आज मैं अस्सी वर्ष का हूँ। क्या मैं इस उम्र में भले और बुरे की पहचान कर सकता हूँ? अब क्या मुझमें खाने-पीने की रुचि रह गई है? अब क्या मैं गायक-गायिकाओं का मधुर गीत सुन सकता हूँ? ऐसी स्थिति में आपका यह सेवक अपने स्वामी पर, महाराज पर भार क्यों बने?
नबी यिर्मयाह ने भी राजा योशियाह की स्मृति में एक शोक गीत रचा था। आज भी लोक गायक और गायिकाएं अपने शोकगीतों में योशियाह का उल्लेख करते हैं। योशियाह के सम्बन्ध में शोकगीत गाना वास्तव में एक प्रथा बन गया है। ये शोकगीत “विलाप गीत” की पुस्तक में लिखे हुए हैं।
इनके अतिरिक्त मैंने राजाओं और प्रदेशों का सोना, चांदी और धन भी अपने पास इकट्ठा कर रखा था। मेरे दरबार में अनेक गायिकाएँ और गायक थे। मेरे पास पुरुष का दिल बहलानेवाली अनेक रखेल स्त्रियाँ भी थीं।