याकूब ने फरओ को उत्तर दिया, ‘मेरे प्रवास की अवधि कुल एक सौ तीस वर्ष हुई है। मेरे जीवन के दिन थोड़े हैं और वे बुरे बीते हैं। अभी मैंने अपने जीवन के उतने दिन व्यतीत नहीं किए हैं जितने मेरे पूर्वजों ने अपने प्रवास काल में बिताए थे।’
भजन संहिता 39:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तूने मेरे जीवन-काल को बित्ता भर बनाया है। मेरी आयु तेरे सम्मुख कुछ भी नहीं है। वस्तुत: प्रत्येक मनुष्य की स्थिति श्वास मात्र है। सेलाह पवित्र बाइबल हे यहोवा, तूने मुझको बस एक क्षणिक जीवन दिया। तेरे लिये मेरा जीवन कुछ भी नहीं है। हर किसी का जीवन एक बादल सा है। कोई भी सदा नहीं जीता! Hindi Holy Bible देख, तू ने मेरे आयु बालिश्त भर की रखी है, और मेरी अवस्था तेरी दृष्टि में कुछ है ही नहीं। सचमुच सब मनुष्य कैसे ही स्थिर क्यों न हों तौभी व्यर्थ ठहरे हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) देख, तू ने मेरी आयु बालिश्त भर की रखी है, और मेरी अवस्था तेरी दृष्टि में कुछ है ही नहीं। सचमुच सब मनुष्य कैसे भी स्थिर क्यों न हों तौभी व्यर्थ ठहरे हैं। (सेला) नवीन हिंदी बाइबल देख, तूने मेरी आयु कितनी छोटी रखी है, और मेरा जीवनकाल मानो तेरी दृष्टि में कुछ भी नहीं। निश्चय हर एक मनुष्य, कितना ही स्थिर क्यों न हो, फिर भी भाप के समान ही है। सेला। सरल हिन्दी बाइबल आपने मेरी आयु क्षणिक मात्र ही निर्धारित की है; आपकी तुलना में मेरी आयु के वर्ष नगण्य हैं. वैसे भी मनुष्य का जीवन-श्वास मात्र ही होता है, वह शक्तिशाली व्यक्ति का भी. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 देख, तूने मेरी आयु बालिश्त भर की रखी है, और मेरा जीवनकाल तेरी दृष्टि में कुछ है ही नहीं। सचमुच सब मनुष्य कैसे ही स्थिर क्यों न हों तो भी व्यर्थ ठहरे हैं। (सेला) |
याकूब ने फरओ को उत्तर दिया, ‘मेरे प्रवास की अवधि कुल एक सौ तीस वर्ष हुई है। मेरे जीवन के दिन थोड़े हैं और वे बुरे बीते हैं। अभी मैंने अपने जीवन के उतने दिन व्यतीत नहीं किए हैं जितने मेरे पूर्वजों ने अपने प्रवास काल में बिताए थे।’
बर्जिल्लय ने राजा को उत्तर दिया, ‘मुझे अब कितने दिन और जीवित रहना है कि मैं महाराज के साथ यरूशलेम जाऊं?
मेरे जीवन का हर दिन जुलाहे की ढरकी से अधिक तेजी से गुजरता है; वह बिना किसी आशा के यों ही बीत जाता है।
“तू डांट-डपट से व्यक्ति को कुकर्म के लिए दंडित करता है- जैसा कीड़ा वस्तुओं को खा जाता है, तू उसकी इच्छित वस्तुओं को नष्ट कर देता है। निस्सन्देह प्रत्येक मनुष्य श्वास मात्र है। सेलाह
अकुलीन मनुष्य श्वास मात्र है, कुलीन केवल मिथ्या है; तुला पर वे ऊपर उठ जाते हैं, वे सब मिलकर सांस से भी हलके हैं।
हे स्वामी, स्मरण कर, जीवन-काल कितना अल्प है; तूने सब मनुष्यों को नश्वर उत्पन्न किया है।
अत: प्रभु, हमें सिखा कि हमारी आयु के दिन कितने कम हैं; और यों हम बुद्धिमत्तापूर्ण मन प्राप्त करें।
सभा-उपदेशक यह कहता है: सब व्यर्थ है, सब निस्सार है। निस्सन्देह सब व्यर्थ है, सब निस्सार है; सब कुछ व्यर्थ है!
तब मैंने अपने कामों पर विचार किया, मैंने उस परिश्रम पर भी सोचा जो मैंने उन कामों पर किया था। मुझे अनुभव हुआ कि यह सब निस्सार है− यह मानो हवा को पकड़ना है। इस सूर्य के नीचे धरती पर मनुष्य के काम और परिश्रम से कुछ लाभ नहीं।
उसके सम्मुख पृथ्वी के समस्त राष्ट्र नगण्य हैं, उनका अस्तित्व शून्य से भी कम है, वे कुछ भी नहीं हैं!
तुम नहीं जानते कि कल तुम्हारा क्या हाल होगा। तुम्हारा जीवन एक कुहरा मात्र है-वह एक क्षण दिखाई दे कर लुप्त हो जाता है।
प्रिय भाइयो और बहिनो! यह बात अवश्य याद रखें कि प्रभु की दृष्टि में एक दिन हजार वर्ष के समान है और हजार वर्ष एक दिन के समान।