जब दाऊद ने लोगों का संहार करने वाले दूत को देखा, तब उसने प्रभु से यह कहा, ‘प्रभु, देख, पाप मैंने किया। मैंने ही दुष्कर्म किया। पर ये भेड़ें? इन्होंने क्या किया? प्रभु, मैं विनती करता हूँ : मुझ पर और मेरे परिवार पर अपना हाथ उठा।’
प्रेरितों के काम 26:31 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जाते समय उन्होंने आपस में कहा, “यह व्यक्ति प्राणदण्ड या क़ैद के योग्य कोई अपराध नहीं कर रहा है।” पवित्र बाइबल वहाँ से बाहर निकल कर वे आपस में बात करते हुए कहने लगे, इस व्यक्ति ने तो ऐसा कुछ नहीं किया है, जिससे इसे मृत्युदण्ड या कारावास मिल सके। Hindi Holy Bible और अलग जाकर आपस में कहने लगे, यह मनुष्य ऐसा तो कुछ नहीं करता, जो मृत्यु या बन्धन के योग्य हो। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और अलग जाकर आपस में कहने लगे, “यह मनुष्य ऐसा तो कुछ नहीं करता, जो मृत्युदण्ड या बन्दीगृह में डाले जाने के योग्य हो।” नवीन हिंदी बाइबल और वहाँ से निकलकर आपस में यह कहने लगे, “इस मनुष्य ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है जो मृत्युदंड या बंदी बनाए जाने के योग्य हो।” सरल हिन्दी बाइबल न्यायालय से बाहर निकलकर आपस में विचार-विमर्श करने लगे: “इस व्यक्ति ने मृत्यु दंड या कारावास के योग्य कोई अपराध नहीं किया है!” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और अलग जाकर आपस में कहने लगे, “यह मनुष्य ऐसा तो कुछ नहीं करता, जो मृत्यु-दण्ड या बन्दीगृह में डाले जाने के योग्य हो। |
जब दाऊद ने लोगों का संहार करने वाले दूत को देखा, तब उसने प्रभु से यह कहा, ‘प्रभु, देख, पाप मैंने किया। मैंने ही दुष्कर्म किया। पर ये भेड़ें? इन्होंने क्या किया? प्रभु, मैं विनती करता हूँ : मुझ पर और मेरे परिवार पर अपना हाथ उठा।’
तब उच्चाधिकारियों और जनता ने पुरोहितों और नबियों से कहा, ‘इस मनुष्य ने ऐसा कोई काम नहीं किया है कि इस को मृत्यु-दण्ड दिया जाए। इस ने तो हमारे प्रभु परमेश्वर के नाम से वचन सुनाया है।’
वहां मुझे पता चला कि वे अपनी व्यवस्था के कतिपय प्रश्नों के विषय में इस पर अभियोग लगा रहे हैं। पर यह कोई ऐसा आरोप नहीं है, जो मृत्यु या कैद के योग्य हो।
इस प्रकार बड़ा कोलाहल मच गया। फ़रीसी दल के कुछ शास्त्री उठकर झगड़ने और यह कहने लगे, “हम इस मनुष्य में कोई दोष नहीं पाते। यदि कोई आत्मा अथवा स्वर्गदूत इससे कुछ बोला हो, तो....।”
किन्तु मैंने इस में प्राणदण्ड के योग्य कोई अपराध नहीं पाया और जब इसने महाराजाधिराज की दुहाई दी, तो मैंने इसे भेजने का निश्चय किया।
वे जांच के बाद मुझे मुक्त करना चाहते थे, क्योंकि उन्होंने मुझमें प्राणदण्ड के योग्य कोई कार्य नहीं पाया।