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नीतिवचन 13:19 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

जब इच्‍छा पूर्ण हो जाती है तब मनुष्‍य को उसका स्‍वाद मधुर लगता है। पर दुराचार के मार्ग को छोड़ना मूर्ख को घृणित लगता है।

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पवित्र बाइबल

किसी इच्छा का पूरा हो जाना मन को मधुर लगता है किन्तु दोष का त्याग, मूर्खो को नहीं भाता है।

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Hindi Holy Bible

लालसा का पूरा होना तो प्राण को मीठा लगता है, परन्तु बुराई से हटना, मूर्खों के प्राण को बुरा लगता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

लालसा का पूरा होना तो प्राण को मीठा लगता है, परन्तु बुराई से हटना, मूर्खों के प्राण को बुरा लगता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

इच्छा का पूरा होना तो प्राण को सुखद लगता है, परंतु बुराई से हटना मूर्खों को बुरा लगता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

अभिलाषा की पूर्ति प्राणों में मधुरता का संचार करती है, किंतु बुराई का परित्याग मूर्ख को अप्रिय लगता है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

लालसा का पूरा होना तो प्राण को मीठा लगता है, परन्तु बुराई से हटना, मूर्खों के प्राण को बुरा लगता है।

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नीतिवचन 13:19
17 क्रॉस रेफरेंस  

महाराज ने कहा, “इस्राएली राष्‍ट्र का प्रभु परमेश्‍वर धन्‍य है! उसने मुझे यह अवसर प्रदान किया कि मैं आज अपनी आंखों से अपने वंशज को अपने सिंहासन पर विराजते हुए देख सका!” ’


परमेश्‍वर ने मनुष्‍य से कहा, “देखो, मुझ-प्रभु की भक्‍ति करना ही बुद्धिमानी है; और बुराई से दूर रहना ही समझदारी है!” ’


बुराई को छोड़ों, और भलाई करो; शांति को खोजो, और उसका अनुसरण करो।


बुराई से दूर रहो, और भले कार्य करो; तब तुम देश में सदा शांति से बसे रहोगे।


जब आशा पूरी होने में विलम्‍ब होता है तब हृदय उदास हो जाता है; पर इच्‍छा की पूर्ति का अर्थ है : जीवन-वृक्ष!


जो मनुष्‍य शिक्षा की उपेक्षा करता है, वह गरीबी और अपमान का जीवन बिताता है; पर चेतावनी पर ध्‍यान देनेवाला मनुष्‍य सम्‍मान का पात्र बनता है।


जो मनुष्‍य बुद्धिमानों का सत्‍संग करता है, वह स्‍वयं बुद्धिमान बनता है; पर मूर्खों का साथी विपत्ति में पड़ता है।


बुराई से दूर रहना निष्‍कपट मनुष्‍य का सदाचरण है। जो मनुष्‍य अपने आचरण की चौकसी करता है, वह अपने जीवन की रक्षा करता है।


दुष्‍कर्म का प्रायश्‍चित्त करुणा और सच्‍चाई है; प्रभु की भक्‍ति करने से मनुष्‍य बुराई से बचा रहता है।


खून के प्‍यासे लोग उस मनुष्‍य से घृणा करते हैं, जो निष्‍कलंक है; दुर्जन उसके प्राण की खोज में रहता है।


जैसे अधार्मिक मनुष्‍य से धार्मिक मनुष्‍य घृणा करता है; वैसे ही निष्‍कपट व्यक्‍ति से दुर्जन घृणा करता है।


अपनी ही दृष्‍टि में स्‍वयं को बुद्धिमान मत मानना; प्रभु से डरना और बुराई से मुंह फेरना।


मैं उनके पास से गुजरी ही थी, कि मुझे अपना प्राणप्रिय मिल गया। मैंने उसको पकड़ लिया; जब तक मैं उसे अपनी मां के घर में, अपनी जननी के कक्ष में न ले आई, मैंने उसको जाने न दिया।


किन्‍तु परमेश्‍वर ने जो पक्‍की नींव डाली है, वह सुदृढ़ है और उस में ये शब्‍द अंकित हैं, “प्रभु उन लोगों को जानता है, जो उसके अपने हैं” और “जो प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से दूर रहे।”