एक बार लोग किसी मुरदे को गाड़ रहे थे। सहसा उन्होंने लुटेरों को देखा। उन्होंने मुरदे को एलीशा की कबर में फेंक दिया। तब जैसे ही मुरदे का स्पर्श एलीशा की अस्थियों से हुआ, वह जीवित हो गया। वह अपने पैरों पर खड़ा हो गया!
मरकुस 6:56 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) गाँव, नगर या बस्ती, जहाँ कहीं भी येशु आते, वहाँ लोग रोगियों को सार्वजनिक स्थानों पर रख कर उनसे अनुनय-विनय करते थे कि वह उन्हें अपने वस्त्र का सिरा ही छूने दें। जितनों ने उनका स्पर्श किया, वे सब-के-सब स्वस्थ्य हो गये। पवित्र बाइबल वह गावों में, नगरों में या बस्तियों में, जहाँ कहीं भी जाता, लोग अपने बीमारों को बाज़ारों में रख देते और उससे विनती करते कि वह अपने वस्त्र का बस कोई सिरा ही उन्हें छू लेने दे। और जो भी उसे छू पाये, सब चंगे हो गये। Hindi Holy Bible और जहां कहीं वह गांवों, नगरों, या बस्तियों में जाता था, तो लोग बीमारों को बाजारों में रखकर उस से बिनती करते थे, कि वह उन्हें अपने वस्त्र के आंचल ही को छू लेने दे: और जितने उसे छूते थे, सब चंगे हो जाते थे॥ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और जहाँ कहीं वह गाँवों, नगरों, या बस्तियों में जाता था, लोग बीमारों को बाजारों में रखकर उससे विनती करते थे कि वह उन्हें अपने वस्त्र के आँचल ही को छू लेने दे : और जितने उसे छूते थे, सब चंगे हो जाते थे। नवीन हिंदी बाइबल वह जिन-जिन गाँवों, नगरों या बस्तियों में प्रवेश करता था, लोग अपने बीमारों को बाज़ारों में लिटा देते और उससे विनती करते थे कि उसके वस्त्र का किनारा ही छूने दे; और जितने उसे छूते, वे स्वस्थ हो जाते थे। सरल हिन्दी बाइबल मसीह येशु जिस किसी नगर, गांव या बाहरी क्षेत्र में प्रवेश करते थे, लोग रोगियों को सार्वजनिक स्थलों में लिटा कर उनसे विनती करते थे कि उन्हें उनके वस्त्र के छोर का स्पर्श मात्र ही कर लेने दें. जो कोई उनके वस्त्र का स्पर्श कर लेता था, स्वस्थ हो जाता था. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और जहाँ कहीं वह गाँवों, नगरों, या बस्तियों में जाता था, तो लोग बीमारों को बाजारों में रखकर उससे विनती करते थे, कि वह उन्हें अपने वस्त्र के आँचल ही को छू लेने दे: और जितने उसे छूते थे, सब चंगे हो जाते थे। |
एक बार लोग किसी मुरदे को गाड़ रहे थे। सहसा उन्होंने लुटेरों को देखा। उन्होंने मुरदे को एलीशा की कबर में फेंक दिया। तब जैसे ही मुरदे का स्पर्श एलीशा की अस्थियों से हुआ, वह जीवित हो गया। वह अपने पैरों पर खड़ा हो गया!
और उनसे निवेदन किया कि वह उन्हें अपने वस्त्र का सिरा ही स्पर्श करने दें। जितनों ने उनका स्पर्श किया, वे सब स्वस्थ हो गये।
उस समय एक स्त्री, जो बारह बरस से रक्तस्राव से पीड़ित थी, पीछे से आई और उसने येशु के वस्त्र के सिरे को छू लिया;
क्योंकि उन्होंने बहुत-से लोगों को स्वस्थ किया था और रोगी उनका स्पर्श करने के लिए उन पर गिरे पड़ रहे थे।
वे उस सारे प्रदेश में दौड़ गए, और जहाँ-जहाँ उन्होंने सुना कि वह हैं, वहाँ वे चारपाइयों पर पड़े रोगियों को उनके पास लाने लगे।
किन्तु येशु ने कहा, “रहने दो, बहुत हुआ”, और उसका कान छू कर उन्होंने उसे अच्छा कर दिया।
सब लोग येशु को स्पर्श करने का प्रयत्न कर रहे थे, क्योंकि उन से शक्ति निकल कर सब को स्वस्थ कर रही थी।
उसने पीछे से आ कर येशु के वस्त्र के सिरे को छू लिया और उसका रक्तस्राव उसी क्षण बन्द हो गया।
किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा मुक्ति नहीं है; क्योंकि समस्त संसार में मनुष्यों को कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है, जिसके द्वारा हमें मुक्ति मिल सकती है।”
हमने एक दुर्बल मनुष्य का उपकार किया है और आज हम से पूछ-ताछ की जा रही है कि वह किस तरह रोग-मुक्त हो गया है।
सच तो यह है कि लोग रोगियों को मुख्य सड़कों पर ले जा कर खटोलों तथा चारपाइयों पर लिटा देते थे, ताकि जब पतरस उधर से गुजरें, तो उनकी छाया ही उन में से किसी पर पड़ जाये।