देखिए, मैं अपने प्रभु परमेश्वर के नाम पर एक मन्दिर बनाना चाहता हूँ। मैं उसको इस कार्य के लिए अर्पित करूंगा कि उसमें इस्राएली जाति की स्थायी धर्म-प्रथा के अनुसार हमारे प्रभु परमेश्वर के सम्मुख सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाए जाएं, निरन्तर भेंट की रोटियां अर्पित की जाएं, और प्रतिदिन सबेरे और शाम तथा पवित्र विश्राम-दिवसों, नवचन्द्र-दिवसों और निर्धारित पर्वों पर अग्नि-बलि चढ़ाई जाए।
तत्पश्चात् उपपुरोहित येशुअ, कदमीएल, बानी, हशबन्याह, शेरेब्याह, होदियाह, शबन्याह और पतहयाह ने कहा, ‘खड़े हो, और अपने प्रभु परमेश्वर को अनादि काल से अनंत काल तक धन्य कहो : हे प्रभु, तेरे महिमामय नाम को जो सब प्रकार की प्रशंसा और स्तुति से परे है, हम धन्य कहते हैं।’
अब मुझे ज्ञात हुआ कि प्रभु समस्त देवताओं से महान है, क्योंकि जब मिस्र-निवासियों ने इस्राएलियों के साथ तिरस्कारपूर्ण व्यवहार किया तब उसने उनको मिस्र-निवासियों की अधीनता से मुक्त किया।’
तुम कब तक मेरी भक्ति नहीं करोगे? तुम कब तक भक्ति भाव से मेरे सम्मुख घुटने नहीं टेकोगे? मैंने समुद्र की सीमा बांधने के लिए रेत डाली है। यह स्थायी मर्यादा है, जिसको वह कभी लांघ नहीं सकता। लहरें उठती हैं, पर वे उसको लांघ नहीं सकतीं। वे गरजती हैं, किन्तु वे उस पर प्रबल नहीं हो पातीं।
राजा ने दानिएल से कहा, ‘निस्सन्देह तुम्हारा परमेश्वर ही सब देवताओं का ईश्वर और राजाओं का स्वामी है, वही सब रहस्यों का भेद खोलनेवाला है। केवल तुम ही मेरे रहस्य पर से परदा उठा सके।’
प्रभु! कौन तुझ पर श्रद्धा और तेरे नाम की स्तुति नहीं करेगा? क्योंकि तू ही पवित्र है। सभी राष्ट्र आ कर तेरी आराधना करेंगे, क्योंकि तेरे न्यायसंगत निर्णय प्रकट हो गये हैं।”
हाय! अब क्या होगा? कौन हमें इन महाबली देवताओं के हाथ से छुड़ा सकेगा? ये वे ही देवता हैं, जिन्होंने सब प्रकार की महामारियों और अपने वचनों से मिस्र निवासियों को नष्ट कर दिया था।