‘मैंने इस्राएलियों का बक-बकाना सुना है। तू उनसे यह कह, “तुम गोधूलि के समय मांस खाओगे और प्रात:काल रोटी से तृप्त होगे। तब तुम्हें ज्ञात होगा कि मैं प्रभु, तुम्हारा परमेश्वर हूं।” ’
मत्ती 14:20 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) सब ने खाया और वे खा कर तृप्त हो गये। शिष्यों ने बचे हुए टुकड़ों से भरी बारह टोकरियाँ उठाईं। पवित्र बाइबल सभी ने छक कर खाया। इसके बाद बचे हुए टुकड़ों से उसके शिष्यों ने बारह टोकरियाँ भरीं। Hindi Holy Bible और सब खाकर तृप्त हो गए, और उन्होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकिरयां उठाईं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जब सब खाकर तृप्त हो गए, तो चेलों ने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकरियाँ उठाईं। नवीन हिंदी बाइबल सब ने खाया और तृप्त हो गए। फिर शिष्यों ने बचे हुए टुकड़ों से भरी बारह टोकरियाँ उठाईं। सरल हिन्दी बाइबल सभी ने भरपेट खाया. शेष रह गए टुकड़े इकट्ठा करने पर बारह टोकरे भर गए. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और सब खाकर तृप्त हो गए, और उन्होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकरियाँ उठाई। |
‘मैंने इस्राएलियों का बक-बकाना सुना है। तू उनसे यह कह, “तुम गोधूलि के समय मांस खाओगे और प्रात:काल रोटी से तृप्त होगे। तब तुम्हें ज्ञात होगा कि मैं प्रभु, तुम्हारा परमेश्वर हूं।” ’
मूसा ने पुन: कहा, ‘यह तब होगा जब प्रभु सन्ध्या समय तुम्हें खाने के लिए मांस और प्रात:काल भर-पेट रोटी देगा; क्योंकि जो बक-बक तुमने प्रभु के विरुद्ध की थी, उसने उसे सुना है। हम क्या हैं? तुम्हारा बक-बकाना हमारे विरुद्ध नहीं, वरन् प्रभु के विरुद्ध है।’
धार्मिक मनुष्य के पास अपनी भूख तृप्त करने के लिए पर्याप्त भोजन रहता है; किन्तु दुर्जन को कभी पेट-भर भोजन नहीं मिलता।
मैं तुम्हारे जीवन का आधार चूर-चूर कर दूंगा। दस स्त्रियां एक ही तन्दूर पर रोटियां बनाएंगी, और वे तुम्हें रोटी तौल-तौलकर देंगी। तुम रोटियां खाओगे, पर तृप्त नहीं होगे।
तुमने बहुत बोया, पर काटा थोड़ा। तुम खाते हो, पर तृप्त नहीं होते। पानी पीते हो, पर प्यास नहीं बुझती। तुम कपड़े पहिनते हो, पर उससे तुम्हारी ठण्ड दूर नहीं होती। मजदूर कमाता है, पर अपनी कमाई को ऐसी थैली में रखता है, जिसमें छेद है।’
शिष्यों ने उनसे कहा, “इस निर्जन स्थान में हमें इतनी रोटियाँ कहाँ से मिलेंगी कि हम इतनी बड़ी भीड़ को खिला सकें?”
फिलिप ने उन्हें उत्तर दिया, “दो सौ चाँदी के सिक्कों की रोटियाँ भी इतनी नहीं होंगी कि हर एक को थोड़ी-थोड़ी मिल सके।”