शराब शराबी को उपहास का पात्र बनाती है, मदिरा उससे हल्ला-गुल्ला करवाती है; जो मनुष्य उसके रास्ते पर चलता है, वह बुद्धिमान नहीं है।
नीतिवचन 23:20 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) शराबियों के साथ मत रह, और उनके साथ जो मांस खूब खाते हैं। पवित्र बाइबल तू उनके साथ मत रह जो बहुत पियक्कड़ हैं, अथवा ऐसे, जो ठूंस—ठूंस माँस खाते हैं। Hindi Holy Bible दाखमधु के पीने वालों में न होना, न मांस के अधिक खाने वालों की संगति करना; पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) दाखमधु के पीनेवालों में न होना, न मांस के अधिक खानेवालों की संगति करना; नवीन हिंदी बाइबल तू न तो पियक्कड़ों के साथ, और न अत्यधिक मांस खानेवालों के साथ संगति रखना; सरल हिन्दी बाइबल उनकी संगति में न रहना, जो मद्यपि हैं और न उनकी संगति में, जो पेटू हैं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 दाखमधु के पीनेवालों में न होना, न माँस के अधिक खानेवालों की संगति करना; |
शराब शराबी को उपहास का पात्र बनाती है, मदिरा उससे हल्ला-गुल्ला करवाती है; जो मनुष्य उसके रास्ते पर चलता है, वह बुद्धिमान नहीं है।
जो भोग-विलास को गले लगाता है वह अन्त में कंगाल हो जाता है, शराब-कबाब से प्रेम करनेवाला कभी धनवान नहीं बन सकता।
व्यवस्था का पालन करनेवाला युवक अपने पिता का बुद्धिमान पुत्र कहलाता है; किन्तु उड़ाने-खाने वालों के साथ रहनेवाला जवान अपने पिता की निन्दा का कारण बनता है।
पर तुम उसका उल्लंघन कर आनन्द और हर्ष मना रहे हो; तुम बैलों को हलाल कर रहे हो; भेड़ों को काट रहे हो; और उनका मांस खा रहे हो, शराब पी रहे हो और यह कह रहे हो, “खाओ-पीओ, मौज करो; क्योंकि कल तो मरना ही है।”
धिक्कार है तुम्हें! तुम बड़े सबेरे उठते ही नशा करते हो; शराब की गर्मी चढ़ाने के लिए रात को बड़ी देर तक पीते रहते हो।
धिक्कार है तुम्हें! तुम शराब पीने में वीरता दिखाते हो, और शराब को तेज बनाने में बहादुरी।
थोड़े ही दिनों बाद छोटा पुत्र अपनी समस्त सम्पत्ति एकत्र कर किसी दूर देश को चला गया और वहाँ उसने भोग-विलास में अपनी सम्पत्ति उड़ा दी।
“एक धनवान मनुष्य था। वह राजसी बैंगनी वस्त्र और मलमल पहनता था, और प्रतिदिन दावत उड़ाया करता था।
“अपने विषय में सावधान रहो। कहीं ऐसा न हो कि भोग-विलास, नशे और इस संसार की चिन्ताओं से तुम्हारा मन कुण्ठित हो जाए और वह दिन फन्दे की तरह अचानक तुम पर आ गिरे;
हम दिन के योग्य सदाचरण करें। हम रंगरेलियों और नशेबाजी, व्यभिचार और भोगविलास, झगड़े और ईष्र्या से दूर रहें।
मदिरा पी कर मतवाले नहीं बनें, क्योंकि इससे विषय-वासना उत्पन्न होती है, बल्कि पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जायें।
वे नगर के धर्मवृद्धों से कहेंगे, “हमारा यह पुत्र हठीला और विद्रोही है। यह हमारी बात नहीं सुनता है। यह अपव्ययी और शराबी है।”