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मरकुस 10:17 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

येशु यात्रा पर निकल ही रहे थे कि एक व्यक्‍ति दौड़ता हुआ आया और उनके सामने घुटने टेक कर उसने यह पूछा, “भले गुरु! शाश्‍वत जीवन का उत्तराधिकारी बनने के लिए मुझे क्‍या करना चाहिए?”

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पवित्र बाइबल

यीशु जैसे ही अपनी यात्रा पर निकला, एक व्यक्ति उसकी ओर दौड़ा और उसके सामने झुक कर उसने पूछा, “उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकार पाने के लिये मुझे क्या करना चाहिये?”

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Hindi Holy Bible

और जब वह निकलकर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उस से पूछा हे उत्तम गुरू, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूं?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

जब वह वहाँ से निकलकर मार्ग में जा रहा था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उससे पूछा, “हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूँ?”

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नवीन हिंदी बाइबल

जब वह मार्ग में जा रहा था तो एक व्यक्‍ति दौड़ता हुआ आया और उसके सामने घुटने टेककर पूछने लगा, “हे उत्तम गुरु! अनंत जीवन का उत्तराधिकारी होने के लिए मैं क्या करूँ?”

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सरल हिन्दी बाइबल

मसीह येशु अपनी यात्रा प्रारंभ कर ही रहे थे कि एक व्यक्ति उनके पास दौड़ता हुआ आया और उनके सामने घुटने टेकते हुए उनसे पूछने लगा, “उत्तम गुरु, अनंत काल का जीवन प्राप्‍त करने के लिए मैं क्या करूं?”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

और जब वह निकलकर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उससे पूछा, “हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूँ?”

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मरकुस 10:17
28 क्रॉस रेफरेंस  

जब दानिएल को यह मालूम हुआ कि निषेधाज्ञा के पत्र पर सम्राट दारा का हस्‍ताक्षर हो गया, तब वह अपने घर गए। उनके घर की ऊपरी मंजिल के कमरे की खिड़कियां यरूशलेम नगर की दिशा में खुलती थीं। वह दिन में तीन बार घुटने टेककर परमेश्‍वर से प्रार्थना करते और उसको धन्‍यवाद दिया करते थे। आज भी उन्‍होंने वैसा ही किया।


जब वे जनसमूह के पास पहुँचे तब एक मनुष्‍य आया। वह येशु के सामने घुटने टेक कर बोला,


“तब राजा अपनी दाहिनी ओर के लोगों से कहेगा, ‘मेरे पिता के कृपापात्रो! आओ और उस राज्‍य के अधिकारी बनो, जो सृष्‍टि के आरम्‍भ से तुम्‍हारे लिए तैयार किया गया है;


स्‍त्रियाँ शीघ्र ही कबर के पास से चली गयीं और विस्‍मय तथा बड़े आनन्‍द के साथ उनके शिष्‍यों को यह समाचार सुनाने दौड़ीं।


एक कुष्‍ठरोगी येशु के पास आया और घुटने टेक कर उन से अनुनय-विनय करते हुए बोला, “आप चाहें, तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।”


येशु ने उससे कहा, “मुझे भला क्‍यों कहते हो? परमेश्‍वर को छोड़ और कोई भला नहीं।


वे आ कर उनसे बोले, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सच्‍चे हैं और आप किसी की परवाह नहीं करते। आप मुँह-देखी बात नहीं कहते, बल्‍कि सच्‍चाई से परमेश्‍वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। बताइए, व्‍यवस्‍था की दृष्‍टि में रोमन सम्राट को कर देना उचित है या नहीं?


येशु ने देखा कि भीड़ बढ़ती जा रही है, इसलिए उन्‍होंने अशुद्ध आत्‍मा को यह कहते हुए डाँटा, “हे बहरी-गूंगी आत्‍मा! मैं तुझे आदेश देता हूँ : इस में से निकल जा और इस में फिर कभी प्रवेश नहीं करना।”


तब व्‍यवस्‍था का एक आचार्य उठा और येशु की परीक्षा करने के लिए उसने यह पूछा, “गुरुवर! शाश्‍वत जीवन का उत्तराधिकारी बनने के लिए मुझे क्‍या करना चाहिए?”


वह रात में येशु के पास आया और बोला, “गुरुजी, हम जानते हैं कि आप परमेश्‍वर की ओर से आए हुए गुरु हैं। आप जो आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न दिखाते हैं, उन्‍हें कोई तब तक नहीं दिखा सकता, जब तक कि परमेश्‍वर उसके साथ न हो।”


“तुम लोग यह समझ कर धर्मग्रन्‍थ का अनुशीलन करते हो कि उस में तुम्‍हें शाश्‍वत जीवन का मार्ग मिलेगा। वही धर्मग्रन्‍थ मेरे विषय में साक्षी देता है।


मेरे पिता की इच्‍छा यह है कि जो पुत्र को देखे और उस में विश्‍वास करे, उसे शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त हो। मैं उसे अन्‍तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँगा।”


उसने उन्‍हें बाहर ले जा कर कहा, “सज्‍जनो, मुक्‍ति प्राप्‍त करने के लिए मुझे क्‍या करना चाहिए?”


यह सुनकर वे मर्माहत हो गये और उन्‍होंने पतरस तथा अन्‍य प्रेरितों से पूछा, “भाइयो! हमें क्‍या करना चाहिए?”


अब मैं आप लोगों को परमेश्‍वर के तथा उसके अनुग्रहपूर्ण वचन के संरक्षण में सौंपता हूं, जो आपका निर्माण करने तथा सब पवित्र किए हुए भक्‍तों के साथ आप को विरासत दिलाने में समर्थ है।


उठ और नगर में जा। तुझे जो करना है, वह तुझे बताया जायेगा।”


जो लोग धैर्यपूर्वक भलाई करते हुए महिमा, सम्‍मान और अमरत्‍व की खोज में लगे रहते हैं, परमेश्‍वर उन्‍हें शाश्‍वत जीवन प्रदान करेगा;


क्‍योंकि पाप का वेतन मृत्‍यु है, किन्‍तु परमेश्‍वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्‍वत जीवन।


वह आप लोगों के मन की आंखों को ज्‍योति प्रदान करे, जिससे आप यह देख सकें कि उसके द्वारा बुलाये जाने के कारण आप लोगों की आशा कितनी महान है और सन्‍तों के साथ आप लोगों को जो विरासत मिली है, वह कितनी वैभवपूर्ण तथा महिमामय है,


जिससे हम उसकी कृपा द्वारा धार्मिक ठहराये जायें और शाश्‍वत जीवन के उत्तराधिकारी बनने की आशा कर सकें।


क्‍या सब स्‍वर्गदूत परिचारक नहीं हैं जो उन लोगों की सेवा के लिए भेजे जाते हैं, जो मुक्‍ति के उत्तराधिकारी होंगे?


जो विरासत आप लोगों के लिए स्‍वर्ग में रखी हुई है, वह अक्षय, अदूषित तथा अविनाशी है।


मसीह ने हम से जो प्रतिज्ञा की, वह है-शाश्‍वत जीवन।