क्या कुकर्मी नहीं समझते, मेरे लोगों का खून चूसने वाले कुकर्मी, क्या वे सब बिलकुल नासमझ हैं? वे मुझ-प्रभु की आराधना नहीं करते।
नीतिवचन 4:17 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) दुष्कर्म ही उनकी रोटी, और हिंसा ही उनका पानी है। पवित्र बाइबल वे तो बस सदा नीचता की रोटी खाते और हिंसा का दाखमधु पीते हैं। Hindi Holy Bible वे तो दुष्टता से कमाई हुई रोटी खाते, और उपद्रव के द्वारा पाया हुआ दाखमधु पीते हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) वे तो दुष्टता से कमाई हुई रोटी खाते, और उपद्रव के द्वारा पाया हुआ दाखमधु पीते हैं। नवीन हिंदी बाइबल वे तो दुष्टता की रोटी खाते, और हिंसा का दाखमधु पीते हैं। सरल हिन्दी बाइबल क्योंकि बुराई ही उन्हें आहार प्रदान करती है और हिंसा ही उनका पेय होती है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि वे दुष्टता की रोटी खाते, और हिंसा का दाखमधु पीते हैं। |
क्या कुकर्मी नहीं समझते, मेरे लोगों का खून चूसने वाले कुकर्मी, क्या वे सब बिलकुल नासमझ हैं? वे मुझ-प्रभु की आराधना नहीं करते।
सज्जन अपने मीठे वचनों से मीठा फल ही खाता है; किन्तु विश्वासघाती मनुष्य की इच्छा सदा हिंसा ही होती है।
छल-कपट से कमाई गई रोटी मनुष्य को खाते समय मीठी लगती है, परन्तु कुछ समय के पश्चात् उसका मुंह कंकड़ों से भर जाता है।
धिक्कार है तुम्हें! तुम अधर्म को झूठ की डोरियों से, और पाप को गाड़ी की रस्सी से खींचते हो।
धिक्कार है तुम्हें! तुम बुराई को भलाई, और भलाई को बुराई कहते हो। तुम प्रकाश को अन्धकार और अन्धकार को प्रकाश बताते हो। तुम विष को अमृत और अमृत को विष मानते हो।
प्रत्येक मनुष्य अपने पड़ोसी से सावधान रहे, और न अपने भाई पर भरोसा करे। क्योंकि भाई, भाई को धोखा देता है, पड़ोसी, पड़ोसी की निन्दा करता है।
प्रभु ने नबियों के विषय में यह कहा है: ‘इन नबियों ने मेरे लोगों को पथभ्रष्ट किया है: जब इनके पेट भरे रहते हैं तब वे आश्वासन देते हैं, कि युद्ध नहीं होगा! पर जब लोग उन्हें खाने को नहीं देते तब वे उनको युद्ध की धमकी देते हैं।’
ओ यहूदा कुल, तेरे धनवान लोगों में हिंसावृत्ति है, तेरे नागरिक झूठ बोलते हैं; उनकी बातें कपटपूर्ण होती हैं।
उनके हाथ में दुष्कर्म हैं, वे कुकर्म करने में निपुण हैं। शासक और न्यायाधीश घूस मांगते हैं। बड़े लोग मनमानी करते हैं। यों ये सब मिलकर कुचक्र रचते हैं।
उसके अधिकारी गरजते सिंह हैं, जो शिकार की तलाश में रहते हैं; उसके न्ययाधीश शाम को निकलनेवाले भेड़ियों की तरह हैं, जिन्हें सुबह तक खाने को कुछ नहीं मिला।
“ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो! धिक्कार है तुम्हें! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग-राज्य का द्वार बन्द कर देते हो; न तो तुम स्वयं प्रवेश करते हो और न प्रवेश करने वालों को प्रवेश करने देते हो।