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नीतिवचन 20:25 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

जो मनुष्‍य उतावली में कहता है, ‘यह प्रभु को अर्पित है’, और उसकी मन्नत मानकर पुन: विचार करता है, तो वह जाल में फंसता है।

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पवित्र बाइबल

यहोवा को कुछ अर्पण करने की प्रतिज्ञा से पूर्व ही विचार ले; भली भांति विचार ले। सम्भव है यदि तू बाद में ऐसा सोचे, “अच्छा होता मैं वह मन्नत न मानता।”

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Hindi Holy Bible

जो मनुष्य बिना विचारे किसी वस्तु को पवित्र ठहराए, और जो मन्नत मान कर पूछ पाछ करने लगे, वह फन्दे में फंसेगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

जो मनुष्य बिना विचारे किसी वस्तु को पवित्र ठहराए, और जो मन्नत मानकर पूछपाछ करने लगे, वह फन्दे में फँसेगा।

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नवीन हिंदी बाइबल

मनुष्य के लिए बिना सोचे-समझे किसी वस्तु को पवित्र ठहराना, और मन्‍न‍त मानकर फिर से विचार करना फंदा ठहरता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

जल्दबाजी में कुछ प्रभु के लिए कुछ समर्पित करना एक जाल जैसा है, क्योंकि तत्पश्चात व्यक्ति मन्नत के बारे में विचार करने लगता है!

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

जो मनुष्य बिना विचारे किसी वस्तु को पवित्र ठहराए, और जो मन्नत मानकर पूछपाछ करने लगे, वह फंदे में फँसेगा।

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नीतिवचन 20:25
15 क्रॉस रेफरेंस  

जो मनुष्‍य प्रश्‍न सुनने के पहले उत्तर देता है, वह लज्‍जित होता, और मूर्ख कहलाता है।


मूर्ख का मुंह ही उसके विनाश का कारण है, उसके ओंठ ही उसको जाल में फंसाते हैं।


अपने मुंह से कोई बात जल्‍दी मत निकालो, और न उतावली में अपने हृदय की बात परमेश्‍वर के सम्‍मुख प्रकट करो, क्‍योंकि परमेश्‍वर तो स्‍वर्ग में है, और तुम पृथ्‍वी पर। अत: तुम्‍हारे शब्‍द थोड़े ही हों।


‘यदि कोई व्यक्‍ति विश्‍वास-भंग करता है और प्रभु की किसी पवित्र भेंट के सम्‍बन्‍ध में अनजाने में पाप करता है, तो वह अपनी दोष-बलि के रूप में रेवड़ से एक निष्‍कलंक मेढ़ा प्रभु के पास लाएगा। उसका मूल्‍य पवित्र स्‍थान की तौल के अनुसार चांदी के सिक्‍के में निश्‍चित किया जाएगा। यह दोष-बलि है।


“तुम लोगों ने यह भी सुना है कि पूर्वजों से कहा गया था : ‘झूठी शपथ मत खाना। परन्‍तु प्रभु के सामने खायी हुई शपथ को पूरा करना।’


यदि तू मन्नत नहीं मानेगा तो तेरे लिए यह पाप नहीं होगा।


जो शब्‍द तेरे मुंह से निकलते हैं, उनको पूर्ण करने के लिए सावधान रहना। जो मन्नत स्‍वेच्‍छा से, अपने मुंह से, तूने प्रभु परमेश्‍वर के लिए मानी है, उसको अवश्‍य पूर्ण करना।


‘जब तू अपने पड़ोसी के अंगूर-उद्यान में जाएगा, तब वहाँ जितनी खाने की इच्‍छा हो, उतनी मात्रा में पेट-भर अंगूर खा सकता है, किन्‍तु अपनी टोकरी में एक भी अंगूर-मत रखना।


यदि उन कन्‍याओं के पिता अथवा भाई हमसे शिकायत करने आएँगे तो हम उनसे यह कहेंगे, “हम पर कृपा कीजिए, और कन्‍याएँ उन्‍हें दे दीजिए। हमने युद्ध में प्रत्‍येक बिन्‍यामिनी पुरुष के लिए स्‍त्री नहीं ली थी। आप लोगों ने भी उन्‍हें ये कन्‍याएँ नहीं दी थीं। यदि आप ऐसा करते तो अपनी शपथ भी तोड़ते और दोषी ठहरते।” ’