उसने उदारता से दरिद्रों को दान दिया है, उसकी धार्मिकता सदा बनी रहेगी; सम्मान से उसका सिर ऊंचा रहता है।
प्रेरितों के काम 2:45 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) वे अपनी चल-अचल सम्पत्ति बेच देते और उससे प्राप्त धनराशि हर एक की जरूरत के अनुसार सब को बांट देते थे। पवित्र बाइबल उन्होंने अपनी सभी वस्तुएँ और सम्पत्ति बेच डाली और जिस किसी को आवश्यकता थी, उन सब में उसे बाँट दिया। Hindi Holy Bible और वे अपनी अपनी सम्पत्ति और सामान बेच बेचकर जैसी जिस की आवश्यकता होती थी बांट दिया करते थे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) वे अपनी–अपनी सम्पत्ति और सामान बेच–बेचकर जैसी जिसकी आवश्यकता होती थी बाँट दिया करते थे। नवीन हिंदी बाइबल तथा वे अपनी संपत्ति और सामान बेचकर जैसी जिसकी आवश्यकता होती थी उसके अनुसार सब को बाँट दिया करते थे। सरल हिन्दी बाइबल वे अपनी संपत्ति बेचकर, जिनके पास कम थी उनमें बांटने लगे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और वे अपनी-अपनी सम्पत्ति और सामान बेच-बेचकर जैसी जिसकी आवश्यकता होती थी बाँट दिया करते थे। |
उसने उदारता से दरिद्रों को दान दिया है, उसकी धार्मिकता सदा बनी रहेगी; सम्मान से उसका सिर ऊंचा रहता है।
जो गरीब को दान करता है वह मानो प्रभु को उधार देता है; प्रभु उसको इस कार्य का प्रतिफल देगा।
येशु ने उसे उत्तर दिया, “यदि तुम पूर्ण होना चाहते हो, तो जाओ, अपनी सम्पत्ति बेच कर गरीबों को दे दो और स्वर्ग में तुम्हारा धन होगा। तब आ कर मेरा अनुसरण करो।”
“इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, सांसारिक धन से अपने लिए मित्र बना लो, जिससे उसके समाप्त हो जाने पर वे शाश्वत निवास में तुम्हारा स्वागत करें।
येशु ने यह सुन कर उस से कहा, “तुम में अब तक एक बात का अभाव है। अपना सब कुछ बेच कर गरीबों में बाँट दो और तुम्हारे पास स्वर्ग में धन होगा। तब आकर मेरा अनुसरण करो।”
जक्कई सबके सामने खड़ा हुआ और उसने प्रभु से कहा, “प्रभु! देखिए, मैं अपनी आधी सम्पत्ति गरीबों को दिए देता हूँ और यदि मैंने किसी से अन्यायपूर्वक कुछ लिया है, तो उसे चौगुना लौटाए देता हूँ।”
शिष्यों ने निश्चय किया कि यहूदा प्रदेश में रहने वाले विश्वासी भाई-बहिनों की सहायता के लिए उन में से प्रत्येक अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार कुछ भेजेगा।
उन में कोई भी दरिद्र नहीं था; क्योंकि जिनके पास खेत या मकान थे, वे उन्हें बेच देते और धनराशि ला कर
प्रेरितों के चरणों में अर्पित कर देते थे और प्रत्येक को उसकी आवश्यकता के अनुसार बाँट दिया जाता था।
सन्तों की सहायता के लिए उस सेवा-कार्य के विषय में मुझे आप लोगों को लिखने की कोई ज़रूरत नहीं है।
धर्मग्रन्थ में लिखा है, “उसने उदारतापूर्वक दरिद्रों को दान दिया है; उसकी धार्मिकता सदा बनी रहती है।”
किसी के पास संसार की धन-दौलत हो और वह अपने भाई अथवा बहिन को तंगहाली में देख कर उस पर दया न करे, तो परमेश्वर का प्रेम उस में कैसे बना रह सकता है?