तब मैंने अहवा नदी के तट पर सामूहिक उपवास की घोषणा की ताकि हम परमेश्वर के सम्मुख विनम्र बनें, और उससे स्वयं की, अपने बच्चों की तथा सम्पत्ति की रक्षा के लिए निर्विघ्न यात्रा की मांग करें।
भजन संहिता 137:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जब हम बेबीलोन की नदियों के तट पर बैठे; तब सियोन को स्मरण कर रो दिए। पवित्र बाइबल बाबुल की नदियों के किनारे बैठकर हम सिय्योन को याद करके रो पड़े। Hindi Holy Bible बाबुल की नहरों के किनारे हम लोग बैठ गए, और सिय्योन को स्मरण करके रो पड़े! पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) बेबीलोन की नहरों के किनारे हम लोग बैठ गए, और सिय्योन को स्मरण करके रो पड़े। नवीन हिंदी बाइबल बेबीलोन की नदियों के किनारे हम बैठ गए, और सिय्योन को स्मरण करके रो पड़े। सरल हिन्दी बाइबल बाबेल की नदी के तट पर बैठे हुए ज़ियोन का स्मरण कर हम रो रहे थे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 बाबेल की नदियों के किनारे हम लोग बैठ गए, और सिय्योन को स्मरण करके रो पड़े! |
तब मैंने अहवा नदी के तट पर सामूहिक उपवास की घोषणा की ताकि हम परमेश्वर के सम्मुख विनम्र बनें, और उससे स्वयं की, अपने बच्चों की तथा सम्पत्ति की रक्षा के लिए निर्विघ्न यात्रा की मांग करें।
हमने यरूशलेम के लिए पहले महीने की बारहवीं तारीख को अहवा नदी के तट से प्रस्थान किया। परमेश्वर की कृपा-दृष्टि हम पर थी, उसने मार्ग में शत्रुओं के हाथ से तथा लुटेरों से हमारी रक्षा की।
मैंने सम्राट से कहा, ‘महाराज, सदा-सर्वदा जीवित रहें! महाराज, क्षमा करें; मैं उदास क्यों न होऊंगा जब कि मेरे पूर्वजों की कबरों का नगर उजाड़ पड़ा है, उसके प्रवेश-द्वार आग से जले हुए पड़े हैं?’
जब मुझे ये बातें स्मरण आती हैं तब मेरे हृदय में तीव्र भाव उमड़ आते हैं: मैं लोगों के साथ गया था। मैंने उन्हें परमेश्वर के भवन तक पहुंचाया था। जनसमूह जयजयकार और स्तुति के साथ पर्व मना रहा था।
‘ओ यरूशलेम के प्रेमियो! यरूशलेम के साथ हर्षित हो, उसके साथ आनन्द मनाओ। ओ यरूशलेम के लिए शोक करनेवालो! अब तुम उसके हर्ष में सम्मिलित हो।
‘जो लुंगी तूने खरीदी है और जो तूने कमर में बांधी है, उस को उतार, और फरात नदी के तट पर जा। वहां तू लुंगी को चट्टान की दरार में छिपा देना।’
मैं हंसी-मजाक करने वालों के साथ नहीं बैठता था; और न आनन्द मनाता था। मैं तो अकेला था, पर तेरा हाथ मुझ पर था। तूने ही मुझे क्रोध से भरा था।
ओ अनेक नदियों से घिरी नगरी, ओ धन-सम्पत्ति से भरी-पूरी नगरी! तेरा अन्त आ गया। तेरी जीवन-लीला समाप्त हो गई।
मेरे नगर के निवासियों की, यरूशलेम के नागरिकों की करुण चीख- पुकार सुनाई दे रही है। सारे देश में एक छोर से दूसरे छोर तक, लोग कह रहे हैं, ‘क्या सियोन में प्रभु नहीं है? क्या सियोन का राजा सियोन को त्याग चुका है?’ प्रभु ने कहा, ‘इन लोगों ने अपनी मूर्ति-पूजा से, विदेशियों की निस्सार मूर्तियों की प्रतिष्ठा से मेरी क्रोधाग्नि क्यों भड़कायी?’
‘मैं इन बातों के कारण रोती हूं; मेरी आंखों से आंसू की धारा बहती है। वह मुझमें साहस फूंकता था, वह मुझसे दूर चला गया है। मेरे बच्चे बेघर हो गए हैं; क्योंकि शत्रु मुझ पर प्रबल हुआ है।’
ओ सियोन की पुत्री, उच्च स्वर में स्वामी को पुकार; तेरी आंखों से रात और दिन आंसू की जलधाराएं बहें! तू निरन्तर पुकारती रह, और चुप न रह; तेरी आंखों से आंसू बहते रहें, और वे बन्द न हों!
अपने नगर की कन्याओं का हाल देखकर मेरी आंखें दु:ख से त्रस्त हो गई हैं, मेरे प्राण को क्लेश होता है।
तीसवें वर्ष के चौथे महीने की पांचवीं तारीख को यह घटना घटी। उस समय कबार नदी के तट पर यहूदा प्रदेश से निष्कासित बन्दियों का शिविर था। मैं भी इन्हीं बन्दियों में था। तब स्वर्ग खुल गया, और मैंने परमेश्वर के दर्शन देखे।
प्रभु का यह सन्देश पुरोहित यहेजकेल बेन-बूजी को मिला। उस समय पुरोहित यहेजकेल कसदी कौम के देश में कबार नदी के तट पर बन्दियों के शिविर में थे। वहाँ प्रभु की सामर्थ्य नबी यहेजकेल को प्राप्त हुई।
मैं तेल-आबीब नगर में आया। यहीं कबार नदी के तट पर स्वदेश से निष्कासित बन्दियों का शिविर था। मैं वहाँ उनके मध्य में सात दिन तक बैठा रहा; मेरी समझ में न आया कि क्या करूं, क्या न करूं।
“तब मैं अपने स्वामी परमेश्वर की ओर उन्मुख हुआ। मैंने पश्चात्ताप प्रकट करने के लिए टाट के वस्त्र पहिने, और अपने सिर पर राख डाली। मैंने उपवास रखा। मैं परमेश्वर की कृपा-दृष्टि पाने के लिए प्रार्थना और विनती करने लगा।
मैं अपने दो सािक्षयों को आदेश दूँगा कि वे उन बारह सौ साठ दिनों तक टाट ओढ़े नबूवत करते रहें।”