अपने सेवक से जिसको मनुष्य सर्वथा तुच्छ समझते हैं, जिससे राष्ट्र घृणा करते हैं, जो शासकों का गुलाम है, उससे प्रभु इस्राएल का मुक्तिदाता और उसका पवित्र परमेश्वर यों कहता है : ‘तुझे देखकर राजा अपने सिंहासन से खड़े हो जाएंगे, सामन्त तेरे सम्मुख भूमि पर लेटकर तुझे साष्टांग प्रणाम करेंगे, क्योंकि मैं-प्रभु ने, जो सच्चा परमेश्वर हूं, जो इस्राएल का पवित्र परमेश्वर हूं, तुझे मनोनीत किया है।’
जैसे अनेक लोग उसे देखकर चकित हुए, (क्योंकि उसका रूप विकृत हो गया था, यहाँ तक कि वह मानव-रूप जैसा दिखाई नहीं देता था। उसकी आकृति भी मनुष्यों जैसी नहीं रह गई थी।)
लोगों ने उससे घृणा की; उन्होंने उसको त्याग दिया। वह दु:खी मनुष्य था, केवल पीड़ा से उसकी पहचान थी। उसको देखते ही लोग अपना मुख फेर लेते थे। हम ने उससे घृणा की और उसका मूल्य नहीं जाना।
वह सताया गया, उसे पीड़ित किया गया, तोभी उसके मुंह से ‘आह’ न निकली। जैसे मेमना वध के लिए ले जाते समय चुप रहता है, जैसे भेड़ ऊन कतरने वाले के सामने शान्त रहती है, वैसे ही वह मौन था।
तब कुछ लोग उन पर थूकने लगे और उनकी आँखों पर पट्टी बाँध कर उन्हें घूँसे मारने लगे और यह कहा, “यदि तू नबी है तो बोल!” प्रधान महापुरोहित के पहरेदारों ने भी उन्हें लेकर थप्पड़ मारे।