किन्तु वे परमेश्वर के सन्देश-वाहकों का मजाक उड़ाते रहे। उन्होंने परमेश्वर के सन्देश को तुच्छ समझा; उसके नबियों की हंसी की। तब अन्त में प्रभु की क्रोधाग्नि अपने निज लोगों पर भड़क उठी; और उसको बुझाने का किसी में सामर्थ्य न था: कोई इलाज न रह गया।
‘मैंने व्यर्थ ही तुम्हारे बच्चों को मारा, वे मेरी ताड़ना से सुधरे नहीं; तुमने अपनी तलवार से अपने नबियों को चीर-फाड़ डाला, जैसे गरजता हुआ सिंह अपने शिकार को फाड़ता है!
परन्तु मैं तुम से कहता हूँ, एलियाह आ चुके हैं। उन्होंने एलियाह को नहीं पहचाना और उनके साथ मनमाना व्यवहार किया। इसी प्रकार मानव-पुत्र भी उनके हाथों दु:ख उठाएगा।”