[परन्तु भूतों की यह जाति प्रार्थना तथा उपवास के सिवा किसी और उपाय से नहीं निकाली जा सकती]।”
प्रेरितों के काम 14:23 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उन्होंने प्रत्येक कलीसिया में उनके लिए धर्मवृद्धों को नियुक्त किया और प्रार्थना तथा उपवास करने के बाद उन्हें प्रभु के हाथों सौंप दिया, जिन पर वे विश्वास कर चुके थे। पवित्र बाइबल हर कलीसिया में उन्होंने उन्हें उस प्रभु को सौंप दिया जिसमें उन्होंने विश्वास किया था। Hindi Holy Bible और उन्होंने हर एक कलीसिया में उन के लिये प्राचीन ठहराए, और उपवास सहित प्रार्थना कर के, उन्हें प्रभु के हाथ सौंपा जिस पर उन्होंने विश्वास किया था। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और उन्होंने हर एक कलीसिया में उनके लिये प्राचीन ठहराए, और उपवास सहित प्रार्थना करके उन्हें प्रभु के हाथ सौंपा जिस पर उन्होंने विश्वास किया था। नवीन हिंदी बाइबल फिर उन्होंने प्रत्येक कलीसिया में उनके लिए प्रवर नियुक्त किए, और उपवास के साथ प्रार्थना करके उन्हें प्रभु को सौंप दिया, जिस पर उन्होंने विश्वास किया था। सरल हिन्दी बाइबल पौलॉस और बारनबास हर एक कलीसिया में उपवास और प्रार्थना के साथ प्राचीनों को चुना करते तथा उन्हें उन्हीं प्रभु के हाथों में सौंप देते थे जिस प्रभु में उन्होंने विश्वास किया था. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और उन्होंने हर एक कलीसिया में उनके लिये प्राचीन ठहराए, और उपवास सहित प्रार्थना करके उन्हें प्रभु के हाथ सौंपा जिस पर उन्होंने विश्वास किया था। |
[परन्तु भूतों की यह जाति प्रार्थना तथा उपवास के सिवा किसी और उपाय से नहीं निकाली जा सकती]।”
येशु ने उन में से बारह को नियुक्त किया, और उन्हें प्रेरित नाम दिया, जिससे वे लोग उनके साथ रहें और वह उन्हें भूतों को निकालने का अधिकार देकर शुभ-समाचार का प्रचार करने के लिए भेजें।
और फिर विधवा हो गयी थी। अब वह चौरासी वर्ष की थी। वह मन्दिर से बाहर नहीं जाती थी और उपवास तथा प्रार्थना करते हुए दिन-रात परमेश्वर की सेवा में लगी रहती थी।
येशु ने ऊंचे स्वर से पुकार कर कहा, “पिता! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों में सौंपता हूँ”, और यह कह कर उन्होंने प्राण त्याग दिये।
अर्थात् योहन के बपतिस्मा से ले कर प्रभु के स्वर्गारोहण के दिन तक जो लोग बराबर हमारे साथ थे, उन में से एक हमारे साथ प्रभु के पुनरुत्थान का साक्षी बने।”
तब उन्होंने इस प्रकार प्रार्थना की, “प्रभु! तू सब का हृदय जानता है। यह प्रकट कर कि तूने इन दोनों में से किस को चुना है,
वहाँ से उन्होंने जलयान पर महानगर अन्ताकिया को प्रस्थान किया, जहाँ उन्हें उस कार्य के लिए परमेश्वर के अनुग्रह को अर्पित किया गया था, जो उन्होंने अब पूरा कर लिया था।
और उनके हाथ यह पत्र भेजा : “प्रेरित तथा धर्मवृद्ध, आप लोगों के भाई, अन्ताकिया, सीरिया तथा किलिकिया के गैर-यहूदी भाई-बहिनों को नमस्कार करते हैं।
जब वे यरूशलेम पहुँचे, तो कलीसिया ने, प्रेरितों ने तथा धर्मवृद्धों ने भी उनका स्वागत किया। पौलुस और बरनबास ने बताया कि परमेश्वर ने उनके द्वारा क्या-क्या कार्य किये।
अब मैं आप लोगों को परमेश्वर के तथा उसके अनुग्रहपूर्ण वचन के संरक्षण में सौंपता हूं, जो आपका निर्माण करने तथा सब पवित्र किए हुए भक्तों के साथ आप को विरासत दिलाने में समर्थ है।
इसके अतिरिक्त, प्रभु की महिमा के लिए और अपनी सद्भावना प्रकट करने के लिए हम परोपकार का जो सेवा-कार्य कर रहे हैं, उसके लिए कलीसियाओं ने उसे हमारी यात्रा का साथी नियुक्त किया है।
बड़े-बूढ़े को कभी नहीं डाँटो, बल्कि उससे इस प्रकार अनुरोध करो, मानो वह तुम्हारा पिता हो। युवकों को भाई,
तुम उचित विचार किये बिना किसी पर हस्तारोपण मत करो और दूसरों के पापों के सहभागी मत बनो। अपने को शुद्ध बनाये रखो।
इस कारण मैं यहाँ यह कष्ट सह रहा हूँ, किन्तु मैं इस से लज्जित नहीं हूँ; क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैंने किस पर भरोसा रखा है। मुझे निश्चय है कि वह मुझे सौंपी हुई निधि को उस दिन तक सुरक्षित रखने में समर्थ है।
तुम्हें अनेक सािक्षयों के सामने मुझ से जो शिक्षा मिली, उसे तुम ऐसे विश्वस्त व्यक्तियों को सौंप दो, जो स्वयं दूसरों को शिक्षा देने योग्य हों।
मैंने तुम्हें इसलिए क्रेते द्वीप में रहने दिया कि जो कार्य वहां अधूरा रह गया है, तुम उसकी उचित व्यवस्था करो और मेरे अनुदेश के अनुसार प्रत्येक नगर में धर्मवृद्धों को नियुक्त करो।
कोई अस्वस्थ हो, तो कलीसिया के धर्मवृद्धों को बुलाये और वे प्रभु के नाम पर उस पर तेल का विलेपन करने के बाद उसके लिए प्रार्थना करें।
आप लोगों में जो धर्मवृद्ध हैं, उन से मेरा एक अनुरोध है। मैं भी धर्मवृद्ध हूँ, मसीह के दु:खभोग का साक्षी और भविष्य में प्रकट होने वाली महिमा का सहभागी।
परमेश्वर ने, जो सम्पूर्ण अनुग्रह का स्रोत है, आप लोगों को येशु मसीह में अपनी शाश्वत महिमा का भागीदार बनने के लिए बुलाया है। वह, आपके थोड़े ही समय तक दु:ख भोगने के बाद, आप को परिपूर्ण, सुस्थिर, समर्थ तथा सुदृढ़ बनायेगा।
मैं, धर्मवृद्ध, यह पत्र परमेश्वर की उस कृपापात्र “महिला” और उसके बच्चों के नाम लिख रहा हूँ, जिनसे मैं सच्चा प्रेम करता हूँ। और मैं ही नहीं, बल्कि वे सभी, जो सत्य को जानते हैं।
मैं धर्मवृद्ध, यह पत्र प्रिय गायुस के नाम लिख रहा हूँ, जिनसे मैं सच्चा प्रेम करता हूँ।