वह सपने की तरह लुप्त हो जाएगा, और उसका पता तक नहीं चलेगा; रात में देखे गए दृश्य के समान उसकी स्मृति भी शेष नहीं रहेगी।
भजन संहिता 90:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तू मनुष्यों को बहा ले जाता है; वे मानो स्वप्न हैं, वे घास के सदृश हैं जो प्रात: काल लहलहाती है: पवित्र बाइबल तू हमारा जीवन सपने जैसा बुहार देता है और सुबह होते ही हम चले जाते है। हम ऐसे घास जैसे है, Hindi Holy Bible तू मनुष्यों को धारा में बहा देता है; वे स्वप्न से ठहरते हैं, वे भोर को बढ़ने वाली घास के समान होते हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तू मनुष्यों को धारा में बहा देता है; वे स्वप्न से ठहरते हैं, वे भोर को बढ़नेवाली घास के समान होते हैं। नवीन हिंदी बाइबल तू मनुष्यों को जल-धारा के समान बहा देता है; वे स्वप्न के समान ठहरते हैं। वे भोर को उगनेवाली घास के समान होते हैं, सरल हिन्दी बाइबल आप मनुष्यों को ऐसे समेट ले जाते हैं, जैसे बाढ़; वे स्वप्न मात्र होते हैं— प्रातःकाल में बढ़ने वाली कोमल घास के समान: इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तू मनुष्यों को धारा में बहा देता है; वे स्वप्न से ठहरते हैं, वे भोर को बढ़नेवाली घास के समान होते हैं। |
वह सपने की तरह लुप्त हो जाएगा, और उसका पता तक नहीं चलेगा; रात में देखे गए दृश्य के समान उसकी स्मृति भी शेष नहीं रहेगी।
आदमी सबेरे से शाम तक मरते रहते हैं, वे सदा के लिए नष्ट हो जाते हैं, और कोई उन पर ध्यान भी नहीं देता!
वे सरकंडे की नावों की तेजी से गुजर रहे हैं, जिस वेग से बाज अपने शिकार पर झपटता है; उसी वेग से मेरे दिन बीत रहे हैं।
जैसे जागने वाला मनुष्य स्वप्न को महत्व नहीं देता, वैसे ही स्वामी, तू जागने पर उनके झूठे वैभव को तुच्छ समझता है।
मेरा निवास-स्थान चरवाहे के तम्बू की तरह उठा लिया गया; वह मुझसे अलग कर दिया गया। मैंने जुलाहे के समान अपना जीवन लपेट लिया। प्रभु मुझे करघे पर से काट रहा है। सबेरे से शाम तक वह मेरे जीवन का अन्त कर रहा है!
मैं प्रात: काल तक सहायता के लिए पुकारता रहा। सिंह के सदृश वह मेरी हड्डियों को तोड़ता रहा। सबेरे से शाम तक वह मेरे जीवन का अन्त कर रहा है!
बोलनेवाला यह आदेश देता है, “प्रचार कर।” मैंने उत्तर दिया, “मैं क्या प्रचार करूँ?” समस्त प्राणी घास की तरह अनित्य हैं, उनकी शोभा बाग के फूल के समान क्षणिक है।
जब प्रभु का श्वास घास पर पड़ता है तब वह सूख जाती है, फूल मुरझा जाते हैं। निस्सन्देह ये लोग घास ही हैं!
क्योंकि धर्मग्रन्थ में लिखा है- “समस्त शरीरधारी घास के सदृश हैं और उनका सौन्दर्य घास के फूल की तरह। घास मुरझाती है और फूल झड़ता है,