुर्जनों ने धार्मिक जन को घेर लिया; न्याय का गला घोंट दिया गया।’
प्रभु यों कहता है: मैं सियोन पर्वत को लौटूंगा। मैं यरूशलेम के मध्य निवास करूंगा और यरूशलेम “सत्य नगर” कहलाएगा। स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु का पर्वत “पवित्र पर्वत” होगा।
“ओ यरूशलेम! यरूशलेम नगरी! तू नबियों की हत्या करती और अपने पास भेजे हुए संदेश-वाहकों को पत्थरों से मार डालती है। मैंने कितनी बार चाहा कि तेरी सन्तान को एकत्र कर लूँ, जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे एकत्र कर लेती है, परन्तु तूने मुझे यह करने नहीं दिया।
आपके पूर्वजों ने किस नबी पर अत्याचार नहीं किया? उन्होंने उन लोगों का वध किया, जिन्होंने पहले से ही धर्मात्मा के आगमन की घोषणा की थी। आप लोगों को स्वर्गदूतों के माध्यम से व्यवस्था प्राप्त हुई, किन्तु आपने उसका पालन नहीं किया और अब आप उस धर्मात्मा के पकड़वाने वाले तथा हत्यारे बन गये हैं।”
आप लोग सियोन पर्वत, जीवन्त परमेश्वर के नगर, स्वर्गीय यरूशलेम के पास पहुँचे हैं, जहाँ लाखों स्वर्गदूत आनन्द-उत्सव मनाते हैं
किन्तु मन्दिर का बाहरी प्रांगण छोड़ देना, उसे मत नापना; क्योंकि वह अन्यधर्मियों के हवाले कर दिया गया है और वे पवित्र नगर को बयालीस महीनों तक रौंदते रहेंगे।
इनकी लाशें उस महानगर के चौक में पड़ी रहेंगी, जो लाक्षणिक भाषा में सदोम या मिस्र कहलाता है और जहाँ इनके प्रभु को क्रूस पर चढ़ाया गया था।
जो सात स्वर्गदूत सात प्याले लिये थे, उन में से एक ने मेरे पास आ कर कहा, “आइए, मैं आप को उस महावेश्या का दण्ड दिखाऊंगा, जो महासमुद्र के किनारे विराजमान है।