सुलेमान ने प्रभु के भवन की ये वस्तुएं भी बनाई थीं : स्वर्ण वेदी और स्वर्ण मेज, जिस पर ‘प्रभु-भेंट की रोटी’ रखी जाती थी;
निर्गमन 25:23 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ‘तू बबूल की लकड़ी की एक मेज़ बनाना। उसकी लम्बाई नब्बे सेंटीमीटर, चौड़ाई पैंतालीस सेंटीमीटर, और ऊंचाई साढ़े सड़सठ सेंटीमीटर होगी। पवित्र बाइबल “बबूल की लकड़ी की एक मेज़ बनाओ। मेज़ छत्तीस इंच लम्बी अट्ठारह इंच चौड़ी और सत्ताईस इंच ऊँची होना चाहिए। Hindi Holy Bible फिर बबूल की लकड़ी की एक मेज बनवाना; उसकी लम्बाई दो हाथ, चौड़ाई एक हाथ, और ऊंचाई डेढ़ हाथ की हो। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) “फिर बबूल की लकड़ी की एक मेज बनवाना; उसकी लम्बाई दो हाथ, चौड़ाई एक हाथ, और ऊँचाई डेढ़ हाथ की हो। नवीन हिंदी बाइबल “फिर बबूल की लकड़ी की एक मेज़ बनवाना; उसकी लंबाई दो हाथ, चौड़ाई एक हाथ और ऊँचाई डेढ़ हाथ की हो। सरल हिन्दी बाइबल “तुम बबूल की लकड़ी से एक मेज़ बनाना. जो नब्बे सेंटीमीटर लंबी, पैंतालीस सेंटीमीटर चौड़ी और साढ़े सड़सठ सेंटीमीटर ऊंची होगी. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 “फिर बबूल की लकड़ी की एक मेज बनवाना; उसकी लम्बाई दो हाथ, चौड़ाई एक हाथ, और ऊँचाई डेढ़ हाथ की हो। |
सुलेमान ने प्रभु के भवन की ये वस्तुएं भी बनाई थीं : स्वर्ण वेदी और स्वर्ण मेज, जिस पर ‘प्रभु-भेंट की रोटी’ रखी जाती थी;
शुद्ध सोने के दीपाधार − पांच दीपाधार पवित्र अन्तर्गृह की दाहिनी ओर, और पांच दीपाधार उसकी बाईं ओर थे − ; सोने के पुष्प, दीपक और चिमटे;
दाऊद ने निम्नलिखित वस्तुओं में लगने वाले सोने और चांदी की मात्रा भी निर्धारित की : भेंट की रोटी की स्वर्ण-मेजों का सोना, और चांदी की मेजों की चांदी;
राजा सुलेमान ने परमेश्वर के भवन की ये वस्तुएं भी बनाईं: स्वर्ण वेदी और मेज, जिसपर ‘प्रभु-भेंट की रोटी’ रखी जाती थी;
उसने दस मेजें भी बनवाईं और उनको मन्दिर में रख दिया: पांच दाहिनी ओर और पांच बाईं ओर। इनके अतिरिक्त उसने रक्त छिड़कने के लिए सोने के सौ पात्र भी बनवाए।
वह लकड़ी की वेदी के समान था। वह डेढ़ मीटर ऊंचा, एक मीटर लम्बा और एक मीटर चौड़ा था। उसके कोने, उसका आधार और उसके अलंग लकड़ी के थे। उसने मुझसे कहा, ‘यह प्रभु के सम्मुख की मेज है।’
तुम उनको दो पंिक्तयों में प्रभु के सम्मुख शुद्ध स्वर्ण की मेज पर रखना। प्रत्येक पंिक्त में छ: रोटियां होंगी।
उन्हें यह दायित्व सौंपा गया था : वे मंजूषा, मेज, दीपाधार, वेदियों, पवित्र-स्थान की अन्य वस्तुओं जिनको पुरोहित के सेवा-कार्य में प्रयुक्त किया जाता है, और अन्त:पट से सम्बन्धित समस्त सेवा-कार्य करते थे।
वे उन वस्तुओं पर लोहित रंग का वस्त्र फैला देंगे, और उनको सूंस के चमड़े के आच्छादन से ढक देंगे। तत्पश्चात् वे मेज में डण्डे लगाएंगे।
एक शिविर खड़ा कर दिया गया। उसके अगले कक्ष में दीपाधार था, मेज थी और भेंट की रोटियाँ थीं। यह पवित्र-स्थान कहलाता था।