प्रभु की भक्ति करना बुद्धि का आरम्भ है; जो उसका पालन करते हैं, उनको उत्तम समझ प्राप्त होती है। प्रभु की स्तुति सदा की जाएगी!
नीतिवचन 23:17 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मेरे पुत्र, पापियों की सफलता को देखकर उनसे ईष्र्या मत करना; परन्तु प्रति दिन प्रभु की भक्ति निरन्तर करते रहना। पवित्र बाइबल तू अपने मन को पापपूर्ण व्यक्तियों से ईर्ष्या मत करने दे, किन्तु तू यहोवा से डरने का जितना प्रयत्न कर सके, कर। Hindi Holy Bible तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना। नवीन हिंदी बाइबल पापियों के प्रति तेरे मन में ईर्ष्या न हो, परंतु तू सदा यहोवा के भय में बने रहना। सरल हिन्दी बाइबल दुष्टों को देख तुम्हारे हृदय में ईर्ष्या न जागे, तुम सर्वदा याहवेह के प्रति श्रद्धा में आगे बढ़ते जाओ. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना। |
प्रभु की भक्ति करना बुद्धि का आरम्भ है; जो उसका पालन करते हैं, उनको उत्तम समझ प्राप्त होती है। प्रभु की स्तुति सदा की जाएगी!
यदि मनुष्य प्रभु की भक्ति करता, और उसके पास थोड़ा ही धन है, तो उसका यह धन उस प्रचुर धन से श्रेष्ठ है, जिसके साथ अशान्ति जुड़ी है।
मेरे पुत्र, देश के राजा से डरना, तथा प्रभु का भय मानना; उनकी आज्ञाओं की उपेक्षा मत करना।
धन्य है वह मनुष्य जो प्रभु की भक्ति सदा करता है; पर प्रभु के प्रति अपने हृदय को कठोर बनानेवाला मनुष्य विपत्ति के गड्ढे में गिरता है।
तुम अपने मुंह से ऐसे शब्द न निकालो जो तुम्हें पाप में फंसाएं। स्वर्गदूत के सम्मुख यह न कहो कि मुझसे भूल हो गयी। अन्यथा परमेश्वर तुम्हारी आवाज सुन कर क्रुद्ध होगा, और वह परिश्रम से किए गए तुम्हारे काम को नष्ट कर देगा।
जब व्यक्ति अधिकाधिक स्वप्न देखने लगता है, तब उसकी व्यर्थ बातें भी बढ़ जाती हैं। किन्तु तुम परमेश्वर का भय मानना।
अब समस्त यहूदा, गलील तथा सामरी प्रदेशों में कलीसिया को शान्ति मिली और उसका निर्माण होता रहा। वह प्रभु के भय में आचरण करती हुई और पवित्र आत्मा की सान्त्वना प्राप्त कर वृद्धि करती गई।
प्रिय भाइयो और बहिनो! हमें इस प्रकार की प्रतिज्ञाएं मिली हैं। इसलिए हम शरीर और मन के हर प्रकार के दूषण से अपने को शुद्ध करें और परमेश्वर पर श्रद्धा-भक्ति रखते हुए पवित्रता की परिपूर्णता तक पहुँचने का प्रयत्न करते रहें।
यदि आप उसे “पिता” कह कर पुकारते हैं, जो पक्षपात किये बिना प्रत्येक मनुष्य का उसके कर्मों के अनुसार न्याय करता है, तो जब तक आप यहाँ परदेश में रहते हैं, तब तक उस पर श्रद्धा रखते हुए जीवन बितायें।