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नीतिवचन 14:35 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

बुद्धिमान सेवक राजा का कृपापात्र होता है; पर जो कर्मचारी मूर्खतापूर्ण कार्य करता है उस पर राजा का क्रोध भड़क उठता है।

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पवित्र बाइबल

विवेकी सेवक, राजा की प्रसन्नता है, किन्तु वह सेवक जो मूर्ख होता है वह उसका क्रोध जगाता है।

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Hindi Holy Bible

जो कर्मचारी बुद्धि से काम करता है उस पर राजा प्रसन्न होता है, परन्तु जो लज्जा के काम करता, उस पर वह रोष करता है॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

जो कर्मचारी बुद्धि से काम करता है उस पर राजा प्रसन्न होता है, परन्तु जो लज्जा के काम करता, उस पर वह रोष करता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

जो सेवक बुद्धिमानी से कार्य करता है, राजा उससे प्रसन्‍न‍ होता है; परंतु जो लज्‍जाजनक कार्य करता है, उस पर उसका क्रोध भड़कता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

चतुर सेवक राजा का प्रिय पात्र होता है, किंतु वह सेवक, जो लज्जास्पद काम करता है, राजा का कोप को भड़काता है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

जो कर्मचारी बुद्धि से काम करता है उस पर राजा प्रसन्न होता है, परन्तु जो लज्जा के काम करता, उस पर वह रोष करता है।

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नीतिवचन 14:35
18 क्रॉस रेफरेंस  

फरओ ने अपने कर्मचारियों से कहा, ‘क्‍या हम इस व्यक्‍ति के सदृश, जिसमें परमेश्‍वर का आत्‍मा है, किसी दूसरे व्यक्‍ति को पा सकते हैं?’


सम्राट क्रोधावेश में भोजन पर से उठ गया, और वह राजमहल के उद्यान में चला गया। किन्‍तु हामान वहीं ठहरा रहा और रानी एस्‍तर से अपने प्राणों की भीख मांगने लगा, क्‍योंकि उसने जान लिया था कि सम्राट ने उसका अनिष्‍ट करने का निश्‍चय कर लिया है।


ग्रीष्‍म ऋतु में, अपने आहार की व्‍यवस्‍था करनेवाला मनुष्‍य बुद्धिमान है; पर, जो मनुष्‍य फसल की कटाई के समय सोता है, वह निंदा का कारण बनता है।


राष्‍ट्र की उन्नति का आधार है धार्मिकता; पर पाप कौम का कलंक होता है।


धर्म-वचन कहनेवाले मनुष्‍य से राजा प्रसन्न होता है; वह सच बोलनेवाले व्यक्‍ति से प्रेम करता है।


जो संतान अपने माता-पिता के लिए लज्‍जा का कारण बनती है, उस पर वह सेवक शासन करता है, जो बुद्धि से कार्य करता है। ऐसा सेवक मालिक की पैतृक सम्‍पत्ति में संतान के साथ बराबर का हिस्‍सा पाता है।


जो पुत्र अपने पिता से कठोर व्‍यवहार करता है, और अपनी मां को घर से निकाल देता है, वह सब जगह अपमान और निंदा का पात्र बनता है।


बुद्धिमान राजा दुर्जनों को छांट कर अलग करता, और उन पर दावने का पहिया चलवाता है।


जो राजा न्‍याय-आसन पर बैठता है, वह आंखों से ही अन्‍याय को छांट लेता है।


जो मनुष्‍य अपने हृदय को शुद्ध रखना पसन्‍द करता है; जिसकी बातों में मिठास होती है, राजा उसको अपना मित्र बनाता है।


ऐसे ही: राजा के दरबार से दुर्जन को निकालने के पश्‍चात् राजा का सिंहासन धर्म की नींव पर सुदृढ़ हो जाता है।


यदि शासक झूठी बातों को सुनता है, तो निस्‍सन्‍देह उसके कर्मचारी भी दुष्‍ट बन जाते हैं।


उसके स्‍वामी ने उससे कहा, ‘शाबाश, भले और ईमानदार सेवक! तुम थोड़े में ईमानदार रहे, मैं तुम्‍हें बहुत वस्‍तुओं पर अधिकार दूँगा। अपने स्‍वामी के आनन्‍द में सहभागी हो।’


उसके स्‍वामी ने उससे कहा, ‘शाबाश, भले और ईमानदार सेवक! तुम थोड़े में ईमानदार रहे, मैं तुम्‍हें बहुत वस्‍तुओं पर अधिकार दूँगा। अपने स्‍वामी के आनन्‍द में सहभागी हो।’