ऑनलाइन बाइबिल

विज्ञापनों


संपूर्ण बाइबिल पुराना वसीयतनामा नया करार




मीका 7:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

धिक्‍कार है मुझे, मैंने अवसर खो दिया! मैं ग्रीष्‍म काल के फल तब तोड़ने गया जब वे झड़ा लिए गए। मैं अंगूरों को चुनने तब गया जब वे तोड़ लिए गए। न अंगूर का एक गुच्‍छा और न अंजीर का एक फल मुझे मिला, जिन्‍हें खाने को मेरा दिल चाहता था।

अध्याय देखें

पवित्र बाइबल

मैं व्याकुल हूँ, क्यों क्योंकि मैं गर्मी के उस फल सा हूँ जिसे अब तक बीन लिया गया है। मैं उन अंगूरों सा हूँ जिन्हें तोड़ लिया गया है। अब वहाँ कोई अंगूर खाने को नहीं बचे है। शुरू की अंजीरें जो मुझको भाती हैं, एक भी नहीं बची है।

अध्याय देखें

Hindi Holy Bible

हाय मुझ पर! क्योंकि मैं उस जन के समान हो गया हूं जो धूपकाल के फल तोड़ने पर, वा रही हुई दाख बीनने के समय के अन्त में आ जाए, मुझे तो पक्की अंजीरों की लालसा थी, परन्तु खाने के लिये कोई गुच्छा नहीं रहा।

अध्याय देखें

पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

हाय मुझ पर! क्योंकि मैं उस जन के समान हो गया हूँ जो धूपकाल के फल तोड़ने पर, या रही हुई दाख बीनने के समय के अन्त में आ जाए, मुझे तो पक्‍की अंजीरों की लालसा थी, परन्तु खाने के लिये कोई गुच्छा नहीं रहा।

अध्याय देखें

सरल हिन्दी बाइबल

मेरी क्या दुर्गति है! मैं उस मनुष्य के जैसा हूं, जो अंगूर की बारी में लवनी के छूटे अंगूर को धूपकाल में बटोरता है; खाने के लिये अंगूर का कोई गुच्छा नहीं बचा है, मैंने शुरू के अंजीर के फलों की जो लालसा की थी, वे भी नहीं हैं.

अध्याय देखें

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

हाय मुझ पर! क्योंकि मैं उस जन के समान हो गया हूँ जो धूपकाल के फल तोड़ने पर, या रही हुई दाख बीनने के समय के अन्त में आ जाए, मुझे तो पक्की अंजीरों की लालसा थी, परन्तु खाने के लिये कोई गुच्छा नहीं रहा।

अध्याय देखें



मीका 7:1
14 क्रॉस रेफरेंस  

धिक्‍कार है मुझे, कि मैं मेशेक जाति के मध्‍य प्रवास कर रहा हूं, केदार जाति के शिविरों में निवास कर रहा हूं।


अनेक मनुष्‍य अपनी मित्रता का दावा करते हैं; पर सच्‍चा मित्र किसे मिल सकता है?


अथवा जैसे जैतून वृक्ष को झाड़ने पर उसमें कुछ फल शेष रह जाते हैं : फुनगी पर दो-तीन, वृक्ष की शाखाओं में चार-पांच, वैसे ही याकूब की दशा होगी। इस्राएल के परमेश्‍वर प्रभु की यही वाणी है।


जैसे जैतून के फल झहराए जाते हैं, जैसे अंगूर के गुच्‍छे तोड़ लेने के बाद शेष अंगूरों को झाड़ते हैं, वैसे समस्‍त पृथ्‍वी पर सब जातियों को झहराया जाएगा!


पृथ्‍वी के सीमान्‍तों से हम धर्मात्‍मा परमेश्‍वर की महिमा के सम्‍बन्‍ध में स्‍तुति-गीत सुनते हैं।” परन्‍तु मैंने यह कहा, “ओह! मैं दु:ख से क्षीण हो रहा हूं, चिन्‍ता से व्‍याकुल हो रहा हूं। धिक्‍कार है विश्‍वासघातियों को, धोखेबाजों को; वे एक के बाद एक विश्‍वासघात किए जा रहे हैं।”


उसकी उपजाऊ घाटी के ऊपरी भाग में खिले हुए कांतिमय सौंदर्य के मुरझाते हुए फूल की दशा ग्रीष्‍म ऋतु के पूर्व पके हुए अंजीर के फल के सदृश होगी : जो कोई उसको देखता है, वह तत्‍काल उस को तोड़ता, और अविलम्‍ब उसको खा जाता है।


तब मैंने कहा, ‘हाय! अब मैं जीवित नहीं रह सकता! मैं अशुद्ध ओंठवाला मनुष्‍य हूं, और अशुद्ध ओंठवाले लोगों के मध्‍य निवास करता हूं। मैंने साक्षात् स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु, महाराजाधिराज को अपनी आंखों से देखा।’


ओ मेरी मां, धिक्‍कार है मुझे! कि तूने जन्‍म दिया मुझे, जो समस्‍त देशवासियों से लड़ने-झगड़नेवाला मनुष्‍य हूं! न मैं किसी को देता हूं, और न किसी से लेता हूं; तो भी सब लोग मुझे पानी पी-पीकर कोसते हैं।


एक टोकरी के फल मौसम के प्रथम फलों के सदृश बहुत अच्‍छे हैं। किन्‍तु दूसरी टोकरी में खराब फल हैं, जो इतने खराब हैं कि कोई उन को खा भी नहीं सकता।


मैंने प्रसव-पीड़ा से कराहती हुई स्‍त्री की चीख सुनी। मुझे ऐसा लगा मानो यह कराह उस स्‍त्री की है, जो पहली बार बच्‍चे को जन्‍म दे रही है। यह चीख पुत्री सियोन की थी; वह हांफ रही थी, और हाथ फैलाए हुए कह रही थी, ‘मुझे बचाओ! मैं हत्‍यारों के हाथ में पड़ गई हूं; मैं बेहोश हो रही हूं।’


तूने अपने आप से यह कहा था: “मुझे धिक्‍कार है! क्‍या मेरा दु:ख कम था कि प्रभु मुझ पर एक के बाद एक विपत्ति ढाहता रहा। मैं कराहते-कराहते थक गया। मुझे कहीं चैन नहीं मिला।”


प्रभु कहता है, ‘यरूशलेम की सड़कों पर इधर-उधर दौड़ कर देखो, और पता लगाओ! उसके चौराहों में खोजो और देखो, कि क्‍या यरूशलेम में ऐसा मनुष्‍य है जो न्‍याय से काम करता है, जो अपने आचरण में ईमानदार है? तब मैं यरूशलेम को क्षमा कर दूंगा।


निर्जन प्रदेश में अंगूर के समान मैंने इस्राएल को पाया था; अंजीर के वृक्ष पर, उसके मौसम पर प्रथम फल के सदृश मैंने तुम्‍हारे पूर्वजों को देखा था। जब वे बअल-पओर नगर में आए तब उन्‍होंने बअल के सम्‍मुख स्‍वयं को अर्पित कर दिया। जिस घृणित देवता से उन्‍होंने प्रेम किया, वे उसी के समान स्‍वयं घृणित बन गए!


उनके देश के सब प्रथम फल, जो वे मुझ-प्रभु के पास लाते हैं, तेरे ही होंगे। तेरे घर के सब शुद्ध व्यक्‍ति ही उनको खा सकते हैं।