याकूब ने उस स्थान का नाम ‘पनीएल’ रखा; क्योंकि उसने कहा, ‘मैंने परमेश्वर को साक्षात् देखा फिर भी मैं जीवित रहा!’
निर्गमन 24:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उन्होंने इस्राएल के परमेश्वर को देखा। उसके चरणों के नीचे नीलमणि का चबूतरा-जैसा कुछ था, जो आकाश के सदृश स्वच्छ था। पवित्र बाइबल पर्वत पर इन लोगों ने इस्राएल के परमेश्वर को देखा। परमेश्वर किसी ऐसे आधार पर खड़ा था। जो नीलमणि सा दिखता था ऐसा निर्मल जैसा आकाश। Hindi Holy Bible और इस्त्राएल के परमेश्वर का दर्शन किया; और उसके चरणों के तले नीलमणि का चबूतरा सा कुछ था, जो आकाश के तुल्य ही स्वच्छ था। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और इस्राएल के परमेश्वर का दर्शन किया; और उसके चरणों तले नीलमणि का चबूतरा सा कुछ था, जो आकाश के तुल्य ही स्वच्छ था। नवीन हिंदी बाइबल और उन्होंने इस्राएल के परमेश्वर का दर्शन किया। उसके चरणों के नीचे नीलमणि का सा फर्श था, जो आकाश के समान स्वच्छ था। सरल हिन्दी बाइबल वहां उन्होंने इस्राएल के परमेश्वर का दर्शन किया. उनके पांव के नीचे आकाश के जैसा साफ़ नीलमणि था. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और इस्राएल के परमेश्वर का दर्शन किया; और उसके चरणों के तले नीलमणि का चबूतरा सा कुछ था, जो आकाश के तुल्य ही स्वच्छ था। |
याकूब ने उस स्थान का नाम ‘पनीएल’ रखा; क्योंकि उसने कहा, ‘मैंने परमेश्वर को साक्षात् देखा फिर भी मैं जीवित रहा!’
जब याकूब ने पनीएल से प्रस्थान किया तब वह अपनी जांघ के कारण लंगड़ा रहा था और सूर्य उस पर चमकने लगा था।
मीकायाह ने आगे कहा, ‘अब प्रभु का वचन सुनिए। मैंने प्रभु को सिंहासन पर विराजमान देखा। उसके समीप स्वर्ग की समस्त सेना उसकी दाहिनी और बाईं ओर खड़ी थी।
हे इस्राएली राष्ट्र के प्रभु परमेश्वर, अब अपने सेवक दाऊद को दिए गए अपने वचन को सच प्रमाणित कर।
परमेश्वर ने इस्राएली समाज के प्रधानों पर हाथ नहीं उठाया, वरन् उन्होंने परमेश्वर का दर्शन किया, और खाया-पिया।
प्रभु ने फिर कहा, ‘मैं तेरे पिता का परमेश्वर, अब्राहम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर हूं।’ मूसा ने अपना मुंह ढक लिया; क्योंकि वह परमेश्वर पर दृष्टि करने से डरते थे।
उसने यह भी कहा, ‘तू मेरे मुख का दर्शन नहीं कर सकता; क्योंकि मनुष्य मुझे देखकर जीवित नहीं रह सकता।’
तत्पश्चात् मैं अपनी हथेली हटा लूँगा। तब तू मेरी पीठ को देखेगा; परन्तु मेरा मुख नहीं दिखाई देगा।’
उसकी भुजाएँ फिरोजा जड़ी हुई सोने की छड़ों के समान हैं। उसका शरीर मानो हाथीदांत का बना है और उसमें नील मणियाँ जड़ी गई हैं।
“यह उषा के सदृश दिखनेवाली कन्या कौन है? यह मानो दूज का चन्द्रमा है, सूर्य की तरह आलोकमयी है। पताका फहराती हुई सेना के सदृश प्रेम में आक्रमण करनेवाली यह कौन है?” ’
मेरे लोगों की नगरी के तरुण हिम से अधिक निर्मल थे, दूध से अधिक उज्ज्वल थे उनकी देह मूंगे से अधिक लाल थी; उनका रूप नीलम जैसा सुन्दर था।
तीसवें वर्ष के चौथे महीने की पांचवीं तारीख को यह घटना घटी। उस समय कबार नदी के तट पर यहूदा प्रदेश से निष्कासित बन्दियों का शिविर था। मैं भी इन्हीं बन्दियों में था। तब स्वर्ग खुल गया, और मैंने परमेश्वर के दर्शन देखे।
मैंने आंखें ऊपर कीं और यह देखा: करूबों के सिर के ऊपर आकाशमण्डल है, और इस आकाशमण्डल में सिंहासन-सा कुछ है, जो नीलमणि के समान चमक रहा है।
मेरे स्वामी का यह सेवक अपने स्वामी से बातें करने का साहस कैसे जुटा सकता है? स्वामी, मेरे शरीर में न तो शक्ति है और न प्राण ही।”
मैं उससे पहेलियों में नहीं, वरन् स्पष्ट शब्दों में आमने-सामने बात करता हूं। वह मेरा, अपने प्रभु का, स्वरूप निहारता है। तब तुम मेरे सेवक मूसा के विरोध में बोलते समय क्यों नहीं डरे?’
वहाँ उनके सामने येशु का रूपान्तरण हो गया। उनका मुखमण्डल सूर्य की तरह दमक उठा और उनके वस्त्र प्रकाश के समान उज्ज्वल हो गये।
किसी ने कभी परमेश्वर को नहीं देखा; पर एकलौते पुत्र ने, जो स्वयं परमेश्वर है और जो पिता की गोद में है, उसको प्रकट किया है।
येशु ने कहा, “फिलिप! मैं इतने समय तक तुम लोगों के साथ रहा, फिर भी तुम ने मुझे नहीं जाना? जिसने मुझे देखा है, उसने पिता को भी देखा है। फिर तुम यह क्या कहते हो : ‘हमें पिता के दर्शन कराइए’?
“यह न समझो कि किसी ने पिता को देखा है; केवल उसी ने पिता को देखा है, जो परमेश्वर की ओर से आया है।
जो अमरता का एकमात्र स्रोत है, जो अगम्य ज्योति में निवास करता है, जिसे न तो किसी मनुष्य ने कभी देखा है और न कोई देख सकता है। उसे सम्मान प्राप्त हो तथा उसका सामर्थ्य युगानुयुग बना रहे! आमेन!
परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा। यदि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं, तो परमेश्वर हम में निवास करता है और हम में उसका प्रेम परिपूर्णता तक पहुंच जाता है।
वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे धारण किये था। उसके मुख से एक तेज दुधारी तलवार निकल रही थी और उसका मुखमण्डल मध्याह्न के सूर्य की तरह चमक रहा था।
वह परमेश्वर की महिमा से विभूषित थी और बहुमूल्य रत्न तथा उज्ज्वल सूर्यकान्त की तरह चमक रही थी।
जिसका रूप-रंग सूर्यकान्त एवं रुधिराख्य के सदृश है और सिंहासन के चारों ओर मरकतमणि-जैसा एक आभा-मण्डल है।