तत्पश्चात् मैंने उपपुरोहितों को आदेश दिया कि वे अपने को शुद्ध करें और प्रवेश-द्वारों पर पहरा देने के लिए वहां जाएं, जिससे विश्राम-दिवस की पवित्रता भंग न हो। हे परमेश्वर, मेरी भलाई के लिए यह कार्य भी स्मरण रखना; और अपने अत्यन्त करुणामय स्वभाव के अनुरूप मुझ पर दया करना।
परमेश्वर अन्याय नहीं करता। वह आपके कार्यों को एवं उस प्रेम को नहीं भुला सकता, जो आपने, उसके नाम की महिमा के उद्देश्य से, इस प्रकार दिखाया कि आपने सन्तों की सेवा की और अब भी कर रहे हैं।