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गिनती 6:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

तब वह मदिरा तथा अंगूर के रस से अपने को अलग रखेगा। वह अंगूर अथवा मदिरा का सिरका नहीं पीएगा। वह अंगूर का रस भी नहीं पीएगा और न ताजा अथवा सूखा अंगूर ही खाएगा।

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पवित्र बाइबल

उस काल में व्यक्ति को कोई दाखमधु या कोई अधिक नशीली चीज़ नहीं पीनी चाहिए। व्यक्ति को सिरका जो दाखमधु से बना हो या किसी अधिक नशीले पेय को नहीं पीना चाहिए। उस व्यक्ति को अंगूर का रस नहीं पीना चाहिए और न ही अंगुर या किशमिश खाने चाहिए।

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Hindi Holy Bible

तब वह दाखमधु आदि मदिरा से न्यारा रहे; वह न दाखमधु का, न और मदिरा का सिरका पीए, और न दाख का कुछ रस भी पीए, वरन दाख न खाए, चाहे हरी हो चाहे सूखी।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तब वह दाखमधु आदि मदिरा से अलग रहे; वह न दाखमधु, और न मदिरा का सिरका पीए, और न दाख का कुछ रस भी पीए, वरन् दाख न खाए, चाहे हरी हो चाहे सूखी।

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सरल हिन्दी बाइबल

वह दाखमधु से अलग रहे, सिरके का सेवन न करे, चाहे वह अंगूर के रस से बना हुआ हो अथवा किसी नशीले द्रव्य का. वह अंगूर के रस का भी सेवन न करे, वह न तो वाटिका से लाए गए अंगूरों का सेवन करे और न ही सुखाए हुए अंगूरों का.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तब वह दाखमधु और मदिरा से अलग रहे; वह न दाखमधु का, और न मदिरा का सिरका पीए, और न दाख का कुछ रस भी पीए, वरन् दाख न खाए, चाहे हरी हो चाहे सूखी। (लूका 1:15)

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गिनती 6:3
15 क्रॉस रेफरेंस  

‘जब तू अथवा तेरे साथ तेरे पुत्र मिलन-शिविर में प्रवेश करें तब अंगूर का रस या मदिरा मत पीना। ऐसा न हो कि तुम मर जाओ। यह तुम्‍हारी पीढ़ी से पीढ़ी के लिए स्‍थायी संविधि है।


मैंने तेरे कुछ पुत्रों को नबी बनाया; तेरे कुछ युवकों को नाजीर बनने का अवसर दिया। क्‍या यह सच नहीं है?’ प्रभु ने यह कहा है।


‘परन्‍तु, तूने नाजीरों को शराब पिलाई, जिन्‍हें शराब पीना मना था; तूने नबियों को आदेश दिया, “खबरदार! नबूवत मत करना।”


वह समर्पण-व्रत की अवधि में अंगूर की लता, बीज अथवा छिलके से बनी कोई भी वस्‍तु नहीं खाएगा।


क्‍योंकि वह प्रभु की दृष्‍टि में महान् होगा। वह दाखरस और मदिरा नहीं पिएगा, वरन् अपनी माता के गर्भ से ही पवित्र आत्‍मा से परिपूर्ण होगा।


“अपने विषय में सावधान रहो। कहीं ऐसा न हो कि भोग-विलास, नशे और इस संसार की चिन्‍ताओं से तुम्‍हारा मन कुण्‍ठित हो जाए और वह दिन फन्‍दे की तरह अचानक तुम पर आ गिरे;


मदिरा पी कर मतवाले नहीं बनें, क्‍योंकि इससे विषय-वासना उत्‍पन्न होती है, बल्‍कि पवित्र आत्‍मा से परिपूर्ण हो जायें।


हर प्रकार की बुराई से बचते रहें।


तुम अब से केवल पानी मत पियो, बल्‍कि पाचन-शक्‍ति बढ़ाने के लिए और बारम्‍बार अस्‍वस्‍थ रहने के कारण तुम थोड़े से दाखरस का सेवन करो।


वे बाह्य नियम हैं जो खान-पान एवं नाना प्रकार की शुद्धीकरण-विधियों से सम्‍बन्‍ध रखते हैं और पुनर्निर्माण के युग के आगमन तक ही लागू हैं।


यह अंगूर से बननेवाली कोई भी वस्‍तु नहीं खाएगी। यह अंगूर का रस अथवा शराब नहीं पीएगी। यह अशुद्ध खाद्य-वस्‍तु नहीं खाएगी। जो आज्ञाएँ मैंने इसे दी हैं, उनका पालन यह स्‍त्री करेगी।’


इसलिए अब तू सावधान हो! अंगूर का रस अथवा शराब मत पीना। अशुद्ध खाद्य वस्‍तु मत खाना।