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नीतिवचन 17:19 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

जो अपराध से प्रेम करता है, वह लड़ाई-झगड़े से प्रेम करता है; बढ़-बढ़कर बोलनेवाला मनुष्‍य अपने पैरों पर कुल्‍हाड़ी मारता है।

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पवित्र बाइबल

जिसको लड़ाई—झगड़ा भाता है, वह तो केवल पाप से प्रेम करता है और जो डींग हांकता रहता है वह तो अपना ही नाश बुलाता है।

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Hindi Holy Bible

जो झगड़े-रगड़े में प्रीति रखता, वह अपराध करने में भी प्रीति रखता है, और जो अपने फाटक को बड़ा करता, वह अपने विनाश के लिये यत्न करता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

जो झगड़े–रगड़े से प्रीति रखता, वह अपराध करने से भी प्रीति रखता है, और जो अपने फाटक को बड़ा करता, वह अपने विनाश के लिये यत्न करता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

जो अपराध से प्रीति रखता है, वह झगड़े से भी प्रीति रखता है; जो डींग मारता है, वह अपने विनाश को निमंत्रण देता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

जो कोई झगड़े से प्यार रखता है, वह पाप से प्यार करता है; जो भी एक ऊंचा फाटक बनाता है विनाश को आमंत्रित करता है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

जो झगड़े-रगड़े में प्रीति रखता, वह अपराध करने से भी प्रीति रखता है, और जो अपने फाटक को बड़ा करता, वह अपने विनाश के लिये यत्न करता है।

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नीतिवचन 17:19
14 क्रॉस रेफरेंस  

इस घटना के पश्‍चात् अबशालोम ने रथ, घोड़े और आगे-आगे दौड़ने वाले पचास धावक अपने पास रख लिए।


रानी हग्‍गीत का पुत्र अदोनियाह महत्‍वाकांक्षी था। उसने सोचा, ‘अब मैं ही राजा बनूंगा।’ अत: उसने एक रथ और घुड़सवार तथा आगे-आगे दौड़नेवाले पचास सैनिक तैयार किए।


मनुष्‍य विनाश के पहले अहंकारी, और पतन के पूर्व घमण्‍डी हो जाता है।


लड़ाई-झगड़े का आरम्‍भ मानो बान्‍ध के छेद के समान है, अत: उसके फूटने के पहले ही वहाँ से हट जाओ!


मनुष्‍य अपने विनाश के पूर्व घमण्‍डी हो जाता है; पर आदर पाने के लिए मनुष्‍य को पहले विनम्र बनना पड़ता है।


पहले अपने घर के बाहर का काम पूरा करो, अपने खेत को तैयार रखो, तब अपना घर बसाना।


यदि बुद्धिमान मनुष्‍य मूर्ख से वाद-विवाद करता है, तो मूर्ख क्रोध से भड़क उठता है, वह ज्ञान की बातों को हंसी में उड़ाता है, और सारा वातावरण अशान्‍त हो जाता है।


मुझे आशंका है-कहीं ऐसा न हो कि आने पर मैं आप लोगों को जैसा पाना चाहता, वैसा नहीं पाऊं और आप मुझे जैसा नहीं चाहते, वैसा ही पाएँ। कहीं ऐसा न हो कि मैं आपके यहाँ फूट, ईष्‍र्या, बैर, स्‍वार्थपरता, परनिन्‍दा, चुगलख़ोरी, अहंकार और उपद्रव पाऊं।


क्‍योंकि मनुष्‍य का क्रोध उस धार्मिकता में सहायक नहीं होता, जिसे परमेश्‍वर चाहता है।