जैसा यूसुफ ने स्वप्नों का अर्थ बताया था, उसके अनुरूप फरओ ने मुख्य रसोइए को काठ पर लटका दिया।
एस्तेर 7:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) सम्राट ने आदेश दिया, ‘इसको उस सलीब पर लटका दो।’ अत: जो सलीब हामान ने मोरदकय के लिए बनवाई थी, उसी पर उसको लटका दिया गया। तब सम्राट का क्रोध शान्त हुआ। पवित्र बाइबल सो उन्होंने उसी खम्भे पर जिसे उसने मोर्दकै के लिए बनाया था हामान को लटका दिया। इसके बाद राजा ने क्रोध करना छोड़ दिया। Hindi Holy Bible तब हामान उसी खम्भे पर जो उसने मोर्दकै के लिये तैयार कराया था, लटका दिया गया। इस पर राजा की जलजलाहट ठंडी हो गई। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब हामान उसी खम्भे पर जो उसने मोर्दकै के लिये तैयार कराया था, लटका दिया गया। इस पर राजा का गुस्सा ठण्डा पड़ गया। सरल हिन्दी बाइबल तब उन्होंने हामान को उसी फांसी के खंभे पर लटका दिया, जिसे उसने मोरदकय को मृत्यु दंड के लिए बनवाया था. तब राजा का कोप ठंडा हो गया. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब हामान उसी खम्भे पर जो उसने मोर्दकै के लिये तैयार कराया था, लटका दिया गया। इस पर राजा का गुस्सा ठंडा हो गया। |
जैसा यूसुफ ने स्वप्नों का अर्थ बताया था, उसके अनुरूप फरओ ने मुख्य रसोइए को काठ पर लटका दिया।
कुछ दिनों के पश्चात्, जब सम्राट क्षयर्ष का क्रोध शान्त हुआ तब उसको रानी वशती की याद आई। उसको स्मरण हुआ कि रानी वशती ने क्या अपराध किया था, और उसके विरुद्ध कौन-सी राजाज्ञा प्रसारित की गई थी।
तब उसकी पत्नी जेरेश और उसके मित्रों ने यह सलाह दी, ‘तुम बीस मीटर ऊंचा फांसी का खम्भा बनाओ, और कल सबेरे महाराज से कहो कि वह मोरदकय को फांसी पर टांगने का आदेश दें। इसके बाद शाम को महाराज के साथ आनन्द से भोज में जाना।’ यह सलाह हामान को पसन्द आई। उसने फांसी का खम्भा बनवाया।
सम्राट क्रोधावेश में भोजन पर से उठ गया, और वह राजमहल के उद्यान में चला गया। किन्तु हामान वहीं ठहरा रहा और रानी एस्तर से अपने प्राणों की भीख मांगने लगा, क्योंकि उसने जान लिया था कि सम्राट ने उसका अनिष्ट करने का निश्चय कर लिया है।
सम्राट राजमहल के उद्यान से उस स्थान पर लौटा जहां वे शराब पी रहे थे। उसने देखा कि जिस दीवान पर एस्तर लेटी है, उस पर हामान झुका हुआ है। सम्राट ने कहा, ‘क्या यह मेरे ही सामने, मेरे ही महल में महारानी पर बलात्कार करना चाहता है?’ सम्राट के मुंह से ये शब्द निकलते ही खोजों ने हामान का चेहरा ढक दिया।
सम्राट क्षयर्ष ने रानी एस्तर और यहूदी मोरदकय से कहा, ‘देखो, मैंने हामान की जागीर एस्तर को दे दी है। मेरे सेवकों ने हामान को फांसी-स्तम्भ पर भी लटका दिया, क्योंकि वह यहूदी कौम पर हाथ उठाना चाहता था।
सम्राट ने आदेश दिया, ‘ऐसा ही किया जाएगा।’ शूशन नगर में तत्काल एक राजाज्ञा घोषित की गई, और हामान के दस पुत्रों के शवों को फांसी के खम्भों पर लटका दिया गया।
पर जब एस्तर सम्राट क्षयर्ष के सम्मुख प्रस्तुत हुई तब सम्राट ने यह लिखित राजाज्ञा प्रसारित की : “जो अनिष्टकारी षड्यन्त्र हामान ने यहूदियों के विरुद्ध रचा है, उसका प्रतिफल स्वयं हामान के सिर पर पड़े। हामान और उसके पुत्र फांसी-स्तम्भों पर लटका दिए जाएं” ।’
वह सपने की तरह लुप्त हो जाएगा, और उसका पता तक नहीं चलेगा; रात में देखे गए दृश्य के समान उसकी स्मृति भी शेष नहीं रहेगी।
वह उन पर ही उनका अनिष्ट लौटाएगा; वह उन्हीं की बुराई के द्वारा उनको नष्ट करेगा; निश्चय ही हमारा प्रभु परमेश्वर उनको नष्ट करेगा।
जो भलाई करने के लिए सदा प्रयत्न करता है, वह मनुष्य और परमेश्वर दोनों की कृपा प्राप्त करता है; पर जो बुराई की तलाश में रहता है उसको बुराई ही मिलती है।
जो मनुष्य दूसरे के लिए गड्ढा खोदता है, वह स्वयं उसमें गिरता है। जो मनुष्य दूसरे के लिए फन्दा लगाता है, वह खुद उसमें फंस जाता है।
इसलिए मैं-प्रभु यह कहता हूं : तूमने मेरे आदेश का पालन नहीं किया, और यों अपने जाति-बन्धु को मुक्त करने की घोषणा नहीं की। अत: देखो, मैं घोषणा करता हूं कि तुम तलवार, महामारी और अकाल के बन्धन में फंस जाओगे। मैं-प्रभु यह कहता हूं : मैं पृथ्वी के समस्त राज्यों में तुम्हें आतंक का कारण बना दूंगा।
‘इस प्रकार मेरा क्रोध शान्त होगा। जब तक मेरी क्रोधाग्नि उन पर पूरी तरह न भड़क उठेगी, तब तक वह शांत न होगी, और न मुझे चैन मिलेगा। और तब उनको मालूम होगा कि मैं-प्रभु ने ही ईष्र्या की अग्नि में धधक कर यह कहा है। उस समय ही उनके प्रति मेरा क्रोध ठण्डा होगा।
तब सम्राट दारा के आदेश से वे लोग लाए गए जिन्होंने दानिएल पर दोष लगाया था। वे अपनी पत्नियों और बाल-बच्चों के साथ सिंहों की मांद में फेंक दिए गए। वे मांद के तल पर अभी पहुँचे भी न थे कि सिंहों ने ऊपर उछल कर उनको अपने-अपने मुंह में पकड़ लिया, और उनकी हड्डियों सहित उनको चबा डाला।
सम्राट दारा ने अपने साम्राज्य के अन्तर्गत पृथ्वी की सब कौमों, राष्ट्रों और भाषाओं के लोगों को यह परिपत्र लिखा : ‘तुम्हारी सुख-समृद्धि दिन दूनी रात चौगुनी बढ़े!
दूत ने मुझे पुकार कर कहा, ‘देखो, जो उत्तरी देश की ओर गए, उन्होंने वहां प्रभु की क्रोधाग्नि शान्त की।’
शिमशोन ने उनसे कहा, ‘तुमने यह कार्य किया, इसलिए मैं शपथ खाता हूँ कि जब तक तुम से बदला नहीं ले लूँगा तब तक चैन से नहीं बैठूँगा।’