किन्तु मीकायाह ने कहा, ‘जीवन्त प्रभु की सौगन्ध! जो वचन परमेश्वर मुझसे कहेगा, वही मैं बोलूंगा।’
मरकुस 12:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) वे आ कर उनसे बोले, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सच्चे हैं और आप किसी की परवाह नहीं करते। आप मुँह-देखी बात नहीं कहते, बल्कि सच्चाई से परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। बताइए, व्यवस्था की दृष्टि में रोमन सम्राट को कर देना उचित है या नहीं? पवित्र बाइबल वे उसके पास आये और बोले, “गुरु, हम जानते हैं कि तू बहुत ईमानदार है और तू इस बात की तनिक भी परवाह नहीं करता कि दूसरे लोग क्या सोचते हैं। क्योंकि तू मनुष्यों की है सियत या रुतवे पर ध्यान दिये बिना प्रभु के मार्ग की सच्ची शिक्षा देता है। सो बता कैसर को कर देना उचित है या नहीं? हम उसे कर चुकायें या न चुकायें?” Hindi Holy Bible और उन्होंने आकर उस से कहा; हे गुरू, हम जानते हैं, कि तू सच्चा है, और किसी की परवाह नहीं करता; क्योंकि तू मनुष्यों का मुंह देख कर बातें नहीं करता, परन्तु परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से बताता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उन्होंने आकर उससे कहा, “हे गुरु, हम जानते हैं, कि तू सच्चा है, और किसी की परवाह नहीं करता; क्योंकि तू मनुष्यों का मुँह देख कर बातें नहीं करता, परन्तु परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से बताता है। तो क्या कैसर को कर देना उचित है या नहीं? नवीन हिंदी बाइबल उन्होंने उसके पास आकर कहा, “हे गुरु, हम जानते हैं कि तू सच्चा है और तू किसी की भी परवाह नहीं करता; क्योंकि तू किसी का पक्षपात नहीं करता, बल्कि परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से सिखाता है। कैसर को कर देना उचित है या नहीं? हम दें या न दें?” सरल हिन्दी बाइबल उन्होंने आकर मसीह येशु से यह प्रश्न किया, “गुरुवर, यह तो हमें मालूम है कि आप एक सच्चे व्यक्ति हैं. आपको किसी के समर्थन की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आप में पक्षपात है ही नहीं. आप पूरी सच्चाई में परमेश्वर संबंधी शिक्षा देते हैं. हमें यह बताइए: कयसर को कर देना व्यवस्था के अनुसार है या नहीं? इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और उन्होंने आकर उससे कहा, “हे गुरु, हम जानते हैं, कि तू सच्चा है, और किसी की परवाह नहीं करता; क्योंकि तू मनुष्यों का मुँह देखकर बातें नहीं करता, परन्तु परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से बताता है। तो क्या कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं? |
किन्तु मीकायाह ने कहा, ‘जीवन्त प्रभु की सौगन्ध! जो वचन परमेश्वर मुझसे कहेगा, वही मैं बोलूंगा।’
इसलिए, तुममें प्रभु का भय हो। जो भी प्रशासनिक काम करो, उसको सोच-समझकर करो; क्योंकि हमारा प्रभु परमेश्वर न तो अन्यायी है, और न पक्षपाती, और न वह घूसखोर है।’
उसकी सर्वोत्तम उपज उन विदेशी राजाओं को प्राप्त हो रही है, जिनको तूने हमारे पाप के दण्डस्वरूप हम पर नियुक्त किया है। वे अपनी इच्छा के अनुसार हमारे शरीर और पशुओं पर अधिकार जताते हैं। प्रभु, हम बड़े संकट में हैं!
उसके मुंह की बातें मक्खन से अधिक चिकनी थीं, पर उसके हृदय में द्वेष था। उसके शब्द तेल की अपेक्षा कोमल थे; फिर भी वे नंगी तलवार थे।
अन्यथा तुम्हें अपने प्राण से हाथ धोना पड़ेगा। तुमने मुझे अपने प्रभु परमेश्वर के पास यह कहकर भेजा था, “हमारे प्रभु परमेश्वर से हमारे लिए प्रार्थना कीजिए, और जो कुछ वह हम से कहेगा, हम करेंगे।”
पर मैं परमेश्वर की सामर्थ्य से, प्रभु के आत्मा से परिपूर्ण हूं; मुझ में न्याय और बल है, ताकि मैं याकूब को उसके अपराध, इस्राएल को उसके पाप बता सकूं।
उन्होंने येशु के पास हेरोदेस-दल के सदस्यों के साथ अपने शिष्यों को यह प्रश्न पूछने भेजा, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सच्चे हैं और सच्चाई से परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। आप किसी की परवाह नहीं करते, क्योंकि आप मुँह-देखी बात नहीं कहते।
उन्होंने येशु के पास फरीसी और हेरोदेस-दल के कुछ लोगों को भेजा, जिससे वे उन्हें उनकी अपनी बात के जाल में फँसाएँ।
हम उन्हें दें या नहीं दें?” उनका छल-कपट भाँप कर येशु ने कहा, “मेरी परीक्षा क्यों लेते हो? एक सिक्का लाओ और मुझे दिखाओ।”
जैसे ही यूदस [यहूदा] आया, वह तुरन्त येशु के पास गया और कहा, “गुरुवर!” और उनका चुम्बन किया।
वे यह कहते हुए येशु पर अभियोग लगाने लगे, “हम ने इस मनुष्य को हमारी जाति को पथभ्रष्ट करते, सम्राट को कर देने से लोगों को मना करते और अपने आप को मसीह एवं राजा कहते सुना है।”
जो अपनी ओर से बोलता है वह अपने लिए सम्मान चाहता है; किन्तु जो उसके लिए सम्मान चाहता है, जिसने उसे भेजा, वह सच्चा है और उस में कोई कपट नहीं है।
आप लोग इसीलिए राजकर चुकाते हैं। अधिकारीगण परमेश्वर के जनसेवक हैं और वे अपनी इस सेवा में लगे रहते हैं।
हम उन बहुसंख्यक लोगों के समान नहीं हैं, जो परमेश्वर के वचन का सौदा करते हैं, बल्कि हम परमेश्वर से प्रेरित हो कर और मसीह से संयुक्त रह कर, परमेश्वर की आंखों के सामने, सच्चाई से वचन का प्रचार करते हैं।
यदि मैं आपको दु:ख देता हूँ, तो कौन मुझे प्रसन्न कर सकता है? जिस व्यक्ति को मुझे दु:ख देना पड़ा, वही मुझे प्रसन्न कर सकता है।
इस कारण प्रभु का भय हम में बना रहता है। हम मनुष्यों को समझाने का प्रयत्न करते रहते हैं। हमारा सारा जीवन परमेश्वर के लिए प्रकट है और मैं आशा करता हूँ कि वह आप लोगों के अन्त:करण के लिए भी प्रकट होगा।
इसलिए हम अब से किसी को भी सांसारिक दृष्टि से नहीं देखते। हमने मसीह को पहले सांसारिक दृष्टि से देखा, किन्तु अब हम ऐसा नहीं करते।
मैं अब किसका कृपापात्र बनने की कोशिश कर रहा हूँ—मनुष्यों का अथवा परमेश्वर का? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूँ? यदि मैं अब तक मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता, तो मैं मसीह का सेवक नहीं होता।
किन्तु जो व्यक्ति प्रतिष्ठित माने जाते थे-वे पहले कैसे थे, इससे मेरे विचार में कोई अन्तर नहीं पड़ता, क्योंकि परमेश्वर मुंह-देखा न्याय नहीं करता-इन प्रतिष्ठित व्यक्तियों से मुझे कोई नई बात प्राप्त नहीं हुई।
तू न्याय को भ्रष्ट मत करना। तू पक्षपात नहीं करना। तू घूस मत लेना; क्योंकि घूस बुद्धिमान व्यक्ति की आंख को बन्द कर देती है। वह धार्मिकों के न्याय-पक्ष को उलट देती है।
परमेश्वर ने हमें योग्य समझ कर शुभ समाचार सौंपा है। इसलिए हम मनुष्यों को नहीं, बल्कि हमारा हृदय परखनेवाले परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए उपदेश देते हैं।