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गलातियों 2:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

किन्‍तु जो व्यक्‍ति प्रतिष्‍ठित माने जाते थे-वे पहले कैसे थे, इससे मेरे विचार में कोई अन्‍तर नहीं पड़ता, क्‍योंकि परमेश्‍वर मुंह-देखा न्‍याय नहीं करता-इन प्रतिष्‍ठित व्यक्‍तियों से मुझे कोई नई बात प्राप्‍त नहीं हुई।

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पवित्र बाइबल

किन्तु जाने माने प्रतिष्ठित लोगों से मुझे कुछ नहीं मिला। (वे कैसे भी थे, मुझे इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। बिना किसी भेदभाव के सभी मनुष्य परमेश्वर के सामने एक जैसे हैं।) उन सम्मानित लोगों से मुझे या मेरे सुसमाचार को कोई लाभ नहीं हुआ।

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Hindi Holy Bible

फिर जो लोग कुछ समझे जाते थे (वे चाहे कैसे ही थे, मुझे इस से कुछ काम नहीं, परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता) उन से जो कुछ भी समझे जाते थे, मुझे कुछ भी नहीं प्राप्त हुआ।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

फिर जो लोग कुछ समझे जाते थे (वे चाहे कैसे भी थे मुझे इस से कुछ काम नहीं; परमेश्‍वर किसी का पक्षपात नहीं करता) – उनसे जो कुछ समझे जाते थे, मुझे कुछ भी नहीं प्राप्‍त हुआ।

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नवीन हिंदी बाइबल

परंतु जो प्रतिष्‍ठित समझे जाते थे (वे जो भी थे, मेरे लिए इसका कोई महत्त्व नहीं, परमेश्‍वर किसी का पक्षपात नहीं करता), उन्होंने मुझे और कोई निर्देश नहीं दिया।

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सरल हिन्दी बाइबल

इसका मेरे लिए कोई महत्व नहीं कि वे, जो नामी थे, पहले क्या थे; परमेश्वर भेद-भाव करनेवाला नहीं हैं, मेरे संदेश में उन नामी व्यक्तियों का कोई योगदान नहीं था.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

फिर जो लोग कुछ समझे जाते थे वे चाहे कैसे भी थे, मुझे इससे कुछ काम नहीं, परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता उनसे मुझे कुछ भी नहीं प्राप्त हुआ। (2 कुरि. 11:5, व्यव. 10:17)

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गलातियों 2:6
22 क्रॉस रेफरेंस  

वह सामन्‍तों के प्रति पक्षपात नहीं करता, और न अमीर को गरीब से अधिक सम्‍मान देता है। क्‍योंकि दोनों को उसने अपने हाथ से रचा है।


उन्‍होंने येशु के पास हेरोदेस-दल के सदस्‍यों के साथ अपने शिष्‍यों को यह प्रश्‍न पूछने भेजा, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सच्‍चे हैं और सच्‍चाई से परमेश्‍वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। आप किसी की परवाह नहीं करते, क्‍योंकि आप मुँह-देखी बात नहीं कहते।


वे आ कर उनसे बोले, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सच्‍चे हैं और आप किसी की परवाह नहीं करते। आप मुँह-देखी बात नहीं कहते, बल्‍कि सच्‍चाई से परमेश्‍वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। बताइए, व्‍यवस्‍था की दृष्‍टि में रोमन सम्राट को कर देना उचित है या नहीं?


गुप्‍तचरों ने येशु से पूछा, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सत्‍य बोलते और सत्‍य ही सिखलाते हैं। आप मुँह-देखी नहीं कहते, बल्‍कि सच्‍चाई से परमेश्‍वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं।


पतरस ने कहना आरम्‍भ किया, “मैं अब अच्‍छी तरह समझ गया कि परमेश्‍वर किसी के साथ पक्षपात नहीं करता।


कुछ समय पहले थेउदास ने विद्रोह का झण्‍डा उठाया था। वह दावा करता था कि मैं भी कुछ हूँ और लगभग चार सौ लोग उसके अनुयायी बन गये। वह मारा गया, उसके मानने वाले सब लोग बिखर गये और उनका नाम-निशान भी नहीं रहा।


क्‍योंकि परमेश्‍वर किसी के साथ पक्षपात नहीं करता।


आपके उन महान् प्रेरितों से मैं अपने को किसी भी तरह कम नहीं समझता।


मैं मूर्खतापूर्ण बातें कर रहा हूँ-आप लोगों ने मुझे इसके लिए बाध्‍य किया। आप को मेरी सिफारिश करनी चाहिए थी, क्‍योंकि यद्यपि मैं कुछ भी नहीं हूँ, फिर भी मैं उन महान् प्रेरितों से किसी भी तरह कम नहीं हूँ।


इसलिए हम अब से किसी को भी सांसारिक दृष्‍टि से नहीं देखते। हमने मसीह को पहले सांसारिक दृष्‍टि से देखा, किन्‍तु अब हम ऐसा नहीं करते।


परमेश्‍वर ने मुझ पर प्रकट किया था कि मुझे जाना चाहिए। मैंने उन लोगों के सामने-परन्‍तु एकान्‍त में प्रतिष्‍ठित व्यक्‍तियों के सामने-वह शुभ समाचार प्रस्‍तुत किया जिसका प्रचार मैं गैर-यहूदियों के बीच करता हूँ, जिससे ऐसा न हो कि जो दौड़-धूप मैं कर रहा हूँ अथवा कर चुका हूँ, वह व्‍यर्थ हो जाए।


क्‍योंकि यदि कोई समझता है कि मैं कुछ हूं, जब कि वह कुछ नहीं है, तो वह अपने को धोखा देता है।


क्‍योंकि तुम्‍हारा प्रभु परमेश्‍वर समस्‍त देवताओं का परमेश्‍वर है। वह समस्‍त स्‍वामियों का स्‍वामी है। वह महान, बलवान और आतंकमय परमेश्‍वर है। वह किसी का पक्षपात नहीं करता, और न किसी से घूस ही लेता है।


आपके धर्मनेताओं को रात-दिन आपकी आध्‍यात्‍मिक भलाई की चिन्‍ता रहती है, क्‍योंकि वे इसके लिए उत्तरदायी हैं। इसलिए आप लोग उनका आज्ञापालन करें और उनके अधीन रहें, जिससे वे अपना कर्त्तव्‍य आनन्‍द के साथ, न कि आहें भरते हुए, पूरा कर सकें; क्‍योंकि इस से आप को कोई लाभ नहीं होगा।


आप लोग उन धर्मनेताओं की स्‍मृति कायम रखें, जिन्‍होंने आप को परमेश्‍वर का सन्‍देश सुनाया और उनके आचरण के सुखद परिणाम का मनन करते हुए उनके विश्‍वास का अनुकरण करें।


यदि आप उसे “पिता” कह कर पुकारते हैं, जो पक्षपात किये बिना प्रत्‍येक मनुष्‍य का उसके कर्मों के अनुसार न्‍याय करता है, तो जब तक आप यहाँ परदेश में रहते हैं, तब तक उस पर श्रद्धा रखते हुए जीवन बितायें।