तब चन्द्रमा शर्म से मुंह छिपाएगा, सूर्य का मुंह काला होगा; क्योंकि आकाश की शक्तियों का प्रभु सियोन पर्वत पर, यरूशलेम नगर पर शासन करेगा; और अपने सेवक-धर्मवृद्धों के सम्मुख अपनी महिमा प्रकट करेगा।
प्रकाशितवाक्य 6:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मैं देखता रहा : मेमने ने छठी मोहर खोली और एक भारी भूकम्प हुआ। सूर्य कम्बल की तरह काला हो उठा और पूरा चंद्रमा रक्त की तरह लाल। पवित्र बाइबल फिर जब मेमने ने छठी मुहर तोड़ी तो मैंने देखा कि वहाँ एक बड़ा भूचाल आया हुआ है। सूरज ऐसे काला पड़ गया है जैसे किसी शोक मनाते हुए व्यक्ति के वस्त्र होते हैं तथा पूरा चाँद, लहू के जैसा लाल हो गया है। Hindi Holy Bible और जब उस ने छठवीं मुहर खोली, तो मैं ने देखा, कि एक बड़ा भुइंडोल हुआ; और सूर्य कम्बल की नाईं काला, और पूरा चन्द्रमा लोहू का सा हो गया। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जब उसने छठवीं मुहर खोली, तो मैं ने देखा कि एक बड़ा भूकम्प हुआ, और सूर्य कम्बल के समान काला और पूरा चंद्रमा लहू के समान हो गया। नवीन हिंदी बाइबल फिर उसने छठी मुहर खोली, तब मैंने देखा कि एक बड़ा भूकंप हुआ और सूर्य ऐसा काला हो गया मानो बालों से बना टाट हो, और पूरा चंद्रमा लहू के समान लाल हो गया; सरल हिन्दी बाइबल मैंने उसे छठी मोहर तोड़ते हुए देखा. तभी एक भीषण भूकंप आया. सूर्य ऐसा काला पड़ गया, जैसे बालों से बनाया हुआ कंबल और पूरा चंद्रमा ऐसा लाल हो गया जैसे लहू. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जब उसने छठवीं मुहर खोली, तो मैंने देखा कि एक बड़ा भूकम्प हुआ; और सूर्य कम्बल के समान काला, और पूरा चन्द्रमा लहू के समान हो गया। (योए. 2:10) |
तब चन्द्रमा शर्म से मुंह छिपाएगा, सूर्य का मुंह काला होगा; क्योंकि आकाश की शक्तियों का प्रभु सियोन पर्वत पर, यरूशलेम नगर पर शासन करेगा; और अपने सेवक-धर्मवृद्धों के सम्मुख अपनी महिमा प्रकट करेगा।
स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु का आगमन होगा; बादल गरजेंगे, भूकम्प होगा, महानाद सुनाई देगा। बवंडर उठेगा, तूफान आएगा। भस्म करनेवाली अग्निज्वाला प्रकट होगी; और प्रभु तुझे दण्ड देगा।
आकाश के तारा-गण बुझ जाएंगे! विस्तृत आकाश खर्रे के कागज की तरह लपेटा जाएगा। जैसे अंजीर वृक्ष से पत्ते झड़ते हैं, जैसे अंगूर की लता से पत्तियां गिरती हैं वैसे आकाश के तारे गिरेंगे!
मैं ही आकाश को मानो शोक का काला वस्त्र पहिनाता हूं; और पश्चात्ताप के प्रतीक टाट-वस्त्रों को उसका आवरण बनाता हूं।’
उनके सम्मुख पृथ्वी थर्राती है, आकाश कांपता है। सूर्य और चन्द्रमा काले पड़ गए, तारे बुझ गए।
आमोस तकोअ गांव का एक चरवाहा था। भूकम्प के दो वर्ष पूर्व उसने इस्राएली राष्ट्र के सम्बन्ध में दर्शन देखा। उन दिनों में यहूदा प्रदेश का राजा ऊज्जियाह और इस्राएल प्रदेश का राजा यारोबआम बेन-योआश था। आमोस के ये शब्द हैं :
स्वामी-प्रभु यह कहता है : ‘उस दिन मैं दोपहर को सूर्यास्त कर दूंगा; दिन-दहाड़े समस्त पृथ्वी पर अंधकार छा जाएगा।
पहाड़ियों के मध्य की घाटी अवरुद्ध हो जाएगी, क्योंकि उनके मध्य की यह नई घाटी आसाल नदी तक जाएगी। यह अवरुद्ध हो जाएगी जैसे यहूदा के राजा उज्जियाह के राज्यकाल में भूकम्प के कारण अवरुद्ध हो गई थी। तब मेरा प्रभु परमेश्वर अपने सब पवित्र संतों के साथ आएगा।
येशु ने कहा, “धिक्कार तुझे, खुराजिन! धिक्कार तुझे, बेतसैदा! जो सामर्थ्य के कार्य तुम में किये गये हैं, यदि वे सोर और सदोम में किये गये होते, तो उन्होंने न जाने कब से टाट ओढ़ कर और भस्म रमा कर पश्चात्ताप कर लिया होता।
“उन दिनों के संकट के तुरन्त बाद सूर्य अन्धकारमय हो जाएगा, चन्द्रमा प्रकाश नहीं देगा, तारे आकाश से गिर जाएँगे और आकाश की शक्तियाँ विचलित हो जाएँगी।
जाति के विरुद्ध जाति और राज्य के विरुद्ध राज्य उठ खड़ा होगा। जहाँ-तहाँ अकाल पड़ेंगे और भूकम्प आएँगे।
शतपति और उसके साथ येशु पर पहरा देने वाले सैनिक भूकम्प और इन सब घटनाओं को देख कर अत्यन्त भयभीत हो गये और बोल उठे, “निश्चय ही, यह परमेश्वर का पुत्र था।”
एकाएक भारी भूकम्प हुआ और प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा। वह कबर के पास आया और पत्थर लुढ़का कर उस पर बैठ गया।
उसी समय भारी भूकम्प हुआ और नगर का दसवाँ भाग मिट्टी में मिल गया। सात हजार लोग भूकम्प में मर गये और जो बच गये, उन्होंने भयभीत हो कर स्वर्ग के परमेश्वर की स्तुति की।
इस पर बिजलियाँ, वाणियाँ एवं मेघगर्जन उत्पन्न हुए और भारी भूकम्प हुआ। पृथ्वी पर मनुष्य की उत्पत्ति के समय से इतना भारी भूकम्प कभी नहीं हुआ था।
चौथे स्वर्गदूत ने सूर्य पर अपना प्याला उँडेला। सूर्य को मनुष्यों को आग से जलाने की अनुमति मिली।
चौथे स्वर्गदूत ने तुरही बजायी। इस पर एक तिहाई सूर्य, एक तिहाई चन्द्रमा और एक तिहाई नक्षत्रों पर आघात हुआ, जिससे उनका एक तिहाई भाग अन्धकारमय हो गया : दिन के एक तिहाई भाग में प्रकाश नहीं होता था और रात की भी यही दशा थी।
इसके बाद स्वर्गदूत ने धूपदान ले कर उसे वेदी की आग से भरा और पृथ्वी पर फेंक दिया। इस पर मेघगर्जन, वाणियाँ और बिजलियाँ उत्पन्न हुई और भूकम्प हुआ।