जब उस मनुष्य ने देखा कि वह याकूब को पराजित नहीं कर सकता, तब उसने याकूब की जांघ के जोड़ को स्पर्श किया। अत: उससे लड़ते-लड़ते याकूब की जांघ का जोड़ उखड़ गया।
उत्पत्ति 32:32 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इस्राएली जाति के लोग आज तक पशु के कूल्हे की नस को, जो जांघ के जोड़ों पर होती है, नहीं खाते; क्योंकि उस मनुष्य ने याकूब की जांघ में कूल्हे की नस को स्पर्श किया था। पवित्र बाइबल इसलिए आज भी इस्राएल के लोग पुट्ठे की माँसपेशी को नहीं खाते क्योंकि इसी माँसपेशी पर याकूब को चोट लगी थी। Hindi Holy Bible इस्राएली जो पशुओं की जांघ की जोड़ वाले जंघानस को आज के दिन तक नहीं खाते, इसका कारण यही है, कि उस पुरूष ने याकूब की जांघ की जोड़ में जंघानस को छूआ था॥ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) इस्राएली जो पशुओं की जाँघ को जोड़वाले जंघानस को आज के दिन तक नहीं खाते, इसका कारण यही है कि उस पुरुष ने याक़ूब की जाँघ के जोड़ में जंघानस को छुआ था। नवीन हिंदी बाइबल यही कारण है कि इस्राएली पशुओं की जाँघ को जोड़नेवाली जंघानस को आज तक नहीं खाते, क्योंकि उस पुरुष ने याकूब की जाँघ के जोड़ पर जंघानस को छुआ था। सरल हिन्दी बाइबल इस घटना का स्मरण करते हुए इस्राएल वंश आज तक जांघ की पुट्ठे की मांसपेशी को नहीं खाते क्योंकि उस व्यक्ति ने याकोब के जांघ की इसी मांसपेशी पर छुआ था. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 इस्राएली जो पशुओं की जाँघ की जोड़वाले जंघानस को आज के दिन तक नहीं खाते, इसका कारण यही है कि उस पुरुष ने याकूब की जाँघ के जोड़ में जंघानस को छुआ था। |
जब उस मनुष्य ने देखा कि वह याकूब को पराजित नहीं कर सकता, तब उसने याकूब की जांघ के जोड़ को स्पर्श किया। अत: उससे लड़ते-लड़ते याकूब की जांघ का जोड़ उखड़ गया।
जब याकूब ने पनीएल से प्रस्थान किया तब वह अपनी जांघ के कारण लंगड़ा रहा था और सूर्य उस पर चमकने लगा था।
याकूब ने अपनी आँखें ऊपर उठाईं तो देखा एसाव आ रहा है, और उसके साथ चार सौ पुरुष हैं। उसने लिआ, राहेल और दोनों सेविकाओं को उनके बच्चे सौंप दिए।
यारोबआम ने एफ्रइम पहाड़ी पर शकेम नगर को पुन: निर्मित किया और वहाँ रहने लगा। तत्पश्चात् वह वहाँ से निकला। उसने पनूएल नगर का पुन: निर्माण किया।
गिद्ओन वहाँ से पनूएल नगर गया। उसने पनूएल के निवासियों से ये ही बातें कहीं। पर उन्होंने भी उसे वैसा ही उत्तर दिया जैसा सूक्कोत के नेताओं ने उत्तर दिया था।
इस कारण दागोन देवता के पुरोहित तथा उसके मन्दिर में प्रवेश करने वाले उसकी देहरी पर आज तक अपने पैर नहीं रखते।