‘जिस भवन का निर्माण तू कर रहा है, उसके विषय में मेरा यह वचन है : यदि तू मेरी संविधियों के अनुसार चलेगा, मेरे न्याय-सिद्धान्तों के अनुसार न्याय करेगा, मेरी सब आज्ञाओं को मानेगा, और उनके अनुसार आचरण करेगा, तो मैं अपने उस वचन को पूर्ण करूंगा, जो मैंने तेरे विषय में तेरे पिता दाऊद को दिया था।
जब कभी नगरों में रहने वाले तुम्हारे भाई-बन्धु तुम्हारे पास हत्या, धर्म-व्यवस्था, आज्ञा, संविधि अथवा धर्म-प्रथाओं के सम्बन्ध में कोई मुकद्दमा लाएंगे, तो तुम उनको समझाना कि वे प्रभु के सम्मुख दोषी न बनें, और तुम पर तथा तुम्हारे भाई-बन्धुओं पर प्रभु का क्रोध न भड़के। तुम ऐसा ही करना; तब तुम निर्दोष रहोगे।
इन सबने अपने प्रतिष्ठित जाति-भाइयों के साथ यह शपथ खाई : ‘हम परमेश्वर की व्यवस्था के अनुसार आचरण करेंगे, जो उसने अपने सेवक मूसा को प्रदान की थी। हम अपने स्वामी प्रभु की सब आज्ञाओं, उसके न्याय-सिद्धान्तों और संविधियों का पालन करेंगे, और उनके अनुरूप कार्य करेंगे।
तुम मेरी संविधियों एवं न्याय-सिद्धान्तों का पालन करना। कोई भी व्यक्ति चाहे देशी हो अथवा तुम्हारे मध्य निवास करने वाला प्रवासी हो, ये घृणास्पद कार्य नहीं करेगा।
‘अत: तुम मेरी सब संविधियों और न्याय-सिद्धान्तों का पालन करना, और उनको व्यवहार में लाना जिससे वह देश जहां मैं तुम्हें ला रहा हूँ, तुम्हें नहीं निकाल सके।
‘यदि तेरा भाई-बन्धु, इब्रानी स्त्री अथवा पुरुष, तेरे हाथ बेचा जाए तो वह छ: वर्ष तक तेरी सेवा करेगा। तू सातवें वर्ष उसे स्वतन्त्र कर देना और अपने पास से जाने देना।
प्रभु ने उस समय मुझे आज्ञा दी थी कि मैं तुम्हें संविधि और न्याय-सिद्धान्त सिखाऊं, जिससे तुम उनके अनुसार उस देश में आचरण कर सको जिसको तुम अपने अधिकार में करने के लिए वहां प्रवेश कर रहे हो।
देखो, जैसा मेरे प्रभु परमेश्वर ने मुझे आज्ञा दी थी, उसके अनुसार मैंने तुम्हें संविधि और न्याय-सिद्धान्त सिखाए हैं जिससे तुम उनका उस देश में पालन कर सको, जिसको अपने अधिकार में करने के लिए वहां प्रवेश कर रहे हो।
मूसा ने समस्त इस्राएली समाज को बुलाया, और उनसे यह कहा, ‘ओ इस्राएल! जो संविधियाँ और न्याय-सिद्धान्त आज मैं तुम्हारे कान में डाल रहा हूँ, उनको सुनो। तुम उन्हें सीखना, और उनको व्यवहार में लाने के लिए सदा तत्पर रहना।
परन्तु तू यहाँ मेरे पास खड़ा रह, और मैं तुझको सब आज्ञाएँ, संविधियाँ और न्याय-सिद्धान्त बताऊंगा, जो तू उन्हें सिखाएगा जिससे वे उस देश में, जो मैं उन्हें उस पर अधिकार करने के लिए प्रदान कर रहा हूँ, उनके अनुसार कार्य कर सकें।”
‘जो आज्ञाएं, संविधियाँ और न्याय-सिद्धान्त तुम्हें सिखाने के लिए तुम्हारे प्रभु परमेश्वर ने मुझे आज्ञा दी थी, वे ये ही हैं। तुम उस देश में इनके अनुसार कार्य करना, जिसको तुम अपने अधिकार में करने के लिए वहाँ जा रहे हो।
‘जब भविष्य में तेरी संतान तुझसे पूछेगी, “इन सािक्षयों, संविधियों, न्याय-सिद्धान्तों का, जिनकी आज्ञा हमारे प्रभु परमेश्वर ने हमें दी है, क्या अर्थ है?”
भाइयो और बहिनो! आप लोग हमसे यह शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं कि किस प्रकार आचरण करना और परमेश्वर को प्रसन्न करना चाहिए, और आप इसके अनुसार चलते भी हैं। अन्त में, हम प्रभु येशु के नाम पर आपसे आग्रह के साथ अनुनय करते हैं कि आप इस विषय में और आगे बढ़ते जायें।