उन्होंने अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार इकसठ हजार स्वर्ण-मुद्राएं, पांच हजार चान्दी के सिक्के और पुरोहितों के लिए एक सौ पोशाकें भवन के कोष में दीं।
प्रेरितों के काम 11:29 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) शिष्यों ने निश्चय किया कि यहूदा प्रदेश में रहने वाले विश्वासी भाई-बहिनों की सहायता के लिए उन में से प्रत्येक अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार कुछ भेजेगा। पवित्र बाइबल तब हर शिष्य ने अपनी शक्ति के अनुसार यहूदिया में रहने वाले बन्धुओं की सहायता के लिये कुछ भेजने का निश्चय किया था। Hindi Holy Bible तब चेलों ने ठहराया, कि हर एक अपनी अपनी पूंजी के अनुसार यहूदिया में रहने वाले भाइयों की सेवा के लिये कुछ भेजे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब चेलों ने निर्णय किया कि हर एक अपनी–अपनी पूंजी के अनुसार यहूदिया में रहनेवाले भाइयों की सहायता के लिये कुछ भेजे। नवीन हिंदी बाइबल तब शिष्यों ने निर्णय किया कि हर एक अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार यहूदिया में रहनेवाले भाइयों की सहायता के लिए कुछ भेजे। सरल हिन्दी बाइबल इसलिये शिष्यों ने यहूदिया प्रदेश के मसीह के विश्वासी भाई बहिनों के लिए अपनी सामर्थ्य के अनुसार सहायता देने का निश्चय किया. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब चेलों ने निर्णय किया कि हर एक अपनी-अपनी पूँजी के अनुसार यहूदिया में रहनेवाले भाइयों की सेवा के लिये कुछ भेजे। |
उन्होंने अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार इकसठ हजार स्वर्ण-मुद्राएं, पांच हजार चान्दी के सिक्के और पुरोहितों के लिए एक सौ पोशाकें भवन के कोष में दीं।
और उनसे कहा, ‘हमने अपने सामर्थ्य के अनुसार अपने यहूदी भाई-बहिनों को, जो अन्य कौमों के पास गुलाम के रूप में बिके हुए थे, मूल्य चुकाकर उन्हें मुक्त किया। पर आज तुम अपने भाई-बहिनों को बेच रहे हो जिससे हम उनको फिर मूल्य चुकाकर वापस करें?’ वे चुप रहे, और कुछ न कह सके।
उन्हीं दिनों पतरस विश्वासी भाई-बहिनों के बीच खड़े हुए, जो लगभग एक सौ बीस व्यक्तियों का समुदाय था। पतरस ने कहा,
प्रेरितों तथा यहूदा-प्रदेश के विश्वासी भाई-बहिनों को यह पता चला कि गैर-यहूदियों ने भी परमेश्वर का वचन स्वीकार कर लिया है।
और जब वह उन्हें मिले तो वह शाऊल को अन्ताकिया ले आये। वे दोनों पूरे एक वर्ष तक वहाँ की कलीसिया के साथ रहे और बहुत-से लोगों को शिक्षा देते रहे। सब से पहले अन्ताकिया में ही येशु के शिष्य ‘मसीही’ कहलाए।
पर जब शिष्य पौलुस के चारों ओर एकत्र हुए, तो वह उठे और नगर में गए। दूसरे दिन वह बरनबास के साथ दिरबे चले गये।
वे शिष्यों का मन सुदृढ़ करते और उन्हें विश्वास में स्थिर रहने के लिए प्रोत्साहित करते थे, और कहते थे कि हमें बहुत-से कष्ट सह कर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना है।
“कई वर्षों तक विदेश में रहने के बाद मैं अपने लोगों को दान पहुँचाने और मन्दिर में भेंट चढ़ाने आया था।
उन में कोई भी दरिद्र नहीं था; क्योंकि जिनके पास खेत या मकान थे, वे उन्हें बेच देते और धनराशि ला कर
उन दिनों जब शिष्यों की संख्या बढ़ती जा रही थी, तो यूनानी-भाषी शिष्यों ने इब्रानी-भाषी शिष्यों के विरुद्ध यह शिकायत की कि दैनिक दान-वितरण में उनकी विधवाओं की उपेक्षा हो रही है।
उसने भोजन किया और उसे बल प्राप्त हुआ। शाऊल कुछ समय तक दमिश्क में शिष्यों के साथ रहे।
परन्तु शाऊल के शिष्य उन्हें एक रात को ले गये और उन्होंने शाऊल को टोकरे में बैठा कर नगर की चारदीवारी के छेद से नीचे उतार दिया।
प्रेम अशोभनीय व्यवहार नहीं करता। वह अपना स्वार्थ नहीं खोजता। प्रेम न तो झुंझलाता है और न बुराई का लेखा रखता है।
उन्होंने केवल एक बात कही कि हम गरीबों को स्मरण रखें। वास्तव में मैं स्वयं यह कार्य करने के लिए उत्सुक था।