इधर-उधर घूमने वाले कुछ यहूदी भूत-प्रेत साधकों ने भी प्रयास किया कि दुष्ट आत्मा से ग्रसित लोगों पर प्रभु येशु के नाम का उच्चारण करें। वे यह कहते थे, “पौलुस जिनका प्रचार करते हैं, तुम को उन्हीं येशु की शपथ!”
गलातियों 1:23 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उन्होंने इतना ही सुना था कि जो व्यक्ति हम पर अत्याचार करता था, वह अब उस विश्वास का शुभ समाचार सुना रहा है, जिसको वह नष्ट करने का प्रयत्न करता था पवित्र बाइबल किन्तु वे लोगों को कहते सुनते थे, “वही व्यक्ति जो पहले हमें सताया करता था, उसी विश्वास, यानी उसी मत का प्रचार कर रहा है, जिसे उसने कभी नष्ट करने का प्रयास किया था।” Hindi Holy Bible परन्तु यही सुना करती थीं, कि जो हमें पहिले सताता था, वह अब उसी धर्म का सुसमाचार सुनाता है, जिसे पहिले नाश करता था। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) परन्तु यही सुना करती थीं कि जो हमें पहले सताता था, वह अब उसी विश्वास का सुसमाचार सुनाता है जिसे पहले नष्ट करता था। नवीन हिंदी बाइबल वे केवल यही सुना करती थीं : “जो पहले हमें सताता था अब वह उसी विश्वास का सुसमाचार सुनाता है जिसे कभी नाश करने का प्रयास करता था।” सरल हिन्दी बाइबल मेरे विषय में उन्होंने केवल यही सुना था: “एक समय जो हमारा सतानेवाला था, अब वही उस विश्वास का प्रचार कर रहा है, जिसे नष्ट करने के लिए वह दृढ़ संकल्प था.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 परन्तु यही सुना करती थीं, कि जो हमें पहले सताता था, वह अब उसी विश्वास का सुसमाचार सुनाता है, जिसे पहले नाश करता था। |
इधर-उधर घूमने वाले कुछ यहूदी भूत-प्रेत साधकों ने भी प्रयास किया कि दुष्ट आत्मा से ग्रसित लोगों पर प्रभु येशु के नाम का उच्चारण करें। वे यह कहते थे, “पौलुस जिनका प्रचार करते हैं, तुम को उन्हीं येशु की शपथ!”
परमेश्वर का वचन फैलता गया। यरूशलेम में शिष्यों की संख्या बहुत अधिक बढ़ गई; और बहुत-से पुरोहितों ने इस विश्वास को स्वीकार कर लिया।
परन्तु हनन्याह ने कहा, “प्रभु! मैंने अनेक लोगों से सुना है कि इस व्यक्ति ने यरूशलेम में आपके सन्तों पर कितना अत्याचार किया है।
वह शीघ्र ही सभागृहों में येशु के विषय में प्रचार करने लगे कि वही परमेश्वर के पुत्र हैं।
सब सुनने वाले अचम्भे में पड़ कर कहते थे, “क्या यह वह व्यक्ति नहीं है, जो यरूशलेम में इस नाम की भक्ति करने वालों को नष्ट कर रहा था? क्या वह यहाँ इसलिए नहीं आया था कि वह उन्हें बाँध कर महापुरोहितों के पास ले जाये?”
जब शाऊल यरूशलेम पहुँचे, तो उन्होंने शिष्यों के समुदाय में सम्मिलित हो जाने का प्रयत्न किया, किन्तु वे सब उन से डरते थे, क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह सचमुच येशु के शिष्य बन गये हैं।
इसलिए जब तक हमें अवसर मिल रहा है, हम सब की भलाई करते रहें, विशेष रूप से उन लोगों की, जो विश्वास के कारण हमारे परिवार के हैं।