राजा अमस्याह ने कहा, ‘लेकिन मेरी साढ़े तीन हजार किलो चांदी का क्या होगा, जो मैंने इस्राएली सेना के बदले में दी है?’ परमेश्वर के भक्त-जन ने उत्तर दिया, ‘प्रभु सामर्थी है, और वह आपको इससे भी अधिक धन देगा।’
मत्ती 6:31 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) “इसलिए चिन्ता मत करो। यह मत कहो कि हम क्या खाएँगे, क्या पियेंगे, क्या पहनेंगे। पवित्र बाइबल “इसलिये चिंता करते हुए यह मत कहो कि ‘हम क्या खायेंगे या हम क्या पीयेंगे या क्या पहनेंगे?’ Hindi Holy Bible इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) “इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना कि हम क्या खाएँगे, या क्या पीएँगे, या क्या पहिनेंगे। नवीन हिंदी बाइबल इसलिए यह कहकर चिंता न करो, ‘हम क्या खाएँगे?’ या ‘क्या पीएँगे?’ या फिर ‘क्या पहनेंगे?’ सरल हिन्दी बाइबल इसलिए इस विषय में चिंता न करो, ‘हम क्या खाएंगे या क्या पिएंगे’ या ‘हमारे वस्त्रों का प्रबंध कैसे होगा?’ इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 “इसलिए तुम चिन्ता करके यह न कहना, कि हम क्या खाएँगे, या क्या पीएँगे, या क्या पहनेंगे? |
राजा अमस्याह ने कहा, ‘लेकिन मेरी साढ़े तीन हजार किलो चांदी का क्या होगा, जो मैंने इस्राएली सेना के बदले में दी है?’ परमेश्वर के भक्त-जन ने उत्तर दिया, ‘प्रभु सामर्थी है, और वह आपको इससे भी अधिक धन देगा।’
अपना भार प्रभु पर डाल दो; वह तुम्हें सहारा देगा; वह धार्मिक मनुष्य को कभी विचलित न होने देगा!
शिष्यों ने उनसे कहा, “इस निर्जन स्थान में हमें इतनी रोटियाँ कहाँ से मिलेंगी कि हम इतनी बड़ी भीड़ को खिला सकें?”
येशु ने उत्तर दिया, “धर्मग्रन्थ में लिखा है : ‘मनुष्य केवल रोटी से ही नहीं जीता है। बल्कि वह परमेश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक शब्द से जीवित रहता है।’ ”
“मैं तुम लोगों से कहता हूँ, चिन्ता मत करो − न अपने जीवन-निर्वाह की, कि हम क्या खायें अथवा क्या पीयें और न अपने शरीर की, कि हम क्या पहनें। क्या जीवन भोजन से बढ़ कर नहीं? और क्या शरीर कपड़े से बढ़ कर नहीं?
प्रभु ने उसे उत्तर दिया, “मार्था! मार्था! तुम बहुत-सी बातों के विषय में चिन्तित और परेशान हो;
“जब वे तुम्हें सभागृहों, न्यायाधीशों और शासकों के सामने खींच ले जाएँगे, तो यह चिन्ता न करना कि तुम कैसे और क्या उत्तर दोगे अथवा अपनी ओर से क्या कहोगे;
येशु ने अपने शिष्यों से कहा, “इसलिए मैं तुम लोगों से कहता हूँ, चिन्ता मत करो−न अपने जीवन-निर्वाह की, कि हम क्या खाएँगे और न अपने शरीर की, कि हम क्या पहनेंगे;
किसी बात की चिन्ता न करें। हर जरूरत में प्रार्थना करें और विनय तथा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सामने अपने निवेदन प्रस्तुत करें।