मेरे संकट के दिन अपना मुख मुझ से न छिपा! अपने कान मेरी ओर कर; जिस समय मैं पुकारूं, मुझे अविलम्ब उत्तर दे।
भजन संहिता 120:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) अपने संकट में मैंने प्रभु को पुकारा कि वह मुझे उत्तर दे; पवित्र बाइबल मैं संकट में पड़ा था, सहारा पाने के लिए मैंने यहोवा को पुकारा और उसने मुझे बचा लिया। Hindi Holy Bible संकट के समय मैं ने यहोवा को पुकारा, और उसने मेरी सुन ली। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) संकट के समय मैं ने यहोवा को पुकारा, और उसने मेरी सुन ली। नवीन हिंदी बाइबल मैंने संकट के समय यहोवा को पुकारा, और उसने मुझे उत्तर दिया। सरल हिन्दी बाइबल मैंने अपनी पीड़ा में याहवेह को पुकारा, और उन्होंने मेरी सुन ली. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 संकट के समय मैंने यहोवा को पुकारा, और उसने मेरी सुन ली। |
मेरे संकट के दिन अपना मुख मुझ से न छिपा! अपने कान मेरी ओर कर; जिस समय मैं पुकारूं, मुझे अविलम्ब उत्तर दे।
जब प्रभु सियोन को गुलामी से वापस ले आया तब हमें अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ; हमें प्रभु का यह कार्य स्वप्न लगा!
यदि प्रभु घर को न बनाए, तो उसे बनानेवाले व्यक्ति व्यर्थ परिश्रम करते हैं; यदि प्रभु नगर की रक्षा न करे, तो पहरेदार व्यर्थ जागते हैं।
हे प्रभु, न मेरे हृदय में अहंकार है, और न मेरी आंखें घमण्ड से चढ़ी हैं। अपनी पहुंच से दूर बड़ी और अद्भुत वस्तुओं के पीछे मैं नहीं भागता।
मैंने संकट में प्रभु को पुकारा, मैंने अपने परमेश्वर की दुहाई दी। उसने अपने मंदिर से मेरी वाणी सुनी, मेरी दुहाई उसके कानों में पहुँची।
जो मुझे ‘स्तुति-बलि’ चढ़ाता है, वह मेरी महिमा करता है; जो अपना आचारण निर्दोष रखता है, उसे मैं−परमेश्वर, अपने उद्धार के दर्शन कराऊंगा।”
उसने कहा : ‘हे प्रभु, मैंने अपने संकट में तुझे पुकारा, और तूने मुझे उत्तर दिया। मैंने अधोलोक के उदर में तेरी दुहाई दी, और तूने निस्सन्देह मेरी पुकार सुनी।
तूने मुझे गहरे सागर में, सागर के हृदय में फेंका था; मैं धाराओं से घिरा हुआ था। तेरी लहरों और तरंगों ने मुझे लपेट लिया था।
येशु प्राणपीड़ा में पड़ने के कारण और भी एकाग्र हो कर प्रार्थना करते रहे और उनका पसीना रक्त की बूंदों की तरह धरती पर टपकता रहा।]
मसीह ने इस पृथ्वी पर रहते समय पुकार-पुकार कर और आँसू बहा-बहा कर परमेश्वर से, जो उन्हें मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थना और अनुनय-विनय की। श्रद्धाभक्ति के कारण उनकी प्रार्थना सुनी गयी।
वह गर्भवती हुई, और यथासमय उसने एक पुत्र को जन्म दिया। उसने अपने पुत्र का नाम ‘शमूएल’ रखा। वह कहती थी, ‘क्योंकि मैंने इसको प्रभु से माँगा था।’