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भजन संहिता 46:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

चाहे समुद्र-जल गरजे और उफने और पर्वत उसकी उत्तेजना से कांप उठें! सेलाह

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पवित्र बाइबल

हम नहीं डरते जब सागर उफनते और काले हो जाते हैं, और धरती और पर्वत काँपने लगते हैं।

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Hindi Holy Bible

चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से काँप उठे। (सेला)

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नवीन हिंदी बाइबल

चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और उसके उमड़ने से पर्वत काँप उठें। सेला।

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सरल हिन्दी बाइबल

हां, तब भी जब समुद्र गरजना करते हुए फेन उठाने लगें और पर्वत इस उत्तेजना के कारण थर्रा जाएं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

चाहे समुद्र गरजें और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से काँप उठे। (सेला) (लूका 21:25, मत्ती 7:25)

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भजन संहिता 46:3
17 क्रॉस रेफरेंस  

प्रभु ने कहा, ‘गुफा से बाहर निकल, और मुझ-प्रभु के सम्‍मुख पहाड़ पर खड़ा हो।’ तब प्रभु वहां से गुजरा। एक महाशक्‍तिशाली पवन बहा। उसने पहाड़ को फाड़ दिया। प्रभु के सम्‍मुख की चट्टानों के टुकड़े-टुकड़े कर दिये। पर प्रभु पवन में नहीं था। पवन के पश्‍चात् भूडोल हुआ। पर प्रभु भूडोल में नहीं था।


और समुद्र को यह आदेश दिया था, “तू यहाँ तक आ सकेगा, इससे आगे नहीं! तेरी उमड़नेवाली लहरें यहाँ ठहर जाएंगी।”


मृत्‍यु के पाश ने मुझे लपेट लिया। विनाश की प्रचंड धारा ने मुझ पर आक्रमण किया,


अब, ओ यरूशलेम नगर के नागरिको, ओ यहूदा प्रदेश के निवासियो, तुमसे मेरा यह निवेदन है : अब तुम्‍हीं मेरे और मेरे अंगूर-उद्यान के मध्‍य न्‍याय करो।


चाहे पहाड़ अपने स्‍थान से टल जाएं, चाहे पहाड़ियाँ अपने स्‍थान से हिल जाएं, किन्‍तु तुझ पर से मेरी करुणा नहीं हटेगी, मेरा शान्‍ति-विधान नहीं टलेगा।’ तुझ पर दया करनेवाला प्रभु यह कहता है।


तब मैंने पहाड़ों पर नजर डाली, तो देखा कि वे हिल रहे हैं। पहाड़ियां डोल रही हैं।


तुम कब तक मेरी भक्‍ति नहीं करोगे? तुम कब तक भक्‍ति भाव से मेरे सम्‍मुख घुटने नहीं टेकोगे? मैंने समुद्र की सीमा बांधने के लिए रेत डाली है। यह स्‍थायी मर्यादा है, जिसको वह कभी लांघ नहीं सकता। लहरें उठती हैं, पर वे उसको लांघ नहीं सकतीं। वे गरजती हैं, किन्‍तु वे उस पर प्रबल नहीं हो पातीं।


उसके पैरों तले पहाड़ पिघल जाएंगे, जैसे आग से मोम पिघल जाता है। घाटियाँ और गहरी बनेंगी, जैसे पानी ढाल को काटकर उसे गहरा बनाता है।


प्रभु के सम्‍मुख पहाड़ कांपते हैं, पहाड़ियाँ हिलने लगती हैं। उसकी उपस्‍थिति से, पृथ्‍वी और उस पर रहनेवाले प्राणी, उजड़ जाते हैं।


पानी बरसा, नदियों में बाढ़ आयी, आँधियाँ चलीं और वेगपूर्वक उस घर से टकरायीं। तब भी वह घर नहीं ढहा; क्‍योंकि उसकी नींव चट्टान पर डाली गयी थी।


सभी द्वीप विलीन हो गये और पर्वत लुप्‍त हो गये,


स्‍वर्गदूत ने मुझ से यह कहा, “आपने जिस समुद्र को देखा, जहाँ महावेश्‍या बैठी हुई है, उस समुद्र का अर्थ है: प्रजातियाँ, जनसमूह, राष्‍ट्र और भाषाएँ।