वह कर्मेल पर्वत पर पहुंची। उसने परमेश्वर के जन एलीशा के पैर पकड़ लिए। गेहजी उसको बलपूर्वक हटाने लगा। परन्तु परमेश्वर के जन एलीशा ने गेहजी से कहा, ‘इनको छोड़ दे। इनके प्राण व्याकुल हैं। किन्तु प्रभु ने मुझसे यह बात छिपा रखी है। उसने मुझ पर प्रकट नहीं किया।’
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के जहर-बुझे तीरों ने मुझे बेधा है, मेरी आत्मा उनका विष-पान कर रही है, परमेश्वर का आतंक मेरे विरुद्ध आक्रमण के लिए पंिक्तबद्ध खड़ा है।
लोगों ने उससे घृणा की; उन्होंने उसको त्याग दिया। वह दु:खी मनुष्य था, केवल पीड़ा से उसकी पहचान थी। उसको देखते ही लोग अपना मुख फेर लेते थे। हम ने उससे घृणा की और उसका मूल्य नहीं जाना।