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तीतुस 2:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

वृद्धों को समझाओ कि उन्‍हें संयमी, गम्‍भीर एवं समझदार होना चाहिए और विश्‍वास, भ्रातृ-प्रेम एवं धैर्य में परिपक्‍व।

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पवित्र बाइबल

वृद्ध पुरुषों को शिक्षा दो कि वे शालीन और अपने पर नियन्त्रण रखने वाले बनें। वे गंभीर, विवेकी, प्रेम और विश्वास में दृढ़ और धैर्यपूर्वक सहनशील हों।

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Hindi Holy Bible

अर्थात बूढ़े पुरूष, सचेत और गम्भीर और संयमी हों, और उन का विश्वास और प्रेम और धीरज पक्का हो।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

अर्थात् बूढ़े पुरुष सचेत और गम्भीर और संयमी हों, और उनका विश्‍वास और प्रेम और धीरज पक्‍का हो।

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नवीन हिंदी बाइबल

वृद्ध पुरुष संयमी, सम्माननीय, और समझदार हों, तथा वे विश्‍वास, प्रेम और धैर्य में अटल हों।

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सरल हिन्दी बाइबल

बुज़ुर्ग पुरुष संयमी, सम्मानीय, विवेकशील तथा विश्वास, प्रेम व धीरज में अटल हों.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

अर्थात् वृद्ध पुरुष सचेत और गम्भीर और संयमी हों, और उनका विश्वास और प्रेम और धीरज पक्का हो।

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तीतुस 2:2
33 क्रॉस रेफरेंस  

वृद्ध स्‍त्री-पुरुष में बुद्धि होती है; लम्‍बी आयु वालों में समझ होती है!


वे वृद्धावस्‍था में भी फलते हैं; वे सदा रसमय और हरे-भरे रहते हैं,


जिस सिर के बाल दीर्घ आयु के कारण पके हैं, वह सुन्‍दर मुकुट के सदृश है। यह मुकुट सदाचरण के द्वारा प्राप्‍त होता है।


वहाँ न शिशु होगा, जो कुछ दिन जीवित रहकर असमय में मर जाएगा; और न ऐसे वृद्ध होंगे, जो पूर्ण आयु न भोगेंगे। प्रत्‍येक बालक शतायु होगा; जो व्यक्‍ति सौ वर्ष की उम्र के पहले मरेगा, वह शापित समझा जाएगा।


‘तुम आदर देने के लिए वृद्ध मनुष्‍य के सम्‍मुख खड़े होना, और वयोवृद्ध मनुष्‍य का सम्‍मान करना। तुम अपने परमेश्‍वर से डरना। मैं प्रभु हूँ।


वे येशु के पास आए और यह देख कर भयभीत हो गये कि वह भूतग्रस्‍त, जिस में पहले अशुद्ध आत्‍माओं की सेना थी, बैठा हुआ है। वह कपड़े पहिने हुए है, और स्‍वस्‍थमन है।


लोग यह सब देखने निकले। वे येशु के पास आये और यह देख कर भयभीत हो गये कि वह मनुष्‍य, जिसमें से भूत निकले थे, कपड़े पहने शान्‍त भाव से येशु के चरणों के समीप बैठा हुआ है।


जब पौलुस धार्मिकता, आत्‍मसंयम और अंतिम न्‍याय के विषय में बोलने लगे, तो फ़ेलिक्‍स पर भय छा गया और उसने कहा, “तुम इस समय जा सकते हो। अवसर मिलने पर मैं तुमको फिर बुलाऊंगा।”


उस कृपा के अधिकार से, जो मुझे प्राप्‍त हुई है, मैं आप लोगों में हर एक से यह कहता हूँ: अपने को औचित्‍य से अधिक महत्व मत दीजिए। परमेश्‍वर द्वारा प्रदत्त विश्‍वास की मात्रा के अनुरूप हर एक को अपने विषय में सन्‍तुलित विचार रखना चाहिए।


होश में आइए, जैसा कि उचित है, और पाप करना छोड़ दीजिए। आप में कुछ लोग परमेश्‍वर के सम्‍बन्‍ध में कुछ नहीं जानते-मैं आप को लज्‍जित करने के लिए यह कह रहा हूँ।


सब प्रतियोगी हर बात में संयम रखते हैं। वे नश्‍वर मुकुट प्राप्‍त करने के लिए ऐसा करते हैं, जब कि हम अनश्‍वर मुकुट के लिए।


यदि हमें अपनी सुध-बुध नहीं रह गयी थी, तो यह परमेश्‍वर के लिए था और यदि हम अब सन्‍तुलित हैं, तो यह आप लोगों के कल्‍याण के लिए है;


नम्रता और संयम। इनके विरुद्ध कोई विधि नहीं है।


भाइयो और बहिनो! अन्‍त में यह : जो कुछ सच है, आदरणीय है; जो कुछ न्‍यायसंगत है, निर्दोष है; जो कुछ प्रीतिकर है, मनोहर है, जो कुछ भी उत्तम है, प्रशंसनीय है : ऐसी बातों का मनन किया करें।


इसलिए हम दूसरों की तरह नहीं सोयें, बल्‍कि जागते हुए सतर्क रहें।


हम, जो दिन के हैं, विश्‍वास एवं प्रेम का कवच और मुक्‍ति की आशा का टोप पहन कर सतर्क बने रहें।


व्‍यभिचारियों और पुरुषगामियों, मानव-विक्रेताओं, असत्‍य-वादियों, झूठी शपथ खानेवालों और उन सब मनुष्‍यों के लिए जो उस हितकारी शिक्षा का विरोध करते हैं,


हमारे प्रभु का अनुग्रह प्रचुर मात्रा में मुझे प्राप्‍त हुआ और साथ ही वह विश्‍वास और प्रेम भी, जो हमें येशु मसीह द्वारा मिलता है।


इस आदेश का लक्ष्य वह प्रेम है, जो शुद्ध हृदय, निर्दोष अन्‍त:करण और निष्‍कपट विश्‍वास से उत्‍पन्न होता है।


इसी प्रकार धर्मसेविकाएँ परनिन्‍दक नहीं, बल्‍कि गम्‍भीर, संयमी और सब बातों में विश्‍वसनीय हों।


धर्माध्‍यक्ष को चाहिए कि वह अनिन्‍दनीय, पत्‍नीव्रती, संयमी, समझदार, भद्र, अतिथिप्रेमी और कुशल शिक्षक हो।


वह अपने घर का अच्‍छा प्रबन्‍ध करे और गम्‍भीरतापूर्वक अपने बच्‍चों को अनुशासन में रखे।


इसी तरह धर्मसेवक आचरण में गम्‍भीर तथा निष्‍कपट हों। वे न तो मद्यसेवी हों और न लोभी।


बड़े-बूढ़े को कभी नहीं डाँटो, बल्‍कि उससे इस प्रकार अनुरोध करो, मानो वह तुम्‍हारा पिता हो। युवकों को भाई,


यह कथन सत्‍य-साक्षी निकला। इसलिए तुम उन्‍हें कड़ी चेतावनी देते रहो, जिससे वे विश्‍वास में परिपक्‍व हो जाएं


वह अतिथि-प्रेमी, हितैषी, समझदार, न्‍यायी, प्रभुभक्‍त और संयमी हो।


और तुम स्‍वयं अपने भले कार्यों से उन्‍हें अच्‍छा उदाहरण दो। तुम्‍हारी शिक्षा प्रामाणिक और गम्‍भीर हो।


फिर भी मैं भ्रातृप्रेम के नाम पर तुम से केवल निवेदन करता हूँ। मैं पौलुस, जो बूढ़ा हो चला और आजकल येशु मसीह के कारण कैदी भी हूँ,


इसलिए आप लोग अपने मन की शक्‍तियों को कर्म करने के लिए तत्‍पर करें। आप संयमी बने रहें और उस अनुग्रह की पूरी आशा करें, जो येशु मसीह के प्रकट होने पर आप को प्राप्‍त होगा।


सब का अन्‍त निकट आ गया है। आप लोग सन्‍तुलन तथा संयम रखें, जिससे आप प्रार्थना कर सकें।


आप संयम रखें और जागते रहें! आपका विरोधी, शैतान, दहाड़ते हुए सिंह की तरह विचरता है और ढूँढ़ता रहता है कि किसे फाड़ खाये।


आपका ज्ञान संयम से, आपका संयम धैर्य से, आपका धैर्य भक्‍ति से,