यदि आप आत्मा से आविष्ट होकर परमेश्वर की स्तुति करते हैं, तो वहाँ उपस्थित साधारण व्यक्ति आपका धन्यवाद सुनकर कैसे “आमेन” कह सकता है? वह यह भी नहीं जानता कि आप क्या कह रहे हैं।
प्रकाशितवाक्य 5:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) और चार प्राणी बोले, “आमेन” और धर्मवृद्धों के बल गिर कर वंदना की। पवित्र बाइबल फिर उन चारों प्राणियों ने “आमीन” कहा और प्राचीनों ने नत मस्तक होकर उपासना की। Hindi Holy Bible और चारों प्राणियों ने आमीन कहा, और प्राचीनों ने गिरकर दण्डवत् किया॥ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और चारों प्राणियों ने आमीन कहा, और प्राचीनों ने गिरकर दण्डवत् किया। नवीन हिंदी बाइबल तब चारों प्राणियों ने कहा, “आमीन।” और प्रवरों ने गिरकर उसे दंडवत् किया। सरल हिन्दी बाइबल चारों प्राणियों ने कहा, “आमेन” तथा पुरनियों ने दंडवत होकर आराधना की. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और चारों प्राणियों ने आमीन कहा, और प्राचीनों ने गिरकर दण्डवत् किया। |
यदि आप आत्मा से आविष्ट होकर परमेश्वर की स्तुति करते हैं, तो वहाँ उपस्थित साधारण व्यक्ति आपका धन्यवाद सुनकर कैसे “आमेन” कह सकता है? वह यह भी नहीं जानता कि आप क्या कह रहे हैं।
चौबीस धर्मवृद्ध और चार प्राणी मुँह के बल गिर पड़े और उन्होंने यह कहते हुए सिंहासन पर विराजमान परमेश्वर की आराधना की, “आमेन! प्रभु की स्तुति करो!”
सिंहासन के चारों ओर चौबीस धर्मवृद्ध विराजमान हैं। वे उजले वस्त्र पहने हैं और उनके सिर पर सोने के मुकुट हैं।
सिंहासन के आसपास का फर्श मानो स्फटिक-सदृश पारदर्शी समुद्र है। सिंहासन के मध्य और सिंहासन के चारों ओर चार प्राणी हैं, जिनके आगे और पीछे आंखें ही आंखें हैं।
मैंने पुन: देखा, और सिंहासन, प्राणियों और धर्मवृद्धों के चारों ओर खड़े बहुत-से स्वर्गदूतों की आवाज सुनी − उनकी संख्या लाखों और करोड़ों में थी।
तब मैंने सिंहासन के पास के चार प्राणियों और धर्मवृद्धों के बीच खड़े एक मेमने को देखा। वह मानो वध किया हुआ मेमना था। उसके सात सींग और सात नेत्र थे − ये परमेश्वर की सात आत्माएं हैं, जिन्हें परमेश्वर ने सारी पृथ्वी पर भेजा है।
जब मेमना पुस्तक ले चुका, तब चार प्राणी तथा चौबीस धर्मवृद्ध मेमने के सामने गिर पड़े। प्रत्येक धर्मवृद्ध के हाथ में वीणा थी और धूप से भरे स्वर्ण पात्र भी-ये सन्तों की प्रार्थनाएँ हैं।
“आमेन! हमारे परमेश्वर को युगानुयुग तक स्तुति, महिमा, प्रज्ञ, धन्यवाद, सम्मान, सामर्थ्य और शक्ति! आमेन!”