येशु ने लोगों को घास पर बैठा देने का आदेश दिया। तब उन्होंने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं, और आकाश की ओर आँखें उठाकर आशिष माँगी। तब उन्होंने रोटियाँ तोड़ कर शिष्यों को दीं और शिष्यों ने लोगों को।
मत्ती 15:36 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) येशु ने वे सात रोटियाँ और मछलियाँ लीं; परमेश्वर को धन्यवाद दिया, उनको तोड़ा और अपने शिष्यों को दिया और फिर शिष्यों ने लोगों को दिया। पवित्र बाइबल और रोटियाँ तोड़ीं और अपने शिष्यों को देने लगा। फिर उसके शिष्यों ने उन्हें आगे लोगों में बाँट दिया। Hindi Holy Bible और उन सात रोटियों और मछिलयों को ले धन्यवाद करके तोड़ा और अपने चेलों को देता गया; और चेले लोगों को। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और उन सात रोटियों और मछलियों को लिया, धन्यवाद करके तोड़ा, और अपने चेलों को देता गया, और चेले लोगों को। नवीन हिंदी बाइबल उसने सात रोटियाँ और मछलियाँ लीं, धन्यवाद देकर उन्हें तोड़ा और शिष्यों को देता गया, तथा शिष्य लोगों को। सरल हिन्दी बाइबल और स्वयं उन्होंने सातों रोटियां और मछलियां लेकर उनके लिए परमेश्वर के प्रति आभार प्रकट करने के बाद उन्हें तोड़ा और शिष्यों को देते गए तथा शिष्य भीड़ को. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और उन सात रोटियों और मछलियों को ले धन्यवाद करके तोड़ा और अपने चेलों को देता गया, और चेले लोगों को। |
येशु ने लोगों को घास पर बैठा देने का आदेश दिया। तब उन्होंने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं, और आकाश की ओर आँखें उठाकर आशिष माँगी। तब उन्होंने रोटियाँ तोड़ कर शिष्यों को दीं और शिष्यों ने लोगों को।
इसके बाद येशु ने कटोरा लिया, धन्यवाद की प्रार्थना की और कहा, “इसे लो और आपस में बाँट लो;
येशु ने रोटी ली और धन्यवाद की प्रार्थना करने के बाद उसे तोड़ा और यह कहते हुए शिष्यों को दिया, “यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिए दी जा रही है। यह मेरी स्मृति में किया करो”।
जब येशु उनके साथ भोजन करने बैठे, तब उन्होंने रोटी ली, आशिष माँगी और वह रोटी तोड़ कर उन्हें देने लगे।
येशु ने रोटियाँ ले लीं और परमेश्वर को धन्यवाद देकर बैठे हुए लोगों में उन्हें वितरित किया। इसी प्रकार मछलियाँ भी, जितनी वे चाहते थे, वितरित कीं।
अब तिबेरियस नगर की ओर से कुछ अन्य नावें उस स्थान के समीप आईं जहाँ प्रभु येशु की धन्यवाद की प्रार्थना के बाद लोगों ने रोटी खायी थी।
पौलुस ने यह कह कर रोटी ली, सब के सामने परमेश्वर को धन्यवाद दिया और वह उसे तोड़ कर खाने लगे।
जो किसी दिन को शुभ मानता है, वह उसे प्रभु के नाम पर शुभ मानता है और जो खाता है, वह प्रभु के नाम पर खाता है; क्योंकि वह परमेश्वर को धन्यवाद देता है। जो परहेज़ करता है, वह प्रभु के नाम पर परहेज़ करता है, और वह भी परमेश्वर को धन्यवाद देता है।
यदि आप आत्मा से आविष्ट होकर परमेश्वर की स्तुति करते हैं, तो वहाँ उपस्थित साधारण व्यक्ति आपका धन्यवाद सुनकर कैसे “आमेन” कह सकता है? वह यह भी नहीं जानता कि आप क्या कह रहे हैं।
वह बलि-पशु का माँस खाने के लिए पहाड़ी शिखर की वेदी को जाएँगे। पर जैसे ही आप लोग नगर में प्रवेश करेंगे, उनके प्रस्थान के पहले ही, आपको वह मिल जाएँगे। जब तक वह पहाड़ी शिखर पर नहीं पहुँचेंगे तब तक लोग बलि-पशु का माँस नहीं खाएँगे। पहिले वह बलि-पशु के माँस के लिए परमेश्वर से आशिष माँगते हैं। उसके बाद आमन्त्रित लोग भोजन करते हैं। अब आप पहाड़ी पर चढ़ जाइए। वह आपको अभी मिल जाएँगे।’