तब वह बोला, ‘अब तेरा नाम याकूब न होगा, वरन् “इस्राएल” होगा; क्योंकि तूने परमेश्वर और मनुष्य से लड़कर विजय प्राप्त की है।’
भजन संहिता 77:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) संकट के दिन मैं स्वामी को खोजता हूँ, रात भर मेरे हाथ बिना थके उसकी ओर फैले रहे; मेरा प्राण धैर्य धारण करने में असमर्थ है। पवित्र बाइबल हे मेरे स्वामी, मुझ पर जब दु:ख पड़ता है, मैं तेरी शरण में आता हूँ। मैं सारी रात तुझ तक पहुँचने में जुझा हूँ। मेरा मन चैन पाने को नहीं माना। Hindi Holy Bible संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा; रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढीला न हुआ, मुझ में शांति आई ही नहीं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा; रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढीला न हुआ, मुझ में शान्ति आई ही नहीं। नवीन हिंदी बाइबल संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा, रात भर मेरे हाथ फैले रहे और ढीले न पड़े; मेरा प्राण बेचैन रहा। सरल हिन्दी बाइबल अपनी संकट की स्थिति में, मैंने प्रभु की सहायता की कामना की; रात्रि के समय थकावट की अनदेखी कर मैं उनकी ओर हाथ बढ़ाए रहा किंतु, मेरे प्राण को थोडी भी सांत्वना प्राप्त न हुई. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा; रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढीला न हुआ, मुझ में शान्ति आई ही नहीं। |
तब वह बोला, ‘अब तेरा नाम याकूब न होगा, वरन् “इस्राएल” होगा; क्योंकि तूने परमेश्वर और मनुष्य से लड़कर विजय प्राप्त की है।’
उसके पुत्र-पुत्रियों ने उन्हें सान्त्वना देने का प्रयत्न किया। किन्तु उन्होंने सान्त्वना स्वीकार नहीं की। वह कहते रहे, ‘नहीं, मैं अपने पुत्र के पास शोक करता हुआ अधोलोक जाऊंगा।’ इस प्रकार यूसुफ के पिता ने उसके लिए विलाप किया।
‘जब इस देश में अकाल पड़ेगा, महामारी फैलेगी, फसल में गेरुआ कीड़ा लगेगा, पाला पड़ेगा, टिड्डी-दल का आक्रमण होगा अथवा फसल में कीड़े लगेंगे; जब उनके शत्रु उनको किसी नगर में घेर लेंगे अथवा विपत्ति या रोग का उन पर हमला होगा,
‘यदि तुम अपना हृदय शुद्ध कर लो तो तुम प्रार्थना के लिए परमेश्वर की ओर हाथ उठा सकते हो!
मैंने संकट में प्रभु को पुकारा, मैंने अपने परमेश्वर की दुहाई दी। उसने अपने मंदिर से मेरी वाणी सुनी, मेरी दुहाई उसके कानों में पहुँची।
मैं संध्या, प्रात: और दोपहर में दु:ख के उद्गार प्रकट करता, और रोता हूँ; वह मेरी आवाज सुनेगा।
बीमारी की दशा में मनुष्य का आत्म-बल उसको सम्भलता है; पर जब हृदय ही टूट जाता है, तब उसको कौन सह सकता है?
प्रभु, हम संकट-काल में तुझे ढूंढ़ते हैं। जब तू हमें ताड़ित करता है, तब हम तुझसे निरन्तर प्रार्थना करते हैं।
मेरे प्राण रात में तेरे लिए तरसते हैं, मेरी आत्मा मेरे अन्त: में तुझे ढूंढ़ती है। जब तेरे न्याय-सिद्धान्त पृथ्वी पर प्रबल होते हैं, तब संसार के निवासी धर्म को सीखते हैं।
प्रभु यों कहता है : ‘रामा नगर में शोक-स्वर सुनाई दे रहा है : छाती पीट-पीट कर रोने का स्वर : राहेल अपने बच्चों के लिए बिलख-बिलख कर रो रही है। उसके बच्चे नहीं रहे, इसलिए वह शान्त होना नहीं चाह रही है।’
जब एफ्रइम ने अपना घाव देखा, और यहूदा ने अपना रोग, तब एफ्रइम असीरिया देश को गया। उसने अविलम्ब सम्राट से सहायता मांगी। पर वह उसे स्वस्थ नहीं कर सकता है, वह उसके घाव नहीं भर सकता है।
लोग यह कहते हैं : ‘आओ, हम प्रभु के पास लौटें। उसने हमें क्षत-विक्षत किया है, अब वही हमें स्वस्थ करेगा। उसने हमें घायल किया है, अब वही हमारे घावों पर पट्टी बांधेगा।
जो लोग संवेदना प्रकट करने के लिए मरियम के साथ घर में थे, वे यह देख कर कि वह अचानक उठ कर बाहर चली गयी, उसके पीछे हो लिये; क्योंकि उन्होंने समझा कि वह कबर पर रोने जा रही है।
मसीह ने इस पृथ्वी पर रहते समय पुकार-पुकार कर और आँसू बहा-बहा कर परमेश्वर से, जो उन्हें मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थना और अनुनय-विनय की। श्रद्धाभक्ति के कारण उनकी प्रार्थना सुनी गयी।